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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

द्वितीय विश्व युद्ध की 75वीं विजय दिवस परेड

  • 18 Jun 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

द्वितीय विश्व युद्ध की 75वीं विजय दिवस परेड

मेन्स के लिये:

भारत-रूस रक्षा संबंध 

चर्चा में क्यों?

द्वितीय विश्व युद्ध में जीत की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर रूस द्वारा मास्को में एक सैन्य परेड का आयोजन किया जाएगा।

प्रमुख बिंदु:

  • रूसी परेड प्रतिवर्ष 9 मई के विजय दिवस पर आयोजित की जाती है, यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि 9 मई, 1945 को नाज़ी जर्मनी सेना का द्वितीय विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण किया था।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने 9 मई, 2020 को रूसी राष्ट्रपति को इस विजय दिवस के अवसर पर बधाई संदेश भेजा है साथ ही भारत इस अवसर पर अपनी त्रि-सेवा दल (Tri-Service Contingent) भेजेगा।
  • COVID-19 महामारी के चलते इस बार की परेड 24 जून, 2020 को आयोजित की जाएगी। 

द्वितीय विश्व युद्ध:

  • द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत वर्ष 1939 में यूरोप में हुई थी तथा सितंबर, 1945 में युद्ध समाप्त हो गया था।
  • यह युद्ध मित्र राष्ट्रों तथा धुरी राष्ट्रों के बीच लड़ा गया था। मित्र देशों की शक्तियों का प्रतिनिधित्व ग्रेट ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांँस आदि ने किया था जबकि जर्मनी, इटली और जापान द्वारा धुरी शक्तियों का नेतृत्व किया गया था।

युद्ध के कारण: 

  • वर्ष 1920 की वर्साय की संधि।
  • फासीवादी शक्तियों (जर्मनी और इटली) द्वारा विस्तारवाद की आक्रामक नीति। 
  • कम्युनिस्ट सोवियत संघ के खिलाफ लड़ने के लिये फासीवादी शक्तियों के प्रति पश्चिमी शक्तियों द्वारा तुष्टिकरण की नीति। 
  • साम्राज्यवादी शक्ति के रूप में जापान का उदय। 
  • रोम-बर्लिन-टोक्यो धुरी।

युद्ध के परिणाम: 

  • यहूदियों की हत्या। 
  • वर्ष 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी के जापानी शहरों पर परमाणु हमले। 
  • द्विध्रुवीय शक्तियों का उदय। 
  • शीत युद्ध की शुरुआत जो वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन तक जारी रहा। 
  • संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना।

भारत-रूस के रक्षा संबंध:

  • भारत के 'मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम' को रूस से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के माध्यम से रक्षा उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • 'व्लादिवोस्तोक शिखर सम्मेलन'- 2019 के बाद दोनों देशों ने सशस्त्र बलों के लिये रसद सहायता एवं सेवाओं में पारस्परिक सहयोग को संस्थागत रूप देने पर सहमति व्यक्त की है।
  • 5वें 'भारत-रूस सैन्य उद्योग सम्मेलन' के दौरान लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में आयोजित डिफेंस-एक्सपो (DefExpo)- 2020 के दौरान दोनों देशों की कंपनियों द्वारा रक्षा उपकरणों की एक श्रृंखला विकसित करने के लिये विभिन्न समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए।
  • वर्ष 2019 में अमेरिकी प्रतिबंधों के खतरे के बावजूद भारत ने 5 बिलियन से अधिक मूल्य की S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के निर्णय प्रक्रिया को बढ़ाया।
  • ब्रह्मोस मिसाइल,  SU-30 एयरक्राफ्ट, T-90 टैंकों के भारत में सह-निर्माण के लिये भी पूर्व में सहयोग स्थापित किया गया है।
  • अभ्यास इंद्र (INDRA):
    • ‘अभ्यास इंद्र’ श्रृंखला की शुरुआत वर्ष 2003 में की गई थी। प्रारंभ में इस अभ्यास की शुरुआत 'एकल सेवा अभ्यास' (Single Service Exercise) के रूप में की  गई थी। हालाँकि वर्ष 2017 में पहली बार संयुक्त ‘त्रिसेवा अभ्यास' (TriServices Exercise) आयोजित किया गया।
    • द्विपक्षीय रूसी-भारतीय नौसैनिक अभ्यास इंद्र नेवी -2018 बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया गया था।
    • इंद्र- 2019 का आयोजन दिसंबर 2019 में बबीना (झाँसी के पास), पुणे और गोवा में एक साथ आयोजित किया गया।

दोनों देशों के मध्य सहयोग के अन्य बहुपक्षीय क्षेत्र :

  • BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका);
  • शंघाई सहयोग सम्मेलन; 
  • परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह;
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद;
  • वन बेल्ट वन रोड;
  • अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा;
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल। 

निष्कर्ष:

भारत तथा रूस के बीच रक्षा क्षेत्र में दीर्घकालिक तथा व्यापक सहयोग रहा है। अमेरिका की चुनौतियों के बावजूद भारत-रूस सैन्य तकनीकी सहयोग एक खरीदार-विक्रेता के ढाँचे से बाहर निकल कर वर्तमान में संयुक्त अनुसंधान, विकास तथा रक्षा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के माध्यम से रक्षा प्रणालियों के उत्पादन की ओर विकसित हुआ है।

स्रोत: पीआईबी

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