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भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का अवलोकन

  • 30 Mar 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लैंगिक सूचकांक, मत्स्यपालन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, गैर-संक्रामक रोग।

मेन्स के लिये:

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य क्षेत्र, कुष्ठ रोग उन्मूलन।

चर्चा में क्यों?   

हाल ही में संसद में भारत के स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्रों के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ उनके नवीनतम अद्यतनों पर भी चर्चा की गई। 

भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र में अद्यतनीकरण या सुधार:

  • कुष्ठ रोग: 
    • भारत ने सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कुष्ठ रोग को समाप्त कर दिया है, विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ष 2005 में निर्धारित मानदंड में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर एक से कम मामले होने चाहिये।
    • पिछले कुछ वर्षों में राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत शुरू किये गए कई कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप कुष्ठ रोग के नए मामलों की संख्या वर्ष 2014-15 के 1,25,785 से घटकर वर्ष 2021-22 में 75,394 रह गई है।
  • मासिक धर्म स्वच्छता योजना: 
    • वर्तमान में 26 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने मासिक धर्म स्वच्छता योजना को या तो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission- NHM) बजट या NHM एवं राज्य के संयुक्त बजट के साथ लागू किया है।
    • “स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली” (Health Management Information System- HMIS) के आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में लगभग 3.49 मिलियन किशोरियों को हर महीने सैनिटरी नैपकिन पैक प्रदान किये गए।
    • केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत फार्मास्यूटिकल्स विभाग प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना को लागू करता है, जो महिलाओं के लिये स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 
      • इस परियोजना के तहत देश भर में 8,800 से अधिक जन औषधि केंद्र स्थापित किये गए हैं जो 1 रुपए प्रति पैड पर 'सुविधा' नामक ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नैपकिन प्रदान करते हैं।
  • जीवनशैली से जुड़ी बीमारियाँ: 
    • भारत में गैर-संक्रामक रोगों (Non-Communicable Diseases- NCD) का अनुपात वर्ष 1990 के 30.5% से बढ़कर वर्ष 2016 में 55.4% हो गया है।
      • ये आँकड़े वर्ष 2017 भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research-ICMR)- स्टडी रिपोर्ट, इंडिया: हेल्थ ऑफ द नेशन्स स्टेट्स- द इंडिया स्टेट-लेवल डिजीज़ बर्डन इनिशिएटिव (2017) से उद्धृत किये गए थे।
  • भारत में लैंगिक अंतर: 
    • वर्ष 2021 की तुलना में वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2022 में भारत की रैंक में सुधार हुआ है।
      • विश्व आर्थिक मंच द्वारा वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2022 जारी की गई।
      • वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट, 2022 में वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक पर 146 देशों में भारत को 1 में से 0.629 के स्कोर के साथ 135वें स्थान पर रखा गया है।
  • लेड/सीसा का उच्च स्तर:
    • सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के शोध में पाया गया कि भारत में 19 वर्ष से कम आयु के 275 मिलियन बच्चों के रक्त में लेड का स्तर असामान्य रूप से उच्च है, जो प्रति डेसीलीटर पाँच माइक्रोग्राम से अधिक है।
  • असम और बिहार में आर्सेनिक संदूषण के कारण कैंसर:
    • ICMR के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार, वर्ष 2022 में असम में कैंसर के अनुमानित 39,787 मामले तथा बिहार में 109,274 मामले थे। 
      • आर्सेनिक दूषित पीने के जल का लंबे समय तक उपयोग से कई बीमारियाँ होती हैं, मुख्य रूप से त्वचा रंजकता, मोटापा, हथेलियों एवं पैरों के तलवों पर कठोर धब्बे (हाइपरकेराटोसिस) 
      • ये लगभग पाँच वर्षों के न्यूनतम जोखिम के बाद होते हैं तथा त्वचा कैंसर का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा लंबे समय तक आर्सेनिक के संपर्क में रहने से मूत्राशय और फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है।

भारतीय कृषि क्षेत्र में अद्यतन:

  • नवीनतम भूमि उपयोग सांख्यिकी- एक नज़र में वर्ष 2010-11 से 2019-20 के अनुसार, भारत में कृषि योग्य भूमि क्षेत्र वर्ष 2018-19 के 1,80,624 हज़ार हेक्टेयर से घटकर वर्ष 2019-20 में 1,79,993 हज़ार हेक्टेयर हो गया है। 
    • खेती/कृषि योग्य भूमि में मामूली गिरावट मुख्य रूप से गैर-कृषि उद्देश्यों जैसे कि शहरीकरण, सड़कों, हवाई अड्डों, आवास आदि जैसे बुनियादी ढाँचे के निर्माण हेतु भूमि के विचलन के कारण हुई है।
    • जहाँ गैर-कृषि उद्देश्यों के लिये कृषि भूमि में बदलाव हो रहा है, वहीं सरकार द्वारा लागू विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गैर-कृषि भूमि को भी कृषि उपयोग के तहत लाया जा रहा है।  

जलीय कृषि/एक्वाकल्चर में अद्यतन:

  • भारत तीसरा सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है, जो वैश्विक मत्स्य उत्पादन में 8% का योगदान देता है और जलीय कृषि उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। 
    • वर्ष 2021-22 में मत्स्य उत्पादन 16.24 मिलियन टन था जिसमें 4.12 मिलियन टन का समुद्री मत्स्य उत्पादन और जलीय कृषि से 12.12 मिलियन टन उत्पादन शामिल था।  

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन विश्व के देशों के लिये 'सार्वभौम लैंगिक अंतराल सूचकांक (ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स)' का श्रेणीकरण प्रदान करता है? (2017)

(a) विश्व आर्थिक मंच
(b) UN मानव अधिकार परिषद 
(c) UN वुमन
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन

उत्तर: (a)


प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से 'राष्ट्रीय पोषण मिशन (नेशनल न्यूट्रीशन मिशन)' के उद्देश्य हैं? (2017)

  1. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण संबंधी ज़ागरूकता उत्पन्न करना। 
  2. छोटे बच्चों, किशोरियों तथा महिलाओं में रक्ताल्पता की घटना को कम करना। 
  3. बाजरा, मोटा अनाज तथा अपरिष्कृत चावल के उपभोग को बढ़ाना। 
  4. मुर्गी के अंडे के उपभोग को बढ़ाना।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a)  केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) केवल 3 और 4

उत्तर: A

व्याख्या:

  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (पोषण अभियान) महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जो आंँगनवाड़ी सेवाओं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, स्वच्छ-भारत मिशन आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के साथ अभिसरण सुनिश्चित करता है।
  • राष्ट्रीय पोषण मिशन (National Nutrition Mission- NNM) का लक्ष्य वर्ष 2017-18 से शुरू होकर अगले तीन वर्षों के दौरान 0-6 वर्ष तक के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं की पोषण स्थिति में समयबद्ध तरीके से सुधार करना है। अतः कथन 1 सही है।
  • NNM का लक्ष्य स्टंटिंग, अल्पपोषण, रक्ताल्पता/एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोरियों के बीच) को कम करना तथा बच्चों के जन्म के समय कम वज़न की समस्या को दूर करना है। अत: कथन 2 सही है।
  • NNM के तहत बाजरा, अपरिष्कृत चावल, मोटे अनाज और अंडों के उपभोग से संबंधित कोई प्रावधान नहीं है। अत: कथन 3 और 4 सही नहीं हैं।

प्रश्न. "एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है।" विश्लेषण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2021)

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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