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कप्पा वेरिएंट: कोविड-19

  • 10 Jul 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कप्पा वैरिएंट, विश्व स्वास्थ्य संगठन

मेन्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विभिन्न कोरोना वायरस वेरिएंट का नामकरण एवं वर्गीकरण तथा इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश में कोविड-19 के कप्पा (Kappa) वेरिएंट के दो मामले दर्ज किये गए हैं।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization-WHO) के अनुसार, ‘कप्पा’ कोविड -19 के दो नवीनतम प्रकारों में से एक है, दूसरा वेरिएंट ‘डेल्टा’ है जिसकी उपस्थिति पहली बार भारत में दर्ज की गई थी।
  • इससे पहले पेरू से एक नए वेरिएंट लैम्ब्डा की सूचना मिली थी।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत द्वारा नोवेल कोरोनावायरस के B.1.617.1 म्यूटेंट को "भारतीय संस्करण" कहे जाने पर आपत्ति जताए जाने के बाद WHO ने ग्रीक वर्णमाला का उपयोग करते हुए कोरोनावायरस के इस संस्करण को 'कप्पा' और B.1.617.2 को 'डेल्टा' नाम दिया था।
    • डेल्टा और कप्पा संस्करण आपस में संबंधित हैं, जिसे पहले डबल म्यूटेंट या B.1.617 कहा जाता था।
    • कप्पा कोविड-19 का नया रूप नहीं है बल्कि WHO के अनुसार अक्तूबर 2020 में इस वेरिएंट की पहचान सबसे पहले भारत में हुई थी।
    • वर्तमान में यह WHO द्वारा 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' के रूप में सूचीबद्ध है न कि 'वेरिएंट ऑफ कंसर्न' के रूप में में।

वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट:

  • इस श्रेणी में उन वेरिएंट्स को शामिल किया जाता है जिनमें शामिल आनुवंशिक परिवर्तन पूर्णतः अनुमानित होते हैं और उन्हें संचारण क्षमता, रोग की गंभीरता या प्रतिरक्षा क्षमता को प्रभावित करने के लिये जाना जाता है
  • ये वेरिएंट्स कई देशों और जनसंख्या समूहों के बीच महत्त्वपूर्ण सामुदायिक प्रसारण का कारण होते हैं। समय के साथ मामलों की बढ़ती संख्या या अन्य स्पष्ट महामारी विज्ञान प्रभावों के साथ-साथ वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये एक उभरते जोखिम का सुझाव देने के उद्देश्य से इनकी की पहचान की जाती है।

Variants

वेरिएंट ऑफ कंसर्न:

  • वायरस के इस वेरिएंट के परिणामस्वरूप संक्रामकता में वृद्धि, अधिक गंभीर बीमारी (जैसे- अस्पताल में भर्ती या मृत्यु हो जाना), पिछले संक्रमण या टीकाकरण के दौरान उत्पन्न एंटीबॉडी में महत्त्वपूर्ण कमी, उपचार या टीके की प्रभावशीलता में कमी या नैदानिक उपचार की विफलता देखने को मिलती है।
  • अब तक ऐसे चार वेरिएंट (अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा) हैं,  जिन्हें  ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ के रूप में नामित किया गया है और इन्हें बड़ा खतरा माना जाता है।
    • इन सभी का हाल ही में ग्रीक वर्णमाला के अक्षरों के नाम पर नामकरण किया गया है,  ताकि किसी एक विशिष्ट देश के साथ जुड़ाव से बचा जा सके।

चिंताएँ:

  • कप्पा वेरिएंट कोई नया खतरा नहीं है और यह पहले भी उत्तर प्रदेश से एकत्र किए गए नमूनों में पाया गया था। कोविड वायरस का नया वेरिएंट न होने के कारण यह राज्य के लिये चिंता का विषय नहीं हैं।
  • पहले भी इसे डेल्टा वेरिएंट की तुलना में कम खतरनाक माना जा चुका है।

आगे की राह:

  • भारत, जो अभी भी महामारी दूसरी लहर से उबर रहा है, को सक्रिय रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी नए संस्करण (वेरिएंट) के प्रसार को रोका जा सके।
  • भारतीय विश्वविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों और जैव प्रौद्योगिकी कंपनियों में व्यापक अनुसंधान आयोजित किये जाने तथा उन्हें वित्तपोषित, प्रोत्साहित एवं पुरस्कृत किये जाने की आवश्यकता है।
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