इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

फ़ूड फोर्टिफिकेशन के लिये कानून

  • 17 Oct 2018
  • 6 min read

संदर्भ 

  • FSSAI के अनुसार भारत में 70% लोग विटामिन एवं खनिज जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्वों का पर्याप्त उपभोग नहीं करते हैं।
  • लगभग 70% स्कूल-पूर्व बच्चों में लौह तत्त्व (Fe) की कमी के कारण एनीमिया (रक्ताल्पता) की स्थिति पाई जाती है तो 57% स्कूल-पूर्व बच्चों में विटामिन A की कमी है।
  • भारत में जन्मजात तंत्रिका दोषों से पीड़ित बच्चों की संख्या काफी अधिक है। एक अनुमान के अनुसार पोषक तत्त्वों की पर्याप्त आपूर्ति से इस प्रकार के दोषों में 50-70% तक की कमी लाई जा सकती है।
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी के कारण भारत में बड़ी आबादी में छिपी हुई भूख (Hidden Hunger) के कारण गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पाया गया है।

फूड फोर्टिफिकेशन क्या है?

  • फूड फोर्टिफिकेशन चावल, दूध, नमक, आटा आदि खाद्य पदार्थों में लौह, आयोडिन, जिंक, विटामिन A एवं D जैसे प्रमुख खनिज पदार्थ एवं विटामिन जोड़ने अथवा वृद्धि करने की प्रक्रिया है जिससे कि इन खाद्य पदार्थों के पोषण स्तर में वृद्धि हो।
  • इस प्रसंस्करण प्रक्रिया से पहले मूल खाद्य पदार्थों में ये पोषक तत्त्व मौजूद हो भी सकते हैं और नहीं भी।
  • फोर्टिफिकेशन के ज़रिये अपनी खाद्य आदतों में बदलाव किये बिना पोषक तत्त्वों का उपभोग सुनिश्चित किया जा सकता है।

सरकारी प्रयास 

  • सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमियों को दूर करने के लिये खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने 16.10.2016 को खाद्य सुरक्षा और मानक (फोर्टिफिकेशन ऑफ़ फूड्स) विनियम (2016) के मसौदे को लागू कर दिया है।
  • इसमें अन्य बातों के अलावा गेहूँ का आटा, चावल, दूध, खाद्य तेल और नमक जैसे खाद्य पदार्थों के विटामिन और खनिजों द्वारा फोर्टिफिकेशन के लिये मानक भी निर्धारित किये गए हैं।
  • वर्तमान में देश के सभी प्रमुख तेल उत्पादक अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में स्वैछिक रूप से कम-से-कम एक ब्रांड का फोर्टिफिकेशन कर रहे हैं। 
  • इन विनियमों में यह कहा गया है कि FSSAI भारत सरकार के निर्देशों या राज्यों / संघ शासित प्रदेशों की सिफारिश पर या विभिन्न हितधारकों के साथ परामर्श के पश्चात् नियमों के तहत निर्दिष्ट किसी भी खाद्य पदार्थ के समय-समय पर फोर्टिफिकेशन का अधिदेश दे सकती है।
  • खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर निषेध और प्रतिबंध) विनियम, 2011 के तहत प्रत्यक्ष रूप से मानव उपभोग के लिये केवल आयोडीन युक्त नमक की बिक्री की अनुमति है।
  • खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद मानक और खाद्य योगज़) विनियम, 2011 के अनुसार वनस्पति तेल में सिंथेटिक विटामिन A होना अनिवार्य है।
  • इसके अतिरिक्त, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपने द्वारा प्रशासित होने वाली योजनाओं जैसे-एकीकृत बाल विकास योजना और मिड-डे मील योजना में दुगने फोर्टिफाइड नमक (लोहा और आयोडीन), गेहूँ का आटा (लोहा, फोलिक एसिड और विटामिन बी -12) तथा खाद्य तेल (विटामिन A और D) के प्रयोग का सुझाव दिया है। 
  • FSSAI द्वारा टाटा ट्रस्ट और पोषण के क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से वृहद् स्तर पर फ़ूड फोर्टिफिकेशन को प्रोत्साहित किये जाने तथा खाद्य व्यवसायों के बीच फोर्टिफिकेशन को एक मानक के रूप में स्थापित करने हेतु फ़ूड फोर्टिफिकेशन रिसोर्सेज़ सेंटर (FFRC) की स्थापना की गई है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI)

  • केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत FSSAI का गठन किया है। जिसको 1 अगस्त, 2011 में केंद्र सरकार के खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम (पैकेजिंग एवं लेबलिंग) के तहत अधिसूचित किया गया।
  • इसका संचालन भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाता है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है, जो राज्यों के खाद्य सुरक्षा अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने का काम करता है।
  • FSSAI मानव उपभोग के लिये पौष्टिक भोजन के उत्पादन, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात संबंधी सुरक्षित उपलब्धता को सुनिश्चित करने का काम करता है।
  • इसके अलावा, यह देश के सभी राज्यों, ज़िला एवं ग्राम पंचायत स्तर पर खाद्य पदार्थों के उत्पादन और बिक्री के तय मानक को बनाए रखने में सहयोग करता है। यह समय-समय पर खुदरा एवं थोक खाद्य-पदार्थों की गुणवत्ता की जाँच भी करता है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2