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डेली न्यूज़


सामाजिक न्याय

अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस

  • 21 Nov 2019
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

UNICEF, गो ब्लू कैम्पेन

मेन्स के लिये:

बाल अधिकारों से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

विश्व भर में बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता और सुरक्षा के लिये प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस (International Children’s Day) मनाया जाता है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (United Nation Children’s Fund) द्वारा गो ब्लू कैम्पेन (Go Blue Campaign) और ‘भारत में प्रत्येक बच्चे के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन’ (National Summit for Every Child in India) का आयोजन किया गया।
  • गो ब्लू कैम्पेन के तहत विभिन्न राज्यों में महत्त्वपूर्ण इमारतों को नीले रंग से रंगा जायेगा या तो नीली लाइटों से सजाया जायेगा।
  • ‘भारत में प्रत्येक बच्चे के लिये राष्ट्रीय सम्मेलन’ का आयोजन UNICEF द्वारा भारतीय संसद में किया गया, इसमें आने वाली पीढ़ियों के लिये सरकारों, शैक्षणिक संस्थानों और समाज द्वारा सुरक्षित तथा न्यायपूर्ण वातावरण उपलब्ध कराने की बात की गई।
  • इस सम्मेलन में बाल अधिकारों के अभिसमय के अनुच्छेद 30 के तहत बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये अपनी मातृभाषा के साथ अन्य भाषाओं के सीखने पर ज़ोर दिया गया है।
  • सम्मेलन में बच्चों को ‘गुणवत्तापूर्ण ,सस्ती, प्रासंगिक एवं दक्षता प्रदान करने वाली शिक्षा उपलब्ध कराने की बात की गई।
  • बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य के लिये ‘राष्ट्रीय पोषण अभियान’ (National Nutrition Mission) जैसी योजनाओं को और विस्तार देने की बात की गई।

बाल अधिकारों का अभिसमय

(Conventions of Rights of Child):

  • वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक स्तर पर बाल अधिकारों का अभिसमय अपनाया गया।
  • इस अभिसमय में निहित प्रावधान के अनुसार बच्चे माता पिता के संरक्षण में प्रशिक्षणरत भावी वयस्क मात्र नहीं है, सर्वप्रथम वह मनुष्य हैं और उनके अपने अधिकार हैं।
  • बचपन बच्चों का एक विशेष, संरक्षित समय है, जिसमें प्रत्येक बच्चे को समान रूप से बढ़ने, सीखने, खेलने और सर्वांगीण विकास का वातावरण मिलना चाहिये।
  • अभिसमय के तहत 18 वर्ष से कम आयु के प्रत्येक व्यक्ति को एक बच्चे के रूप में मान्यता दी जाती है।
  • यह अभिसमय प्रत्येक बच्चे के नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अधिकारों को निर्धारित करता है।
    • इसके अंतर्गत शिक्षा का अधिकार, विश्राम और सुविधा का अधिकार, मानसिक और शारीरिक शोषण के विरुद्ध अधिकार शामिल हैं।
  • भारत ने वर्ष 1992 में इस अभिसमय पर हस्ताक्षर किये। भारत द्वारा इस दिशा में अपनाए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले-
    • पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्युदर वर्ष 1990 में 117/1000 थी जो वर्ष 2016 में घट कर 39/1000 हो गई।
    • बेहतर पेयजल की सुविधा वर्ष 1992 के 62% से वर्ष 2019 में बढ़कर 92% हो गई है।
    • प्राथमिक स्कूलों में लड़कियों की उपस्थिति दर वर्ष 1992 के 10% से बढ़कर वर्ष 2019 में 61% हो गई है।

अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस

(World Children's Day):

  • अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस विश्व में बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता और कल्याण के लिये 20 नवंबर को मनाया जाता है। यह सबसे पहले वर्ष 1954 में मनाया गया था।
  • इसी तिथि पर वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा बाल अधिकारों के लिये अभिसमय अपनाया गया था।

स्रोत- द हिंदू बिज़नेसलाइन

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