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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मेडागास्कर तथा अबू धाबी में नौसैनिक संपर्क पहल

  • 18 Jun 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

हिंद महासागर आयोग, हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र, क्षेत्रीय समुद्री सूचना संलयन केंद्र, होर्मुज़ जलडमरूमध्य में यूरोपीय समुद्री जागरूकता नौसेना 

मेन्स के लिये:

हिंद महासागर आयोग

चर्चा में क्यों:

भारत 'हिंद महासागर आयोग' (Indian Ocean Commission- IOC) में पर्यवेक्षक के रूप शामिल होने के बाद मेडागास्कर तथा अबू धाबी  में स्थित प्रमुख ‘क्षेत्रीय नौसैनिक निगरानी केंद्रों’ में भारतीय नौसेना के ‘संपर्क अधिकारियों’ ( Liaison Officers- LOs) की तैनाती करना चाहता है।

प्रमुख बिंदु:

  • मार्च, 2020 में भारत, ‘हिंद महासागर आयोग’ (Indian Ocean Commision) की सेशल्स में होने वाली मंत्रिपरिषदीय बैठक में ‘पर्यवेक्षक’ के रूप में शामिल हुआ था।
  • भारत 'क्षेत्रीय समुद्री सूचना संलयन केंद्र' (Regional Maritime Information Fusion Centre- RMIFC) मेडागास्कर तथा ‘होर्मुज़ जलडमरूमध्य में यूरोपीय समुद्री जागरूकता नौसेना’( European Maritime Awareness in the Strait of Hormuz- EMASOH), अबू धाबी में अपने संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति करना चाहता है। 

क्षेत्रीय समुद्री सूचना संलयन केंद्र'

(Regional Maritime Information Fusion Centre- RMIFC): 

  • भारत सरकार फ्रांँस के साथ मिलकर काम कर रही हैं ताकि मेडागास्कर स्थित RMIFC में एक नौसेना संपर्क अधिकारी की नियुक्ति की जा सके। 
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि फ्राँस ‘हिंद महासागर आयोग’ का बहुत ही प्रभावी सदस्य है।

‘होर्मुज़ जलडमरूमध्य में यूरोपीय समुद्री जागरूकता नौसेन’

( European Maritime Awareness in the Strait of Hormuz- EMASOH):

  • फ्रांँस द्वारा फारस की खाड़ी तथा होर्मुज़ जलडमरूमध्य की निगरानी के उद्देश्य से EMASOH की शुरुआत की गई थी। यह अबू धाबी (UAE) में फ्रांँसीसी नौसैनिक अड्डे पर आधारित है। इसे फरवरी 2020 में फ्रांँसीसी सशस्त्र बलों द्वारा परिचालन शुरू किया गया था। 
  • इसी प्रकार भारत अबू धाबी में ‘होर्मुज़ जलडमरूमध्य में यूरोपीय समुद्री जागरूकता नौसेना ( European Maritime Awareness in the Strait of Hormuz- EMASOH) में नौ-सेना संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति करना चाहता है।

हिंद महासागर आयोग (Indian Ocean Commission- IOC):

  • IOC एक अंतर-सरकारी संगठन है जो दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र में बेहतर सागरीय-अभिशासन (Maritime Governance) की दिशा में कार्य करता है तथा यह आयोग पश्चिमी हिंद महासागर के द्वीपीय राष्ट्रों को सामूहिक रूप से कार्य करने हेतु मंच प्रदान करता है,  जिसकी स्थापना वर्ष 1984 में की गई थी।
  • इसमें मेडागास्कर, कोमोरोस, ला रियूनियन (फ्रांसीसी विदेशी क्षेत्र), मॉरीशस और सेशल्स शामिल हैं।
  • इससे गुरुग्राम स्थित 'हिंद महासागर क्षेत्र के लिये नौसेना सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR) के क्षेत्र के अन्य IFC से संपर्क सुधारने में मदद मिलेगी। 

‘हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र’

(Information Fusion Centre for Indian Ocean Region- IFC-IOR):

  • भारतीय नौसेना ने दिसंबर, 2018 में गुरुग्राम में सामुद्रिक नौवहन की निगरानी के लिये 'सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र' (Information Management and Analysis Centre- IMAC) के रूप में ‘हिंद महासागर क्षेत्र के लिये सूचना संलयन केंद्र’ की स्थापना की है।
  • IFC-IOR तटीय निगरानी की दिशा में भारतीय नौसेना का मुख्य केंद्र है। IMAC भारतीय नौसेना, तटरक्षक और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की एक संयुक्त पहल है और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (National Security Adviser- NSA) के तहत कार्य करता है।
  • IFC-IOR में फ्रांँस ने सर्वप्रथम LO को तैनात किया है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान, ब्रिटेन सहित कई अन्य देशों ने भी यहाँ LO को तैनात करने की घोषणा की है।
  • यह वैश्विक ‘नौवहन सूचना केंद्रों’ के साथ समन्वय करने का कार्य करता है, जिसमें निम्नलिखित केंद्र शामिल हैं:
    • आभासी क्षेत्रीय समुद्री यातायात केंद्र (Virtual Regional Maritime Traffic Centre- VRMTC);
    • हॉर्न ऑफ अफ्रीका का समुद्री सुरक्षा केंद्र- (Maritime Security Centre-Horn of Africa- MSCHOA);
    • समुद्री डकैती और सशस्त्र डकैती पर क्षेत्रीय सहयोग समझौता (Regional Cooperation Agreement on Combating Piracy and Armed Robbery- ReCAAP);
    • सूचना संलयन केंद्र- सिंगापुर (Information Fusion Centre-Singapore- IFC-SG);
    • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री ब्यूरो-पाइरेसी रिपोर्टिंग केंद्र (International Maritime Bureau-Piracy Reporting Centre- IMB-PRC)। 

निष्कर्ष:

  • पश्चिमी हिंद महासागर के साथ भारत के जुड़ाव से वहाँ के द्वीपों के साथ सामूहिक संबंधता को बढ़ावा मिलेगा, जिसका भारत के लिये रणनीतिक महत्त्व है। इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति को देखते हुए, हाल ही में उठाए गए कदम भारत को अपनी नौसेना की उपस्थिति बढ़ाने  तथा इस क्षेत्र में समुद्री परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करेगा। 

स्रोत: द हिंदू

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