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सल्फर डाइऑक्साइड उत्सर्जन मानक

  • 31 Jul 2023
  • 5 min read

हाल ही में विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) ने लोकसभा को सूचित किया है कि सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) उत्सर्जन मानकों के अनुपालन के लिये थर्मल पावर प्लांट फ्लू गैस डिसल्फराइज़ेशन (Flue Gas Desulphurisation- FGD) उपकरण स्थापित कर रहे हैं।

  • इस मंत्रालय ने सितंबर 2022 में सल्फर उत्सर्जन में कटौती हेतु कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों के लिये FGD स्थापित करने की समय-सीमा दो वर्ष बढ़ा दी थी।

FGD स्थापित करने के लिये विद्युत संयंत्रों का वर्गीकरण:

वर्ग स्थान/क्षेत्र अनुपालन के लिये समय-सीमा
वर्ग A राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region- NCR) के 10 कि.मी. के दायरे में या दस लाख से अधिक आबादी वाले शहर (भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार) 31 दिसंबर, 2024 तक

वर्ग B

गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों या गैर-प्राप्ति शहरों के 10 कि.मी. के दायरे में (CPCB द्वारा परिभाषित) 31 दिसंबर, 2025 तक

वर्ग C

वर्ग A और B में शामिल लोगों के अलावा अन्य 31 दिसंबर, 2026 तक

फ्लू गैस डिसल्फराइज़ेशन (FGD):

  • परिचय:
    • FGD जीवाश्म-ईंधन वाले विद्युत स्टेशनों से उत्सर्जन के माध्यम से सल्फर यौगिकों को पृथक करने की प्रक्रिया है।
    • इसका प्रयोग अतिरिक्त अवशोषक के रूप में किया जाता है, जो ग्रिप गैस से 95% तक सल्फर डाइऑक्साइड को पृथक कर सकता है।
    • जब कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस अथवा लकड़ी जैसे जीवाश्म ईंधन को ऊष्मा या विद्युत उत्पादन के लिये जलाया जाता है, तब इससे निकलने वाले पदार्थ को फ्लू गैस के रूप में जाना जाता है।
  • भारत में FGD की आवश्यकता:
    • भारतीय शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से हैं। वर्तमान में भारत सबसे बड़े देश रूस की तुलना में लगभग दोगुनी मात्रा में SO2 उत्सर्जित करता है।
    • तापीय संयंत्र (सल्फर और नाइट्रस-ऑक्साइड के लगभग 80% औद्योगिक उत्सर्जन के लिये ज़िम्मेदार) देश की 75% विद्युत का उत्पादन करते हैं, जो फेफड़ों की बीमारियाँ, अम्ल वर्षा और स्मॉग का कारण बनते हैं।
    • निर्धारित मानदंडों के कार्यान्वयन में प्रतिदिन विलंब और FGD प्रणाली स्थापित नहीं होने से हमारे समाज को भारी स्वास्थ्य और आर्थिक क्षति हो रही है।
      • भारत में हानिकारक SO2 प्रदूषण के उच्च स्तर को बहुत जल्द टाला जा सकता है क्योंकि फ्लू गैस डिसल्फराइज़ेशन सिस्टम चीन में उत्सर्जन के स्तर को कम करने में सफल साबित हुए हैं, जो वर्ष 2005 में उच्चतम स्तर के लिये ज़िम्मेदार देश था।

सल्फर डाइऑक्साइड प्रदूषण:

  • स्रोत:
    • वातावरण में SO2 उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत विद्युत संयंत्रों और अन्य औद्योगिक गतिविधियों में जीवाश्म ईंधन का दहन है।
    • SO2 उत्सर्जन के छोटे स्रोतों में अयस्कों से धातु निष्कर्षण जैसी औद्योगिक प्रक्रियाएँ, प्राकृतिक स्रोत जैसे- ज्वालामुखी विस्फोट, इंजन, जहाज़ और अन्य वाहन तथा भारी उपकरणों में उच्च सल्फर ईंधन सामग्री का प्रयोग शामिल है।
  • प्रभाव:
    • SO2 के अल्पकालिक जोखिम मानव श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंँचा सकते हैं और साँस लेने में कठिनाई उत्पन्न कर सकते हैं। विशेषकर बच्चे SO2 के इन प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं।
    • WHO के अनुसार, प्रतिवर्ष विश्व स्तर पर 4.2 मिलियन लोगों की मौत SO2 के कारण होती है।
    • SO2 का उत्सर्जन हवा में SO2 की उच्च सांद्रता के कारण होता है, सामान्यत: यह सल्फर के अन्य ऑक्साइड (SOx) का निर्माण करती है।
    • (SOx) वातावरण में अन्य यौगिकों के साथ प्रतिक्रिया कर छोटे कणों का निर्माण कर सकती है। ये पार्टिकुलेट मैटर (PM) प्रदूषण को बढ़ाने में सहायक हैं।
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