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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

डब्लूटीओ में पुनरक्षित सेवाओं के विषय में क़ानूनी समझौता

  • 25 Feb 2017
  • 5 min read

गौरतलब है कि 23 फरवरी, 2017 को भारत द्वारा स्पष्ट किया गया कि इसने वैश्विक सेवा समझौते (Global Services Pact- GSP) पर विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization - WTO) को क़ानूनी तौर पर पुनरीक्षित प्रस्ताव सौंप दिया है| अन्य बातों के साथ-साथ इस समझौते का उद्देश्य अल्पकालिक कार्य हेतु कुशल कामगारों के सीमापारीय आवागमन के संबंध में मानदंड स्थापित करना है|

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि 14 से 17 मार्च के दौरान जेनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन के मुख्यालय में सेवाओं में व्यापार सरलीकरण समझौते (Trade Facilitation in Services - TFS Agreement) के संबंध में भारत की विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्ताव एक प्रस्तुत किया जाएगा| इसके पश्चात् इस प्रस्ताव को विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्यों के समक्ष विचार-विमर्श के लिये प्रस्तुत किया जाएगा|
  • आधिकारिक स्रोतों के अनुसार, इस प्रस्तावित समझौते का एक उद्देश्य सामाजिक सुरक्षा योगदानों की सहजता, विदेशी निवेश की स्वीकृतियों के लिये सिंगल विंडो प्रक्रिया और मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सीमापारीय बीमा राशि को सुनिश्चित कराना है|
  • अक्तूबर 2016 में भारत द्वारा डब्ल्यूटीओ में प्रस्तावित टीएफएस के सम्बन्ध में एक विचार प्रस्तुत किया गया था, इसके बाद नवम्बर 2016 में इस प्रस्ताव के सभी संभावित बिन्दुओं को भी विचार के लिये रखा गया | 
  • वस्तुतः टीएफएस प्रस्ताव वस्तुओं (Goods) के सम्बन्ध में होने वाला एक व्यापार सरलीकरण समझौता (Trade Facilitation Agreement - TFA)है|
  • भारत के अनुसार, यह प्रस्तावित टीएफएस समझौता भी सरलीकरण के विषय में ही है| इसका उद्देश्य बाज़ारों तक पहुँच को प्रभावी तथा  वाणिज्यिक दृष्टि से अर्थपूर्ण बनाना है, न कि नए अथवा विस्तृत बाज़ार का गठन करना| 
  • हालाँकि, वस्तुओं में टीएफए (TFA in Goods) को विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों द्वारा वर्ष 2014 में ही स्वीकार कर लिया गया था, यह और बात है कि भारत में यह 22 फरवरी 2017 से ही प्रभाव में आया है|
  • विश्व व्यापार संगठन के डायरेक्टर जनरल रोबर्टो अज़ेवेडों (Roberto Azevêdo) के अनुसार, सामानों में टीएफए लागू करने का उद्देश्य सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को सुचारू, साधारण और मानकीकृत बनाना है| क्योंकि ऐसा होने से विश्व में व्यापार की लागत को कम करने में सहायता प्राप्त होगी|

वस्तुओं में टीएफए

  • वर्ष 2030 तक वस्तुओं पर लागू होने वाला यह टीएफए समझौता विश्व की व्यापार की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 2.7% तथा विश्व की जीडीपी दर में लगभग आधे प्रतिशत की बढ़ोतरी करेगा| 
  • स्पष्ट है कि सभी आधुनिक प्रशुल्कों को हटाए जाने से पड़ने वाले प्रभावों की तुलना में टीएफए कहीं अधिक प्रभावी साबित होगा|
  • भारत के अनुसार, यह समझौता बंदरगाहों के प्रभावी संचालन (Effective functioning of Ports) का भी नेतृत्व करेगा जिससे लेन-देन की लागत में कमी (Reduce Transaction Costs) लाने की प्रबल संभावना है|
  • इसके अतिरिक्त इससे रसद (Logistics) में भी सुधार होगा तथा वस्तुओं के व्यापार में तेजी से बढ़ोतरी होगी|
  • इसके अतिरिक्त, चूँकि सभी बंदरगाह आपस में इलेक्ट्रॉनिक रुप से जुड़े हुए हैं अतः हमें बहुत आसानी से वास्तविक समय पर आधारित निर्यात और आयात संबंधी  आँकड़े भी प्राप्त हो सकेंगे|
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