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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 12 अक्टूबर, 2018

  • 12 Oct 2018
  • 7 min read

‘माइकल’ तूफान

  • हाल ही में अमेरिका के फ्लोरिडा में माइकल नामक तूफान ने दस्तक दी। यह तूफान 250 किमी/घंटा की गति से चलने वाली विनाशकारी हवाओं के साथ फ्लोरिडा के उत्तर-पश्चिमी तट पर छोटे से शहर मेक्सिको बीच के पास तट से टकरा गया।
  • साफिर-सिम्पसन पैमाने के अनुसार, तट से टकराते समय तीव्र गति से चलने वाला यह तूफान चतुर्थ श्रेणी का तूफान था।
  • उल्लेखनीय है कि ‘माइकल’ अमेरिकी भूमि पर दस्तक देने वाला तीसरा सबसे शक्तिशाली तूफान था।
  • इस तूफान ने कपास, लकड़ी, पेकान और मूंगफली को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाया है। एक अनुमान के मुताबिक, इससे 1.9 बिलियन डॉलर की संपति का नुकसान तथा 3.7 मिलियन एकड़ में फैली हुई फसल भी प्रभावित हुई है।
  • तूफान की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बैरोमेट्रिक दबाव मात्र 919 मिलीबार दर्ज किया गया।
  • अभिलेखों के मुताबिक, 1969 में मिसिसिप्पी खाड़ी के तट पर आये केमिली तूफान तथा 1935 के लेबर डे तूफान के बाद माइकलसंयुक्त राज्य अमेरिका का तीसरा सबसे भयावह तूफान था।

CORPAT अभ्यास

  • हाल ही में भारतीय नौसेना के जहाज और विमान 32वें भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्त (IND-INDO CORPAT) के लिये इंडोनेशिया के बेलवान बंदरगाह पर पहुँचे गए।
  • अंडमान और निकोबार कमांड से भारतीय नौसेना पोत कुलीत, कोरा क्लास मिसाइल कार्वेट तथा एक भारतीय डोर्नियर (नौसेना समुद्री गश्ती विमान) ने भारत-इंडोनेशिया समन्वित गश्त (IND-INDO CORPAT) के 32वें संस्करण के उदघाटन समारोह के लिये इंडोनेशिया के बेलवान बंदरगाह में प्रवेश किया। 
  • यह समारोह 11 से 27 अक्तूबर, 2018 तक आयोजित किया जाएगा। 
  • दोनों देशों के जहाज और विमान 236 नॉटिकल माइल लंबी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा से संबंधित भाग पर गश्त करेंगे। यह गश्त तीन चरणों में संपन्न होगी।

ब्लैक लेपर्ड

  • ताडोबा अंधारी वन्य रिज़र्व में एक गाड़ी चालक ने अपने दैनिक जंगल सफारी के दौरान 8 अक्तूबर को पहली बार एक काले तेंदुए को देखा।
  • ब्लैक लेपर्ड ज़्यादातर दक्षिण भारत के घने जंगली इलाकों में पाये जाते हैं। ब्लैक लेपर्ड को जंगल का भूत भी कहा जाता है। आमतौर पर ये कर्नाटक, केरल और असम के घने उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में पाए जाते हैं।

    अस्तित्त्व का खतरा
  • इसके अस्तित्त्व पर खतरे की वज़ह कहीं-न-कहीं वनों की सघनता में गिरावट आना भी है, जो कि शिकार करते वक्त इसके गहरे रंग की वज़ह से इसे छद्मावरण प्रदान नहीं कर पाता है। यही कारण है कि वे अन्य तेंदुओं की तरह नहीं बच पाते हैं।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर नई दिल्ली में रजत जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है। 

पृष्ठभूमि

  • राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की स्थापना वर्ष 1993 में मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। 
  • यह मानवाधिकारों के संरक्षण के क्षेत्र में भारत की सर्वोच्च संस्था है जो भारतीय संविधान एवं अंतर्राष्ट्रीय संधियों के आधार पर व्यक्ति के जीवन, स्वतंत्रता, समानता, गरिमा जैसे मानवाधिकारों के सरंक्षण एवं प्रसार का कार्य करती है।
  • आयोग में एक अध्यक्ष जो कि सुप्रीम कोर्ट का सेवारत अथवा पूर्व मुख्य न्यायाधीश होता है, सदस्य के तौर पर एक सुप्रीम कोर्ट का सेवारत अथवा पूर्व न्यायाधीश, एक अन्य सदस्य के तौर पर हाईकोर्ट का सेवारत अथवा पूर्व मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं। साथ ही मानव अधिकार के क्षेत्र में विशेष जानकारी रखने वाले दो व्यक्तियों को भी सदस्य के तौर पर नियुक्त किया जाता है। 
  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर राष्ट्रपति द्वारा अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त किये जाते हैं। 
  • लोक संहिता प्रक्रिया, 1908 (code of civil procedure, 1908) के अधीन आयोग को सिविल न्यायालय की समस्त शक्तियाँ प्राप्त हैं।
  • आयोग किसी पीड़ित अथवा उसकी ओर से किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दायर किसी याचिका पर स्वयं सुनवाई एवं कार्यवाही कर सकता है। 
  • इसके अलावा, आयोग न्यायालय की स्वीकृति से न्यायालय के समक्ष लंबित मानवाधिकारों के प्रति हिंसा संबंधी किसी मामले में हस्तक्षेप कर सकता है। 
  • आयोग संबंधित अधिकारियों को पूर्व सूचित करके किसी भी कारागार का निरीक्षण कर सकता है। 

यह आयोग मानवाधिकारों से संबंधित संधियों इत्यादि का अध्ययन करता है तथा उन्हें और अधिक प्रभावी बनाने हेतु आवश्यक सुझाव भी देता है।

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