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Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 17 मार्च, 2020

  • 17 Mar 2020
  • 4 min read

रंजन गोगोई

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिये मनोनीत किया है। ध्यातव्य है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई नवंबर 2019 में सेवानिवृत्त हुए थे और उनका स्थान मौजूदा मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने लिया था। ध्यातव्य है कि अनुच्छेद 80 के खंड(3) के तहत राष्ट्रपति के पास विशेष ज्ञान वाले व्यक्तियों को राज्यसभा के लिये मनोनीत करने की शक्ति होती है। ऐसे व्यक्ति को विज्ञान, कला, साहित्य और समाज सेवा इत्यादि में विशेष ज्ञान होना अनिवार्य है। रंजन गोगोई असम के निवासी हैं और उनका जन्म 18 नवंबर, 1954 को हुआ। वे असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशब चंद्र गोगोई के पुत्र हैं। रंजन गोगोई ने अपने कैरियर की शुरुआत एक वकील के तौर पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय से की। इन्हें संवैधानिक, टैक्सेशन और कंपनी मामलों में विशेषज्ञता हासिल है।

बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान

बांग्‍लादेश अपने संस्‍थापक और पहले राष्‍ट्रपति शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती मना रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को श्रद्धांजलि अर्पित की और बांग्लादेश की प्रगति में उनके योगदान की सराहना भी की। शेख मुजीबुर रहमान का जन्‍म अविभाजित भारत के गोपालगंज ज़िले के तुंगीपारा गाँव में 17 मार्च, 1920 को हुआ था। पूर्वी पाकिस्‍तान में पाकिस्‍तानी शासकों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ उन्‍होंने आंदोलन चलाया था और वर्ष 1971 में इसे पाकिस्‍तान से आज़ाद करा लिया। बंगबंधु नाम से विख्‍यात शेख मुजीबुर रहमान स्‍वतंत्र बांग्‍लादेश के पहले राष्‍ट्रपति बने।

कौशल सतरंग कार्यक्रम

प्रदेश के युवाओं को रोज़गार के बेहतर व अधिक अवसर प्रदान कराने और उनमें उद्यमिता विकसित किये जाने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार ने कौशल सतरंग कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के युवाओं के लिये कौशल प्रशिक्षण हेतु उपयुक्त वातावरण सृजित करने के साथ रोज़गार के बेहतर व अतिरिक्त अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। 

तीन विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा

केंद्रीय केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित हो गया है। इसी के साथ राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान दिल्ली, श्री लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ दिल्ली और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ तिरुपति की पहचान अब केंद्रीय विश्वविद्यालय के रूप में की जाएगी। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा, मुझे पूर्ण विश्वास है कि तीनों संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने पर ये नए विश्वास, उत्साह ऊर्जा और संकल्प के साथ संस्कृत के संरक्षण, संवर्द्धन और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देंगे।

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