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शिक्षा क्षेत्र हेतु नई पहलें

  • 30 Jul 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020,  दीक्षा पोर्टल, स्वयं पोर्टल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, निष्ठा

मेन्स के लिये

शिक्षा क्षेत्र में नई पहल : भविष्य में युवाओं के लिये लाभ,  क्षेत्रीय भाषाओँ में शिक्षण का अभिप्राय  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत किये गए सुधारों की पहली वर्षगाँठ के अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक सम्मेलन में शिक्षा क्षेत्र में कई पहलों की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाना है।

प्रमुख बिंदु

एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट:

  • इसे एक डिजिटल बैंक के रूप में परिकल्पित किया गया है जिसमें कॉलेज या यूनिवर्सिटीज के छात्रों का डेटा स्टोर किया जाएगा। यह बहुविषयक और समग्र शिक्षा की सुविधा हेतु एक प्रमुख साधन है। यह उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये कई प्रविष्टियाँ तथा निकास विकल्प प्रदान करेगा।
  • यह युवाओं को भविष्योन्मुखी बनाएगा तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संचालित अर्थव्यवस्था के लिये मार्ग प्रशस्त करेगा।

क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग:

  • देश के आठ राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों में पाँच भारतीय भाषाओं : हिंदी, तमिल, तेलुगू, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने की योजना है।
    • शिक्षण के इस माध्यम से मातृभाषा पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा जिससे गरीब, ग्रामीण और आदिवासी पृष्ठभूमि के छात्रों में आत्मविश्वास उत्पन्न होगा।
    • हाल ही में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद  (AICTE) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किये गए एक सर्वेक्षण में यह पाया कि 42% छात्रों ने क्षेत्रीय भाषाओं में इंजीनियरिंग करने का पक्ष लिया।
  • AICTE  संसाधनों का एक डेटाबेस तैयार कर रहा है ताकि कॉलेजों को क्षेत्रीय भाषाओं में अधिक कार्यक्रम पेश करने की अनुमति मिल सके तथा इंजीनियरिंग सामग्री का 11 भाषाओं में अनुवाद करने हेतु एक उपकरण विकसित किया जा सके।

विद्या प्रवेश और सफल:

  • ग्रेड 1 के छात्रों के लिये तीन महीने का प्ले आधारित स्कूल मॉड्यूल और CBSE स्कूलों में ग्रेड 3, 5 और 8 के लिये एक योग्यता आधारित मूल्यांकन ढाँचा, सफल (स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट फॉर एनालिसिस लर्निंग लेवल) जारी किया जाएगा।

नेशनल डिजिटल एजुकेशन आर्किटेक्चर (NDEAR)

  • यह नए शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में मदद करेगा, जिससे एक डिजिटल नींव तैयार करने में मदद मिलेगी, साथ ही सभी हितधारकों, विशेष रूप से राज्यों और केंद्र को स्व-शासन के लिये बढ़ावा देगा।
  • यह शिक्षाविदों को प्रतिभा और क्षमताओं के आधार पर मूल्यांकन का अवसर प्रदान करता है, जिससे छात्रों को उनकी विशिष्टताओं के क्षेत्र में और अधिक समझने में मदद मिलेगी, जिसका उपयोग उनके भविष्य के पेशे में किया जा सकेगा।

राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच (NETF):

  • यह प्रौद्योगिकी आधारित हस्तक्षेपों पर केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियों को स्वतंत्र साक्ष्य-आधारित सलाह प्रदान करेगा। ज़मीनी स्तर पर शिक्षा में प्रौद्योगिकी की पहुँच में सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
    • स्कूलों को छात्रों को उभरते तकनीकी कौशल सिखाने के लिये योग्य शिक्षकों को भी नियुक्त करना होगा।
  • इस फोरम की स्थापना के बाद शैक्षणिक सामग्री और अनुसंधान को बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग संबंधी कदमों के बारे में स्कूल-वार सूचना मांगी जाएगी।
  • इसे सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा, किंतु बाद के चरण में निजी वित्तपोषण और उद्योग निकायों से समर्थन जुटाया जाएगा।

निष्ठा 2.0:

  • इससे शिक्षकों को उनकी ज़रूरत के मुताबिक प्रशिक्षण मिलेगा और वे अपने सुझाव विभाग को दे सकेंगे। इसमें 12 सामान्य और 56 विषय-विशिष्ट मॉड्यूल सहित 68 मॉड्यूल होंगे तथा इसमें लगभग 10 लाख शिक्षक शामिल होंगे।
    • निष्ठा विश्व में अपनी तरह का पहला सबसे बड़ा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जो छात्रों में आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने के लिये शिक्षकों को प्रेरित तथा सुसज्जित करता है।

एक विषय के रूप में सांकेतिक भाषा:

  • भारतीय सांकेतिक भाषा (Indian Sign Language) को पहली बार भाषा विषय का दर्जा दिया गया है। छात्र इसे एक भाषा के रूप में भी पढ़ सकेंगे।
  • 3 लाख से अधिक छात्र ऐसे हैं जिन्हें अपनी शिक्षा के लिये सांकेतिक भाषा की आवश्यकता है। इससे भारतीय सांकेतिक भाषा को बढ़ावा मिलेगा और दिव्यांगों को मदद मिलेगी।

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स्रोत: पी.आई.बी.

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