इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

युवा श्रमिकों की मनरेगा में बढती हुई भूमिका

  • 22 Oct 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

मनरेगा

मेन्स के लिये:

मनरेगा में युवा श्रमिकों का अनुपात बढ़ने का कारण तथा अन्य संबंधित तथ्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हुए एक विश्लेषण के आधार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम-मनरेगा (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act-MGNREGA) के अंतर्गत कम उम्र के युवा श्रमिकों की भागीदारी में बढ़ोतरी हुई है।

मुख्य बिंदु:

  • आँकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, मनरेगा के अंतर्गत 18-30 वर्ष आयु वर्ग के युवा श्रमिकों के अनुपात में लगातार हो रही गिरावट में विमौद्रीकरण तथा जीएसटी के प्रभावों के कारण उछाल देखने को मिला है।
  • मनरेगा में कार्यरत व्यक्तियों के आयु-वार आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2017-18 के बाद 18-30 वर्ष की आयु वर्ग के श्रमिकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
  • इस अध्ययन के अनुसार, वित्त वर्ष 2013-14 में मनरेगा के तहत नियोजित 18-30 वर्ष की आयु वर्ग के युवाओं की संख्या लगभग 1 करोड़ से अधिक थी जो वित्त वर्ष 2017-18 में घटकर 58.69 लाख रह गई तथा वित्त वर्ष 2018-19 में पुनः बढकर 70.71 लाख हो गई।
  • चालू वित्त वर्ष के दौरान भी यह वृद्धि जारी है क्योंकि 21अक्तूबर, 2019 तक के आँकड़ों में मनरेगा के तहत नियोजित युवाओं की संख्या 57.57 लाख तक पहुँच गई है।
  • वर्ष 2013-14 में कुल मनरेगा श्रमिकों में युवा श्रमिकों का अनुपात 13.64% था जो कि वर्ष 2017-18 में घटकर 7.73% हो गया। वर्ष 2018-19 में यह अनुपात बढकर 9.1% हो गया तथा 2019-20 में यह 10.06% तक पहुँच गया।
  • ये आँकड़े हाल के वर्षों में मनरेगा में नियोजित व्यक्तियों की संख्या को भी दर्शाते हैं। इन आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2013-14 में मनरेगा के तहत कार्यरत व्यक्तियों की संख्या 7.95 करोड़ थी जो कि वर्ष 2014-15 में घटकर 6.71 करोड़ रह गई लेकिन उसके बाद यह बढ़कर क्रमशः वर्ष 2015-16 में 7.21 करोड़, वर्ष 2016-17 में 7.65 करोड़ तथा वर्ष 2018-19 में 7.76 करोड़ हो गई।
  • चालू वित्त वर्ष के दौरान 21 अक्तूबर, 2019 तक मनरेगा के तहत कार्य करने वाले व्यक्तियों की कुल संख्या 5.72 करोड़ तक पहुँच गई है।

युवा श्रम अनुपात के बढ़ने का कारण:

  • इस विश्लेषण के अनुसार मनरेगा में युवा आयु वर्ग (18-30 वर्ष) के श्रमिकों के बढ़ते स्तर का कोई स्पष्ट कारण नहीं है परंतु कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इसका कारण ग्रामीण संकट और रोज़गार के अवसरों की कमी हो सकती है।
  • मनरेगा से संबंधित अध्ययन करने वाले एक NGO के अनुसार, अर्थव्यवस्था अभी मंदी के दौर से गुज़र रही है। युवा व्यक्तियों के लिये यह स्थिति निराशाजनक है, जब उन्हें आजीविका के साधन नहीं मिल पाते हैं तब वह मनरेगा की तरफ रुख करते हैं।
  • सरकार ने नवंबर 2016 में 500 रुपए और 1000 रुपए के उच्च मूल्य के करेंसी नोटों को बंद करने का निर्णय लिया था, जबकि 1 जुलाई, 2017 से GST लागू किया गया। इन दोनों फैसलों ने अर्थव्यवस्था में व्यवधा़न पैदा किया। भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2016-17 में 8.2% के उच्च स्तर पर पहुँच गयी थी, वहीं यह 2018-19 में घटकर 6.8% की दर पर आ गई।

मनरेगा

MGNREGA

  • इस अधिनियम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों के अकुशल श्रमिकों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन के रोज़गार की गारंटी प्रदान करना है।
  • हालाँकि वर्ष 2019 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की सिफारिशों के आधार पर सूखा प्रभावित क्षेत्रों तथा प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्रों में 100 दिनों के अतिरिक्त 50 दिन का (कुल 150 दिन) का रोज़गार प्रदान किया है।
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने वन क्षेत्र में प्रत्येक अनुसूचित जनजाति के परिवार के लिये भी 50 दिनों के अतिरिक्त रोज़गार के प्रावधान को अनिवार्य किया है, बशर्ते कि इन परिवारों के पास वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत प्रदान किये गए भूमि अधिकारों के अलावा कोई अन्य निजी संपत्ति न हो।
  • यह सामाजिक सुरक्षा के लिये बनाया गया एक मांग आधारित कानून है, इसका उद्देश्य ‘कार्य के अधिकार’ को लागू करना है।

निष्कर्ष:

केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों को युवाओं को कौशलप्रद शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें रोज़गार के अवसर भी प्रदान करना चाहिये।

स्रोत-द इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow