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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

रूस-जर्मनी के बीच तनाव

  • 07 Sep 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नॉर्ड स्ट्रीम 2, नोविचोक, बाल्टिक देश, बाल्टिक सागर

मेन्स के लिये:

रूस-जर्मनी के बीच तनाव और यूरोपीय देशों के हित

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रूस और जर्मनी के बीच रूसी विपक्षी नेता अलेक्सी नवलनी (Alexei Navalny) को जहर देने को लेकर तनाव गहरा गया है।

  • उपरोक्त संदर्भ में जर्मनी ने रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है जिसके प्रत्युत्तर में रूस ने जर्मनी पर इस मामले की जाँच में देरी करने का आरोप लगाया है।

प्रमुख बिंदु:

  • अलेक्सी नवलनी, रूस के विपक्षी नेता और भ्रष्टाचार-विरोधी प्रचारक हैं। गौरतलब है कि अलेक्सई नवलनी (Alexei Navalny) बर्लिन के एक अस्पताल में कोमा में है।
  • जर्मनी ने दावा किया है कि अलेक्सई नवलनी को जहर देने के लिये सोवियत युग के नोविचोक नामक एक नर्व एजेंट (विषाक्त जहर) का प्रयोग किया गया था।
    • यह जर्मनी की तरफ से अब तक लगाए गए सबसे मज़बूत आरोपों में से एक है कि इस घातक पदार्थ (नोविचोक) का उपयोग रूसी अधिकारियों द्वारा अतीत में भी किया गया है।
  • जर्मनी जो वर्तमान में यूरोपीय संघ (European Union) का अध्यक्ष है, ने कहा है कि यदि रूस अलेक्सई नवलनी मामले में स्पष्टीकरण देने में विफल रहता है तो वह यूरोपीय संघ की बैठक में रूस के खिलाफ संभावित प्रतिबंधों पर चर्चा करेगा।
    • विश्लेषक अनुमान लगा रहे है कि यूरोपीय संघ ‘नॉर्ड स्ट्रीम 2’ (Nord Stream 2) पर प्रतिबंधों को लेकर चर्चा कर सकता है जो रूसी सरकार की एक महत्त्वपूर्ण ऊर्जा निर्यात परियोजना है।

‘नॉर्ड स्ट्रीम 2’ (Nord Stream 2):

Russia

  • इस ऊर्जा निर्यात परियोजना के तहत बाल्टिक सागर (Baltic Sea) के माध्यम से रूस से जर्मनी तक लगभग 1200 किलोमीटर की पाइपलाइन का निर्माण करना है।

बाल्टिक सागर (Baltic Sea):

  • बाल्टिक सागर अटलांटिक महासागर की ही एक शाखा है जो डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, लातविया, लिथुआनिया, स्वीडन, पूर्वोत्तर जर्मनी, पोलैंड, रूस और उत्तर व मध्य यूरोपीय मैदान से घिरा हुआ है।

Baltic-Sea

बाल्टिक देश:

  • बाल्टिक देशों में यूरोप का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और बाल्टिक सागर के पूर्वी किनारे पर स्थित देश एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया शामिल हैं।
  • बाल्टिक देश पश्चिम और उत्तर में बाल्टिक सागर से घिरे हुए हैं जिसके नाम पर क्षेत्र का नाम रखा गया है।
  • वर्ष 1991 में इन देशों की चुनी हुई तत्कालीन सरकारों ने जनता के भारी समर्थन के साथ सोवियत संघ सोशलिस्ट रिपब्लिक (Union of Soviet Socialist Republics-USSR) से स्वतंत्रता की घोषणा की।
  • बाल्टिक क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध नहीं है। हालाँकि एस्टोनिया खनिज तेल उत्पादक है लेकिन इस क्षेत्र में खनिज और ऊर्जा संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है।
  • इस परियोजना का निर्माण पहले से ही निर्मित नॉर्ड स्ट्रीम के साथ-साथ किया जाएगा जिससे बाल्टिक सागर के माध्यम से प्रति वर्ष 110 बिलियन क्यूबिक मीटर तक गैस की मात्रा को दोगुनी हो जाएगी।

लाभ:

  • इस परियोजना का उद्देश्य यूरोप को स्थायी गैस आपूर्ति प्रदान करना है जबकि इस परियोजना के माध्यम से रूस को प्रत्यक्ष रूप से यूरोपीय गैस बाज़ार तक पहुँचने का अवसर मिल जाएगा।   
  • इस परियोजना का प्रस्तावित मार्ग तीन अन्य देशों फिनलैंड, स्वीडन एवं डेनमार्क के प्रादेशिक जल एवं विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone- EEZ) से होकर गुजरता है।
    • इन देशों की सरकारों एवं स्थानीय अधिकारियों को पाइपलाइन में निवेश एवं रोज़गार से आर्थिक रूप से लाभ होगा।

सुरक्षा से संबंधित चिंताएँ और आलोचना:

  • इस परियोजना की संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी के पूर्वी पड़ोसियों जैसे- पोलैंड एवं चेक गणराज्य आदि ने आलोचना की है। 
    • इन देशों का मानना है कि साझा बाज़ार के लिये रूस पर निर्भरता यूरोपीय संघ के रणनीतिक हितों के लिये खतरा है।
  • यह पाइपलाइन रूस को बाल्टिक सागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने और विभिन्न देशों के नौसैनिक जहाज़ों की गतिविधियों से संबंधित सैन्य सूचनाएँ प्रसारित करने में सक्षम बनाएगी।

स्रोत: द हिंदू

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