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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कोहाला जलविद्युत परियोजना

  • 06 Jun 2020
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये

कोहाला जलविद्युत परियोजना के बारे में

मेन्स के लिये: 

परियोजना का भारत-चीन संबंधों पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चीन भारत की आपत्ति के बावज़ूद चीन -पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China–Pakistan Economic Corridor- CPEC) के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pakistan-occupied Kashmir-PoK) में 1124 मेगावाट वाली ‘कोहाला जल विद्युत परियोजना’ (Kohala Hydropower Project) को स्थापित करने की योजना बना रहा है। 

प्रमुख बिंदु:

  • चीन द्वारा इस जलविद्युत परियोजना का ब्यौरा पाकिस्तान की ‘प्राइवेट पावर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर बोर्ड’ (Private Power and Infrastructure Board- PPIB) की 127वीं बैठक के दौरान पेश किया गया है।
  • चीन द्वारा इस परियोजना को झेलम नदी पर निर्मित किया जाएगा। 
  • परियोजना का उद्देश्य पाकिस्तान में उपभोक्ताओं के लिये पाँच बिलियन यूनिट से अधिक स्वच्छ और कम लागत वाली बिजली उपलब्ध कराना है।
  • स्वतंत्र बिजली उत्पादक (Independent Power Producer- IPP) के क्षेत्र में  2.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का यह एक बड़ा निवेश है।

चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC):

  • 3,000 किलोमीटर लंबे सीईपीसी का उद्देश्य चीन तथा पाकिस्तान को रेल, सड़क, पाइपलाइन और ऑप्टिकल केबल फाइबर नेटवर्क से जोड़ना है। 
  • यह गलियारा चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ता है, जो चीन को अरब सागर तक पहुँच प्रदान करता है। 
  • सीईपीसी, PoK से भी होकर गुजरता है, जिसपर भारत द्वारा लगातार यह कहते हुए विरोध किया जा रहा है कि PoK में यह आर्थिक गलियारा भारत की संप्रभुता का हनन करता है।

सीईपीसी में भारत का विरोध:

  • कुछ समय पहले ही पाकिस्तान द्वारा चीन को गिलगित-बाल्टिस्तान में एक बांध बनाने का मेगा कॉन्ट्रैक्ट दिये जाने का विरोध भारत द्वारा किया गया था। 
  • भारत का तर्क है कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में ऐसी परियोजनाओं को मंज़ूरी देना उचित नहीं है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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