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भारतीय अर्थव्यवस्था

विलफुल डिफॉल्टर्स के लिये लुक-आउट सर्कुलर

  • 08 Jun 2024
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विलफुल डिफॉल्टर, NPA, RBI, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB)

मेन्स के लिये:

चुनौतियाँ, विलफुल डिफॉल्टर की रोकथाम, NPA समाधान के प्रावधान, बैंकिंग क्षेत्र, ऋण वसूली से संबंधित मुद्दे और प्रावधान।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

वर्ष 2018 से अब तक छह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) ने विलफुल डिफॉल्टर को अन्य देशों में जाने से रोकने के लिये 1,071 लुक-आउट सर्कुलर (LOC) जारी किये हैं।

  • विलफुल डिफॉल्टर वे होते हैं जानबूझकर अपना ऋण नहीं चुकाते हैं, भले ही वे ऐसा करने में सक्षम हों।

लुक-आउट सर्कुलर (LOC) क्या है?

  • परिचय: 
    • यह नोटिस पुलिस, जाँच एजेंसी या यहाँ तक ​​कि बैंक द्वारा वांछित किसी भी व्यक्ति को निर्दिष्ट भूमि, वायु और समुद्री बंदरगाहों के माध्यम से देश छोड़ने या देश में प्रवेश करने से रोकने के लिये है।
    • गृह मंत्रालय के अधीन आव्रजन ब्यूरो ऐसे व्यक्तियों को देश में प्रवेश करने या देश छोड़ने से रोकने के लिये ज़िम्मेदार है, यदि उनके खिलाफ कोई पूर्व अधिसूचना हो।
      • पूरे देश में कुल 112 आव्रजन जाँच चौकियाँ स्थित हैं।
  • LOC कौन जारी कर सकता है:
  • संशोधन और वैधता:
    • LOC को केवल प्रवर्तक के अनुरोध पर ही संशोधित किया हटाया या वापस लिया जा सकता है।
    • LOC अधिकतम 12 माह तक वैध रहेगी और यदि एजेंसी की ओर से कोई अन्य अनुरोध नहीं आता है, तो इसका स्वतः नवीनीकरण नहीं होगा।
    • आव्रजन ब्यूरो, आव्रजन जाँच चौकियों (Immigration Check Posts- ICP) पर LOC वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करने तथा उन्हें बनाए रखने के लिये ज़िम्मेदार है, जैसा कि मूल एजेंसी द्वारा निर्देश दिया जाता है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ऋण-पत्र जारी करने की शक्ति:
    • इससे पहले, वर्ष 2018 से बैंकों को ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ भी LOC जारी करने का अधिकार दिया गया था जो देश के आर्थिक हितों को संभावित रूप से हानि पहुँचा सकते थे।
    • हालाँकि, हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने निर्णय सुनाया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कथित ऋण चूककर्त्ताओं के खिलाफ LOC जारी नहीं कर सकते हैं, क्योंकि न्यायालय ने इसे किसी कानून या विधान के अभाव में मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है।
      • यह निर्णय 2018 के सरकारी कार्यालय ज्ञापन को पलट देता है, जिसने बैंकों को LOC जारी करने का अधिकार दिया है।

विलफुल डिफॉल्टर्स (Wilful Defaulters) कौन हैं?

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) जानबूझकर चूक करने वालों को ऐसे उधारकर्त्ता के रूप में परिभाषित करता है जो निम्नलिखित मानदंडों में से एक या अधिक को पूरा करते हैं:
    • पर्याप्त धनराशि होने के बावजूद जानबूझ कर बकाया राशि का भुगतान न करना।
    • ऋण राशि को उस उद्देश्य के अलावा अन्य कार्यों में लगाना जिसके लिये उसे उधार लिया गया था।
    • ऋण राशि को इस प्रकार हड़पना (Syphoning) कि वह पुनर्भुगतान के लिये उपलब्ध न हो।
  • न्यूनतम सीमा: किसी उधारकर्त्ता को विलफुल डिफॉल्टर घोषित करने के लिये न्यूनतम ऋण राशि 25 लाख रुपए या उससे अधिक निर्धारित है।
    • बड़े डिफॉल्टर से तात्पर्य ऐसे उधारकर्त्ता से है, जिसका बकाया शेष 1 करोड़ रुपए या उससे अधिक है तथा जिसके खाते को संदिग्ध या घाटे वाली श्रेणी में रखा गया है।

विलफुल डिफॉल्टर्स के आर्थिक निहितार्थ क्या हैं?

  • क्रेडिट बाज़ार प्रभाव:
    • तरलता संबंधी बाधाएँ: विलफुल डिफॉल्टर्स को तरलता संबंधी बाधाओं के कारण नए ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है। ऋणदाता उन्हें नए व्यवसाय के लिये अतिरिक्त ऋण या वित्तपोषण प्रदान करने में संकोच करते हैं।
    • बाज़ार में प्रतिष्ठा: विलफुल डिफॉल्टर्स के रूप में चिह्नित किये जाने से उधारकर्त्ता की प्रतिष्ठा धूमिल होती है तथा भविष्य में पूंजी जुटाने या ऋण प्राप्त करने की उनकी क्षमता प्रभावित होती है।
      • दिसंबर 2023 तक बैंकों ने 353,129 करोड़ रुपए के ऋण वाले 17,713 खातों को विलफुल डिफॉल्ट के रूप में वर्गीकृत किया था।
  • इक्विटी बाज़ार (Equity Markets) और IPO:
  • दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (Insolvency and Bankruptcy Code- IBC):
    • समाधान योजनाओं से बहिष्करण:
      • IBC विशेष रूप से जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों को उस कंपनी के लिये समाधान योजना प्रस्तुत करने से प्रतिबंधित करता है, जिस पर उन्होंने ऋण नहीं चुकाया है।
      • विलफुल डिफॉल्टर्स को समाधान योजनाओं में भाग लेने की अनुमति देने से नैतिक संकट उत्पन्न हो सकता है, ऋणदाताओं को जोखिम में डाला जा सकता है तथा ज़िम्मेदारी से ऋण लेने को हतोत्साहित किया जा सकता है।
  • NPA संचयन:
    • विलफुल डिफॉल्टर्स से बैंकिंग प्रणाली में गैर-निष्पादित आस्तियों (Non-Performing Assets- NPA) में वृद्धि होती है, जिससे बैंक का लाभ और शेयरधारक मूल्य कम हो सकता है, तथा समग्र अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

बैंकों द्वारा विलफुल डिफॉल्टर्स को कैसे रोका जा सकता है?

  • ऋण वसूली न्यायाधिकरण (Debt Recovery Tribunals- DRTs): 
  • IBC और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (National Company Law Tribunal- NCLT): 
  • वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण एवं पुनर्निर्माण तथा प्रवर्तन प्रतिभूति अधिनियम, 2002 का उपयोग:
    • SARFAESI अधिनियम बैंकों को लंबी न्यायालयी प्रक्रियाओं के बिना चूक के मामले में भूमि और भवन जैसी सुरक्षित संपत्तियों पर कब्ज़ा करने का अधिकार देता है। यह भुगतान न करने के परिणामों को तेज़ और अधिक प्रभावी बनाकर चूक होने से रोक सकता है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देश:
    • KYC, धन शोधन रोधी पर RBI के दिशानिर्देश ऋण स्वीकृति से पहले पूरी तरह से जाँच-पड़ताल करने पर ज़ोर देते हैं।
      • KYC के तहत बैंकों को वित्तीय जोखिम या संदिग्ध गतिविधियों वाले व्यक्तियों या व्यवसायों की पहचान करने के लिये उधारकर्त्ताओं की विस्तृत जानकारी एकत्र करनी होती है।
      • धन शोधन रोधी प्रावधानों से संभावित धन शोधन योजनाओं की पहचान करने में सहायता मिलेगी तथा उन लोगों को ऋण देने से बचा जा सकेगा जो जानबूझकर ऋण न चुकाने की योजना बना रहे हों।
  • कानूनी कार्रवाई और काली सूची में डालना: बैंकों को आवश्यकता पड़ने पर विलफुल डिफॉल्टर्स वालों के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही शुरू करनी चाहिये।
    • विलफुल डिफॉल्टर्स को ब्लैकलिस्ट करने से भविष्य में उसके लिये ऋण या निवेश प्राप्त करना बहुत कठिन हो जाएगा, जिससे वह जानबूझकर ऋण न चुकाने से हतोत्साहित हो जाएगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: विलफुल डिफॉल्टर्स के आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण कीजिये तथा जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये एक व्यापक रणनीति का सुझाव दीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के संचालन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. पिछले दशक में भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूँजी के अंतर्वेशन में लगातार वृद्धि हुई है।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सुव्यवस्थित करने के लिये मूल भारतीय स्टेट बैंक के साथ उसके सहयोगी बैंकों का विलय किया गया है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (b)

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