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प्लास्टिक के माध्यम से ऊष्मा के निर्बाध निष्कासन हेतु एक नई तकनीक का आविष्कार

  • 22 Aug 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

मिशिगन विश्वविद्यालय (University of Michigan) के सामग्री विज्ञान एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग (Materials Science and Mechanical Engineering) के शोधकर्त्ताओं द्वारा एक ऐसी नई तकनीक का विकास किया गया है जो प्लास्टिक की आणविक संरचना (Molecular Structure) में परिवर्तन कर उससे ऊष्मा के निर्बाध निष्कासन में सहायता कर सकती है। 

नई तकनीक की विशेषता

  • इस नई तकनीक के अंतर्गत एक ऐसी प्रक्रिया का उपयोग किया गया है, जो अणुओं की लंबी श्रंखला से बने प्लास्टिक की प्रकृति को महत्ता देते हुए पदार्थों की संरचना को अभिनियंत्रित करने का काम करती है। 
  • इसके अंतर्गत प्लास्टिक के अणुओं को विस्तृत करने तथा इन्हें मज़बूती प्रदान करने हेतु एक रासायनिक प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है, ताकि प्लास्टिक के माध्यम से ऊष्मा के निष्कासन को एक अधिक स्पष्ट मार्ग प्रदान किया जा सके।
  • वस्तुतः ऐसा करने के लिये शोधकर्त्ताओं द्वारा सर्वप्रथम पॉलीमर अथवा प्लास्टिक के एक नमूने को पानी में डूबोया जाता है, तत्पश्चात् इसका पी.एच. मान बढ़ाने के लिये इसमें कुछ इलेक्ट्रोलाइट्स को मिलाया जाता है, ताकि इसे क्षारीय बनाया जा सके।
  • पॉलीमर श्रृंखला में विद्यमान विशिष्ट संधियों को मोनोमर (Monomers) कहा जाता हैं। ये नकारात्मक चार्ज़ के धारक होते हैं। यही कारण होता है कि ये एक-दूसरे को पीछे हटाने की प्रवृति रखते है। जैसे-जैसे मोनोमर्स अलग-अलग फैलते हैं, ये इस श्रंखला के सख्त खाँचे को ढीला करने लगते हैं।
  • अंत में, स्पिन कास्टिंग (Spin Casting) नामक एक आम औद्योगिक प्रक्रिया का उपयोग करके पानी एवं पॉलीमर मिश्रण को प्लेट्स में फैला दिया जाता है, जोकि इसे एक ठोस प्लास्टिक फिल्म में परिवर्तित कर देता है।
  • प्लास्टिक की ये खुली अथवा असंबद्ध अणु श्रंखलाएँ ऊष्मा को इससे बहुत ही सरल रूप में निष्कासित होने में सहायता प्रदान करती हैं।
  • इस संबंध में शोधकर्त्ताओं द्वारा यह भी पाया गया कि इस प्रक्रिया का एक अन्य लाभ और भी है- यह पॉलीमर श्रंखलाओं को स्थिर करने का काम भी करती है तथा उन्हें एक साथ और अधिक मज़बूती से संबद्ध करके पहले की अपेक्षा और अधिक उष्मा के संवाहक (Thermally Conductive) भी बनाती है।

निष्कर्ष

ध्यातव्य है की इससे पूर्व इस संबंध में किये गए प्रयोगों की तुलना में यह प्रक्रिया अधिक महत्त्वपूर्ण एवं प्रभावी साबित होती है। संभवतः इसका कारण यह है कि इसके अंतर्गत धातु या धातु के सिरेमिक (Metallic or Ceramic) क्षेत्र को प्लास्टिक से संबद्ध करने पर अधिक ध्यान दिया गया है। यह एक बहुत महँगी प्रक्रिया होने के साथ-साथ अवांछनीय तरीके से प्लास्टिक के गुणों में भी परिवर्तन करने में सक्षम है। इस शोध को 'साइंस एडवांस' (Science Advances) जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

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