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आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू

  • 15 Nov 2025
  • 78 min read

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों? 

14 नवंबर, 2025 को मनाया जाने वाला बाल दिवस, जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती को चिह्नित करता है।

  • यह अवसर नेहरू के दृष्टिकोण संस्थाओं और राष्ट्र निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के माध्यम से आधुनिक भारत को आकार देने में उनके स्थायी योगदान पर विचार करने का भी अवसर प्रदान करता है।

बाल दिवस और बाल कल्याण के लिये नेहरू का दृष्टिकोण

  • बाल दिवस: जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें स्नेहपूर्वक 'चाचा नेहरू' भी कहा जाता है, का जन्म 14 नवंबर, 1889 को हुआ था, को सम्मान देने के रूप में बाल दिवस मनाया जाता है।
  • वे बच्चों के प्रति अपने स्नेह के लिये जाने जाते थे। उन्होंने विशेष रूप से बच्चों के लिये स्वदेशी सिनेमा बनाने हेतु वर्ष 1955 में चिल्ड्रन्स फिल्म सोसाइटी इंडिया की स्थापना भी की।
  • वर्ष 1964 से पहले भारत में बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था (संयुक्त राष्ट्र इसे विश्व बाल दिवस के रूप में मनाता है), लेकिन नेहरू की मृत्यु के बाद, उनकी विरासत को सम्मान देने के लिये उनके जन्मदिन को अपनाया गया।
  • उनका मानना ​​था कि "आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे", यह दृष्टिकोण आज भी भारत के युवा नागरिकों के पोषण और शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करता है।
  • संवैधानिक सिद्धांत जो बाल कल्याण के लिये नेहरू के आदर्शों को प्रतिबिंबित करते हैं:
  • अनुच्छेद 21A: 6-14 वर्ष के बच्चों के लिये निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा।
  • अनुच्छेद 24: कारखाने, खदान या खतरनाक व्यवसाय में बाल श्रम का निषेध।
  • अनुच्छेद 39(F): बच्चों के स्वस्थ विकास और शोषण से सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • अनुच्छेद 45: राज्य को छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिये प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा प्रदान करने का निर्देश देता है।
  • इन सिद्धांतों ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 और किशोर न्याय अधिनियम, 2015 जैसे प्रमुख कानूनों की नींव रखी, जो मिलकर बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिये भारत की प्रतिबद्धता को मज़बूत करते हैं।

राष्ट्र निर्माण में जवाहरलाल नेहरू की क्या भूमिका है?

भारत की स्वतंत्रता में भूमिका

  • महात्मा गांधी के प्रभाव से नेहरू स्वतंत्रता आंदोलन में पूरी तरह सक्रिय हो गए।
    • वर्ष 1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर कांग्रेस में भाग लिया और 1919 में होम रूल लीग, इलाहाबाद के सचिव बने।
    • 1912 में उन्होंने बांकीपुर कांग्रेस अधिवेशन में प्रतिनिधि के रूप में हिस्सा लिया तथा वर्ष 1919 में इलाहाबाद की होमरूल लीग के सचिव नियुक्त हुए।
    • उन्होंने वर्ष 1919 में रॉलेट एक्ट का विरोध किया, असहयोग आंदोलन में शामिल हुए और नमक सत्याग्रह तथा भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बार-बार जेल गए।
    • उन्होंने ब्रुसेल्स (1926) में उत्पीड़ित राष्ट्रवादियों के सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
    • वर्ष 1928 में नेहरू ने सर्वदलीय कांग्रेस में भाग लिया और संवैधानिक सुधारों पर नेहरू रिपोर्ट (जो उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर थी) पर हस्ताक्षर किये। 
      • उसी वर्ष उन्होंने ब्रिटिश शासन से पूर्णतः मुक्ति का समर्थन करते हुए 'इंडिया इंडिपेंडेंस लीग' की स्थापना की और इसके महासचिव बने।
    • जवाहरलाल नेहरू को ऐतिहासिक लाहौर अधिवेशन (1929) में कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया, जिसमें पूर्ण स्वराज को राष्ट्रीय लक्ष्य के रूप में अपनाया गया।
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वर्ष 1931 के कराची अधिवेशन के लिये मौलिक अधिकारों और आर्थिक कार्यक्रम पर प्रस्ताव का मसौदा मुख्य रूप से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तैयार किया था। 
  • वर्ष 1940 में विनोबा भावे के बाद जवाहरलाल नेहरू दूसरे व्यक्तिगत सत्याग्रही थे।
  • 15 अगस्त, 1947 को वे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने और ऐतिहासिक “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” भाषण दिया।
  • प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने नए राष्ट्र में लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और वैज्ञानिक विचार को मज़बूत करने के लिये कार्य किया।

आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जवाहरलाल नेहरू

  • नेहरू की आधुनिक और प्रगतिशील भारत की परिकल्पना: विभाजन, सामाजिक तनाव और आर्थिक अव्यवस्था जैसी चुनौतियों से घिरे देश को विरासत में पाने के बावजूद, नेहरू ने एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और दूरदृष्टि से परिपूर्ण भारत का साहसिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
    • उनके नेतृत्व ने राष्ट्र को स्थिरता प्रदान की तथा भारत को एक आधुनिक राज्य के रूप में रूपांतरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • संस्थानों का निर्माण: जवाहरलाल नेहरू ने IIT, ISRO (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) का उत्तराधिकारी, जिसे नेहरू के अधीन स्थापित किया गया था), एम्स और प्रमुख अनुसंधान विश्वविद्यालयों जैसे वैज्ञानिक एवं तकनीकी उत्कृष्टता के संस्थानों का निर्माण करके आधुनिक भारत की नींव रखी। 
  • उनकी दूरदर्शिता ने इंजीनियरिंग, अंतरिक्ष विज्ञान और परमाणु विकास में भारत की क्षमता को मज़बूत किया, जिससे देश आत्मनिर्भरता और बड़े पैमाने पर औद्योगिकीकरण को आगे बढ़ाने में सक्षम हुआ। 
  • इन संस्थानों को अक्सर "आधुनिक भारत का मंदिर" कहा जाता है, जो नवाचार, मानव पूंजी निर्माण और तकनीकी नेतृत्व को आगे बढ़ाते रहते हैं।
  • पंचवर्षीय योजनाओं का परिचय: नेहरू ने 1951 में भारत की पहली पंचवर्षीय योजना शुरू की, जिससे देश को विभाजन के बाद आर्थिक विकास के लिये एक संरचित रोडमैप मिला। 
    • यह योजना कृषि, सिंचाई, खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास पर केंद्रित थी, जिससे भारत को गंभीर रूप से मुद्रास्फीति से उबरने में मदद मिली।
    • इन योजनाओं ने एक दीर्घकालिक योजना ढॉंचा तैयार किया जिसने दशकों तक भारत के विकास का मार्गदर्शन किया।
  • भारत की लोकतांत्रिक नींव को मज़बूत करना: नेहरू लोकतंत्र, समानता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध थे।
    • उन्होंने मौलिक अधिकारों, समानता, धर्मनिरपेक्षता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन  किया।
    • उन्होंने वर्ष 1950 में भारत निर्वाचन आयोग की स्थापना का मार्गदर्शन किया और देश को उसके पहले आम चुनावों (1951-52) के माध्यम से निर्देशित किया, जो उस समय विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव था।
    • लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने यह सुनिश्चित किया कि स्वतंत्र भारत एक स्थिर, समावेशी और संवैधानिक शासन प्रणाली अपनाए।
  • भारत की विदेश नीति को आकार देना: प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू ने अपनी मृत्यु तक विदेश मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सॅंभाला।
    • उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के तनावपूर्ण वैश्विक माहौल में भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की बुनियाद रखी।
    • शीत युद्ध के दौरान किसी भी गुट में न झुकने के उद्देश्य से वे गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के प्रमुख प्रवर्तकों में से एक रहे।
    • उन्होंने वर्ष 1947 में एशियाई संबंध सम्मेलन का नेतृत्व किया, जिसने एशियाई एकजुटता को मज़बूत किया।
    • नेहरू ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों—पंचशील का प्रबल समर्थन किया, जो आज भी भारत की विदेश नीति का मूल आधार बने हुए हैं।
  • अवसंरचना: भाखड़ा-नांगल बाँध, भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला में इस्पात संयंत्र और बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों जैसी प्रमुख अवसंरचना परियोजनाएँ शुरू की गईं।
    • चंडीगढ़ जैसे विकसित आधुनिक शहर और जवाहर लाल नेहरू ने चंडीगढ़ को आधुनिक भारत के चेहरे के रूप में पेश किया।
  • भारत को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित करना: नेहरू ने भारत की कल्पना एक कल्याणकारी राज्य के रूप में की थी जो आर्थिक विकास को सामाजिक न्याय के साथ संतुलित करता हो। 
  • अनियमित पूंजीवाद और कठोर साम्यवाद दोनों को अस्वीकार करते हुए, उन्होंने एक ऐसे मॉडल को बढ़ावा दिया जिसमें राज्य सभी नागरिकों के लिये शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, श्रम अधिकार, सामाजिक सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करता था। 

निष्कर्ष:

बाल दिवस नेहरू का बच्चों के प्रति गहरा स्नेह और आधुनिक भारत के निर्माण में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करता है। उनकी 125वीं जयंती के अवसर पर उनकी दूरदृष्टि आज भी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का मार्गदर्शन करती है। उनकी विरासत हमें याद दिलाती है कि मानव संसाधन में निवेश करना ही भारत की प्रगति की मूल आधारशिला है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न

प्रश्न: भारत की लोकतांत्रिक संरचना और संवैधानिक मूल्यों के निर्माण में जवाहरलाल नेहरू के योगदान का सम्यक् विश्लेषण कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1.भारत में बाल दिवस 14 नवंबर को क्यों मनाया जाता है?
भारत में जवाहरलाल नेहरू (जन्म 14 नवंबर, 1889) की जयंती के उपलक्ष्य में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। नेहरू को प्यार से 'चाचा नेहरू' कहा जाता था और वे बच्चों के कल्याण के प्रति अपने विचारों के लिये जाने जाते थे।

2.कौन-से संवैधानिक प्रावधान बाल कल्याण के लिये नेहरू के आदर्शों को दर्शाते हैं?
प्रमुख प्रावधानों में अनुच्छेद 21A (6-14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा), अनुच्छेद 24 (खतरनाक कारखानों बाल श्रम पर प्रतिबंध), अनुच्छेद 39(f) (बच्चों का स्वस्थ विकास) और अनुच्छेद 45 (प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल) शामिल हैं, जो RTE अधिनियम (2009) और POCSO (2012) जैसे कानूनों का आधार थे।

3."आधुनिक भारत के मंदिर" क्या थे?
यह वाक्यांश नेहरू द्वारा प्रवर्तित प्रमुख संस्थानों जैसे IIT, AIIMS, ISRO, प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और अनुसंधान निकायों को संदर्भित करता है जिनका उद्देश्य वैज्ञानिक क्षमता, मानव पूंजी और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता का निर्माण करना था।

4.नेहरू की पंचवर्षीय योजनाओं ने विभाजन के बाद भारत की चुनौतियों का समाधान किस प्रकार किया?
पहली पंचवर्षीय योजना (1951) में कृषि, सिंचाई और खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई, जिससे विभाजन के बाद की स्थिति से निपटने के लिये एक योजनाबद्ध ढाँचा उपलब्ध हुआ, जिसमें कमी से निपटने, शरणार्थियों के पुनर्वास और ग्रामीण विकास के लिये एक योजनाबद्ध ढाँचा प्रदान किया गया।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वर्ष 1931 में सरदार पटेल की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के कराची अधिवेशन हेतु मौलिक अधिकारों और आर्थिक कार्यक्रम पर संकल्प का मसौदा किसके द्वारा तैयार किया गया? (2010) 

(a) महात्मा गांधी 

(b) पंडित जवाहरलाल नेहरू 

(c) डॉ. राजेंद्र प्रसाद 

(d) डॉ. बी.आर. अंबेडकर 

उत्तर: (b) 

 प्रश्न. 'व्यक्तिगत सत्याग्रह' में विनोबा भावे को पहले सत्याग्रही के रूप में चुना गया था। दूसरा कौन था? (2009) 

(a) डॉ. राजेंद्र प्रसाद 

(b) पंडित जवाहरलाल नेहरू

(c) सी. राजगोपालाचारी

(d) सरदार वल्लभभाई पटेल

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न: संप्रदायवाद और धर्मनिरपेक्षता पर नेहरू की विचारधारा एवं प्रतिक्रिया ने ही आधुनिक ‘सेक्यूलर’ भारत की नींव को मज़बूत किया। विवेचना कीजिये। (2015)

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