शासन व्यवस्था
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश
- 17 Sep 2025
- 53 min read
प्रिलिम्स के लिये: भारतीय मानक ब्यूरो, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश, विश्व व्यापार संगठन
मेन्स के लिये: भारत में गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO), गुणवत्ता आश्वासन और उद्योग प्रतिस्पर्द्धात्मकता के बीच संतुलन के उपाय।
चर्चा में क्यों?
पिछले तीन वर्षों में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा जारी गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCOs) में तेज़ी से हुई बढ़ोतरी की सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने आलोचना की है। इन अनिवार्य QCO नियमों को वे अपनी गतिविधियों के लिये महँगा और प्रतिबंधात्मक मानते हैं।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) क्या हैं?
- परिचय: BIS प्रमाणन सामान्य रूप से स्वैच्छिक होता है, लेकिन कुछ उत्पादों के लिये यह सार्वजनिक हित में अनिवार्य हो जाता है, जैसे स्वास्थ्य, पर्यावरण, राष्ट्रीय सुरक्षा या अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिये।
- ऐसे उत्पादों के लिये भारतीय मानकों के साथ अनिवार्य अनुपालन गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCOs) के माध्यम से लागू किया जाता है, जो एक वैध BIS लाइसेंस के तहत BIS मानक चिह्न के उपयोग को निर्देशित करते हैं।
- उद्देश्य: विश्व व्यापार संगठन (WTO) के तकनीकी व्यापार बाधाओं पर (TBT) समझौते के अनुरूप, QCOs का लक्ष्य उत्पाद सुरक्षा सुनिश्चित करना, घटिया सामान पर अंकुश लगाना, निवेश आकर्षित करना और उपभोक्ताओं की रक्षा करना है। साथ ही यह निर्माताओं को शुरुआती स्तर पर दोषों का पता लगाने और गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है।
- कानूनी प्रावधान: BIS अधिनियम, 2016 के आधार पर QCOs संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों या नियामकों द्वारा विशेष उत्पादों या श्रेणियों के लिये BIS से परामर्श के बाद जारी किये जाते हैं।
- QCOs के अंतर्गत आने वाले उत्पादों का नियमन भारतीय मानक ब्यूरो (अनुरूपता निर्धारण) विनियम, 2018 के अनुसार किया जाता है।
- किसी QCO का उल्लंघन करने पर BIS अधिनियम, 2016 के तहत कारावास, जुर्माना या दोनों दंड दिये जा सकते हैं।
- यदि QCOs को स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण, भ्रामक व्यापार प्रथाओं या राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लागू किया गया हो तो उन्हें WTO में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- निषेध आदेश: QCO लागू होने के बाद कोई भी व्यक्ति वैध लाइसेंस के तहत BIS मानक चिह्न के बिना, कवर किये गए उत्पादों का निर्माण, आयात, बिक्री या प्रबंधन नहीं कर सकता।
- आयातित वस्तुओं पर प्रयोज्यता: घरेलू नियम आयात पर भी समान रूप से लागू होते हैं। विदेशी निर्माताओं को विदेशी निर्माता प्रमाणन योजना (FMCS) के तहत लाइसेंस/अनुरूपता प्रमाणपत्र (CoC) प्राप्त करना होगा।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- उच्च अनुपालन लागत: QCOs के तहत BIS प्रमाणन अनिवार्य हो जाता है और अनुपालन न करने पर दंड का प्रावधान है।
- मध्यवर्ती वस्तुओं के उत्पादक आमतौर पर इसका समर्थन करते हैं, लेकिन डाउनस्ट्रीम उद्योग चिंतित हैं कि अतिरिक्त प्रमाणन लागत उत्पादन व्यय बढ़ा देगी और अंततः उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि होगी, जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- बड़ी कंपनियों की तुलना में छोटे उद्यमों को प्राय: अनुपालन करने में कठिनाई होती है, जिससे प्रतिस्पर्द्धा प्रभावित होती है।
- गैर-शुल्क बाधा प्रभाव: QCO कुछ वस्तुओं के आयात को प्रतिबंधित कर सकते हैं, जिससे किफायती कच्चे माल तक पहुँच सीमित हो जाती है।
- QCO भारत की व्यापार वार्ताओं को जटिल बना सकते हैं, क्योंकि अनिवार्य अनुपालन आवश्यकताओं को साझेदार देश गैर-शुल्क बाधाओं के रूप में देख सकते हैं, जिससे अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य व्यापारिक साझेदारों के साथ समझौतों पर असर पड़ सकता है।
- सीमित कवरेज और उद्योग का विरोध: 23,000 से अधिक BIS मानकों में से केवल 187 पर ही QCO लागू हैं, जो मुख्यतः इस्पात और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में हैं। यह उनकी सीमित पहुँच और व्यापक प्रवर्तन में आने वाली चुनौतियों को दर्शाता है।
- कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियाँ: BIS प्रमाणन प्राप्त करने में देरी या कठिनाइयाँ उत्पादन और बिक्री को बाधित कर सकती हैं।
QCO से संबंधित वर्तमान चुनौतियों का समाधान करने हेतु BIS द्वारा उठाए गए कदम
- प्रमाणीकरण का डिजिटलीकरण: BIS ने प्रमाणन प्रक्रिया का डिजिटलीकरण किया है और घरेलू उद्योगों, जिनमें MSME भी शामिल हैं, को 30 दिनों के भीतर समयबद्ध प्रमाणन प्रदान करता है, जिसमें 750 से अधिक उत्पाद शामिल हैं।
- खुले संवाद मंच:
- जन सुनवाई: एक पोर्टल जहाँ कोई भी प्रश्न पूछ सकता है।
- मानक मंथन: MSME को सहायता प्रदान करने हेतु क्षेत्र-स्तरीय सहभागिता।
QCO के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु किन उपायों की आवश्यकता है?
- क्लस्टर-आधारित परीक्षण सुविधाओं की मान्यता: साझा परीक्षण अवसंरचना वाले उद्योग क्लस्टरों को बढ़ावा देना, छोटे उद्यमों को कम लागत पर गुणवत्ता प्रमाणन तक पहुँचने में सहायता करता है और संसाधनों की पुनरावृत्ति को रोकता है।
- तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण: भारतीय मानकों, उत्पाद परीक्षण और प्रलेखन पर व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध कराने से प्रमाणन अनुपालन को सुचारु बनाया जा सकता है।
- बाज़ार संपर्क और निर्यात समर्थन: प्रमाणित MSME उत्पादों को सरकारी खरीद योजनाओं, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और निर्यात प्रोत्साहन कार्यक्रमों से जोड़ना अनुपालन को प्रोत्साहित करता है तथा बाज़ार पहुँच बढ़ाता है।
- प्रमाणीकरण निकायों और व्यापार समझौतों का लाभ उठाना: निम्न और मध्यम जोखिम वाले उत्पादों के लिये मान्यता प्राप्त प्रमाणन निकायों का उपयोग करने से BIS का कार्यभार कम होता है तथा प्रक्रिया समय सुधरता है।
- व्यापार वार्ताओं में पारस्परिक मान्यता समझौतों (MRA) को आगे बढ़ाने से निर्यात के लिये अनुपालन सरल होता है और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार तक पहुँच सुलभ होती है।
- सतत् सुधार हेतु प्रतिपुष्टि तंत्र: वास्तविक-समय शिकायत निवारण और सुझाव प्रणाली बनाना MSME को बाधाओं की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाता है तथा नियामकों को QCO प्रक्रियाओं को गतिशील रूप से परिष्कृत करने में सहायता करता है।
निष्कर्ष
प्रभावी QCO क्रियान्वयन के लिये नियामकीय स्पष्टता, डिजिटल सुविधा, वित्तीय राहत और MSME के साथ सक्रिय सहभागिता का समन्वय आवश्यक है। ये उपाय न केवल अनुपालन बोझ को कम करते हैं बल्कि घरेलू गुणवत्ता पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करते हैं, उपभोक्ता विश्वास को बढ़ावा देते हैं और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को समर्थन प्रदान करते हैं।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत के घरेलू गुणवत्ता पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने और उपभोक्ता हितों की रक्षा करने में गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCO) के महत्त्व की जाँच कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
- मोटर वाहनों के टायरों और ट्यूबों के लिये भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) का मानक चिह्न अनिवार्य है।
- AGMARK, खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा जारी एक गुणता प्रमाणन चिह्न है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: (a)