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प्रौद्योगिकी

भारतीय विज्ञान और टेक्नोलॉजी का बढ़ता नेतृत्व

  • 11 Jun 2018
  • 13 min read

चर्चा में क्यों?

विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा पिछले चार वर्षों की उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी गई है। सरकार पिछले चार वर्षों के दौरान समग्र वैज्ञानिक पारिस्थितिक तंत्र बनाने का काम करती रही है। इसमें प्रौद्योगिकी विकास, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, नवाचार और स्टार्टअप के लिये स्वदेशी प्रौद्योगिकी के व्यावसायीकरण को सक्षम बनाने के लिये अनुवाद अनुसंधान हेतु प्रभावशाली बुनियादी शोध की गुणवत्ता और मात्रा में वृद्धि शामिल है। 

महत्त्वाकांक्षी मिशनों को लॉन्च करने की तैयारी

  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार, हमारा विज्ञान अब पानी, ऊर्जा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, जलवायु, कृषि, खाद्यान के क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों को हल करने के लिये काम कर रहा है।
  • भारत साइबर भौतिक प्रणाली, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सुपर कंप्यूटिंग, गहरे समुद्र, बायोफार्मास्यूटिकल्स और अन्य क्षेत्रों में भविष्य में महत्त्वाकांक्षी मिशन लॉन्च करने के लिये तैयार हो रहा है, जो हमें तेजी से बदलती विश्व व्यवस्था में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी बना देगा।

हर क्षेत्र में विज्ञान का बढ़ता योगदान

  • सरकार ने विज्ञान को हमारी राष्ट्रीय ज़रूरतों, अवसरों और प्राथमिकताओं से भी जोड़ा है, जो मेक इन इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत जैसे राष्ट्रीय मिशनों में दिखाई देता है। 
  • सरकार उद्योग, शिक्षा के साथ नया और मज़बूत संपर्क बनाने पर भी बल दे रही है। 

उल्लेखनीय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
विश्व में सर्वश्रेष्ठ के साथ विज्ञान और टेक्नोलॉजी सहयोग हमारे वैज्ञानिक समुदाय और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को काफी लाभ प्रदान करेगा। पिछले चार वर्षों के दौरान हुए कुछ उल्लेखनीय अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हैं: 

  • भारत देश में डिटेक्टर स्टेशन की स्थापना के लिये समझौते के साथ गुरुत्वाकर्षण लहर पहचान के लिये LIGO परियोजना में भागीदारी और भारत का CERN का सहयोगी सदस्य राज्य बनना।
  • भारत-इज़राइल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचार निधि आदि। 

विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश में वृद्धि

  • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संबंधित क्षेत्रों में निवेश पिछले पाँच वर्षों यानी 2009-10 से 2013-14 की तुलना में पिछले चार वर्षों के दौरान 2014-15 से 2018-19 में बढ़ा है। 
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का बजट आवंटन 19,764 करोड़ रुपए रहा जो 90% अधिक है। 
  • इसी तरह जैव प्रौद्योगिकी विभाग के लिये आवंटन में 65% की वृद्धि हुई। 
  • CSIR के लिये निवेश में लगभग 43% की वृद्धि और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के लिये 26% की वृद्धि हुई।       

पिछले चार वर्षों की उल्लेखनीय उपलब्धियाँ

  • प्रौद्योगिकियों का विकास एवं उद्योग क्षेत्र को 800 से अधिक प्रौद्योगिकियों का अंतरण। 
  • अंतरमंत्रालयी प्रयोगशालाओं एवं अंतरमंत्रालयी संस्‍थानों के बीच एक नया संयोजन स्‍थापित किया गया है। 
  • वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं लगातार रेलवे, भारी उद्योग, शहरी विकास, रक्षा, पीने का पानी एवं स्‍वच्‍छता, बिजली, कोयला एवं नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय जैसी कई सरकारी एजेंसियों के समस्‍या-समाधान के लिये हब बनती जा रही हैं।
  • साइबर-भौतिक प्रणालियों के मिशन पर इस वर्ष की बजट घोषणा अनुप्रयोग विज्ञान का एक ऐसा ही उदाहरण है। 
  • सुपर कंप्यूटिंग, एरोमा, सिकल सेल एनीमिया एवं बायोफॉर्मा पर मिशन आधारित परियोजनाएँ अनुप्रयोग एवं समाधान विज्ञान पहलों के कुछ उल्‍लेखनीय उदाहरण हैं।

फसल उत्पादकता में सुधार

  • फसल उत्‍पादकता में सुधार लाने के लिये कृषि क्षेत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी युक्ति का ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था पर व्‍यापक प्रभाव पड़ा है। 
  • पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय वर्तमान में 24 मिलियन किसानों को कृषि-मौसम विज्ञान संबंधी परामर्श उपलब्‍ध कराता है, जो जुलाई, 2018 तक बढ़कर 40 मिलियन तक पहुँच जाएगा। 
  • समय पर उपलब्ध मौसम संबंधी सूचना ने कृषि कार्यकलापों में सहायता की है, जिसका परिणाम राष्‍ट्रीय जीडीपी पर 50,000 करोड़ रुपए के एक सकारात्‍मक आर्थिक प्रभाव के रूप में सामने आया है।

मौसम एवं समुद्र पूर्वानुमान सेवाओं की गुणवत्‍ता में उल्‍लेखनीय सुधार 

  • पिछले चार वर्षों के दौरान मौसम एवं समुद्र संबंधी पूर्वानुमान सेवाओं की गुणवत्‍ता में उल्‍लेखनीय सुधार हुआ है। 
  • 01 जून, 2018 को पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने संभाव्‍यता प्रखंड स्‍तर मौसम पूर्वानुमान सृजित करने के लिये दुनिया में सर्वश्रेष्‍ठ प्रणालियों में एक इन्सेम्बल मौसम पूर्वानुमान प्रणाली (Ensemble Weather Prediction system ) आरंभ की। 
  • यह मंत्रालय द्वारा 6.8 पेटा फ्लॉप्स की संयुक्‍त क्षमता के साथ नये सुपर कंप्यूटरों ‘प्रत्यूष’ एवं ‘मिहिर’ की खरीद के कारण संभव हो पाया है।
  • इसी प्रकार की सूचना मछलियों की उपलब्‍धता पर संभावित मत्‍स्‍य-ग्रहण क्षेत्र के बारे में देश के मछुआरों को उपलब्‍ध कराई गई है।
  • ये परामर्श प्रतिदिन चार लाख से अधिक उपयोगकर्त्ताओं तक पहुँचते हैं, जिनमें पिछले चार वर्षों के दौरान चौगुनी बढ़ोतरी हुई है।

पाला प्रतिरोधी उन्‍नत सांबा महसूरी चावल 

  • CSIR, DBT एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा एक संयुक्‍त अनुसंधान के तहत उन्नत किस्म के सांबा महसूरी चावल का विकास किया गया है जो पाला प्रतिरोधी है, जिसकी खेती अब सात राज्‍यों के 1,20,000 हेक्‍टेयर क्षेत्र में की जा रही है। 
  • चावल की यह किस्‍म निम्‍न ग्‍लाइसेमिक सूचकांक के तहत आती है, जो परीक्षण किये गए चावल की किस्‍मों के न्‍यूनतम मूल्‍य के अंतर्गत है और साथ ही मधुमेह के रोगियों के लिये बेहद उपयुक्‍त मानी जाती है। 
  • CSIR ने केमिकल इंटरमीडियरी एवं एक्टिव फार्मास्स्यूटिकल इन‍ग्रिडियेंट (API) के विकास के लिये मिशन-मोड में एक परियोजना आरंभ की है, जिससे विशेष रूप से चीन से होने वाले आयातों पर भारत की निर्भरता में उल्‍लेखनीय कमी आएगी।

स्वच्छ ऊर्जा के विकास पर ज़ोर  

  • भारत जैव ईंधन के उपयोग को कम करने के लिये प्रतिबद्ध है। 
  • ऊर्जा क्षेत्र में स्‍वच्‍छ ऊर्जा का हिस्‍सा बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। 
  • CSIR ने कई स्‍वदेशी तकनीकें विकसित की हैं। जैसे – कोयला डस्‍ट संग्रहण और ब्रिकेटिंग प्रणाली, सौर ऊर्जा, हाइड्रो-इलेक्ट्रिक सेल आदि। 
  • भारत के पहले एथेनॉल संयंत्र (दूसरी पी‍ढ़ी) का आधिकारिक रूप से अनावरण किया गया है और वाणिज्यिक स्‍तर पर बायोमास एथेनॉल संयंत्रों को स्‍थापित करने के लिये इसे भारत पेट्रोलियम तथा हिन्‍दुस्‍तान पेट्रोलियम को हस्‍तांतरित किया गया है।    
  • स्‍वच्‍छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत 23 देशों के मिशन इनोवेशन नेटवर्क में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। 
  • भारत ने पहले अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍वच्‍छ ऊर्जा इन्‍क्‍यूबेटर की घोषणा की है। 

सुरक्षित पेयजल के लिये कार्यक्रम
देश के कई क्षेत्र जल संकट झेल रहे हैं और पानी की खराब गुणवत्‍ता का सामना कर रहे हैं। मंत्रालय ने पिछले चार वर्षों में सस्‍ती दर पर सुरक्षित पेयजल के लिये कई कार्यक्रमों की शुरूआत की है। इसके लिये स्‍वदेशी तकनीक विकसित की गई है।     

स्‍टार्ट-अप इकोसिस्‍टम में विस्तार

  • स्‍टार्ट-अप इकोसिस्‍टम को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने केवल डीएसटी मद के आवंटन में पाँच गुना वृद्धि की है। 
  • मंत्रालय ने 5000 स्‍टार्ट-अप और 200 इन्‍क्‍यूबेटर को सहायता प्रदान की है। 
  • इसके अलावा, छठी से दसवीं कक्षा के स्‍कूली बच्‍चों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये मंत्रालय ने ‘मनक-MANAK’ (Million Minds Augmenting National Aspiration and Knowledge) कार्यक्रम लॉन्च किया है। 

क्षमता निर्माण में वृद्धि

  • विज्ञान व तकनीक मानव संसाधन अनुसंधान तथा विकास के आधार हैं। पिछले चार वर्षों में मंत्रालय ने वैज्ञानिकों, शिक्षकों, युवा शोधकर्मियों की क्षमता निर्माण में वृद्धि करने का प्रयास किया है।
  • तीन वर्षों से कम अवधि में अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश बढ़कर दोगुना हो गया है। 
  • स्‍कूल स्‍तर से लेकर पोस्‍ट-डॉक्‍टरल शोध तक मंत्रालय ने 11 लाख लोगों को सहायता प्रदान की है। 
  • युवा वैज्ञानिकों को आकर्षित करने के लिये विज्ञान व तकनीकी विभाग ने कई योजनाओं की शुरुआत की है। 
  • मंत्रालय विदेशों में बसे भारतीय मूल के 600 प्रमुख वैज्ञानिकों को देश में वापस लौटाने के कार्य में सफल हुआ है।
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