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जैव विविधता और पर्यावरण

अदृश्य E-अपशिष्ट

  • 14 Oct 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अदृश्य E-अपशिष्ट, अपशिष्ट विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (WEEE), संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (UNITAR), E-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम- 2016, विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) 

मेन्स के लिये:

अदृश्य E-अपशिष्ट, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन के संबंध में चिंताएँ

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय E-अपशिष्ट दिवस (14 अक्तूबर) के अवसर पर ब्रुसेल्स स्थित अपशिष्ट विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (WEEE) फोरम ने अदृश्य E-अपशिष्ट वस्तुओं की वार्षिक मात्रा की गणना करने के लिये संयुक्त राष्ट्र प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (UNITAR) को नियुक्त किया।

  • अदृश्य E-अपशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट को संदर्भित करता है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है, साथ ही इसके उपभोक्ता इसकी पुनर्चक्रण योग्य क्षमता को नज़रअंदाज कर देते हैं।
  • इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाले कई इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ, जैसे- केबल, ई-खिलौने, ई-सिगरेट, ई-बाइक, विद्युत उपकरण, स्मोक डिटेक्टर, USB स्टिक, पहनने योग्य स्वास्थ्य उपकरण और स्मार्ट होम गैजेट आदि हैं।

WEEE फोरम:

  • यह 'अपशिष्ट विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण' (या संक्षेप में 'WEEE') के प्रबंधन से संबंधित परिचालन जानकारी के संबंध में विश्व का सबसे बड़ा बहुराष्ट्रीय क्षमता केंद्र है।
  • यह विश्व भर के 46 WEEE उत्पादक उत्तरदायित्व संगठनों का एक गैर-लाभकारी संघ है और इसकी स्थापना अप्रैल 2002 में हुई थी।
  • WEEE फोरम अपने सदस्यों को सर्वोत्तम अभ्यास के आदान-प्रदान और अपने प्रतिष्ठित ज्ञान आधार टूलकिट तक पहुँच के माध्यम से अपने संचालन में सुधार करने तथा स्वयं को परिपत्र अर्थव्यवस्था के प्रवर्तकों के रूप में स्थापित करने का अवसर देता है।

अध्ययन के मुख्य तथ्य:

  • अदृश्य ई-अपशिष्ट की मात्रा:   
    • उपभोक्ता वार्षिक वैश्विक कुल लगभग 9 अरब किलोग्राम इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट के लगभग छठे हिस्से की पहचान नहीं कर पाते हैं।
    • लगभग 35% अदृश्य ई-अपशिष्ट (लगभग 3.2 बिलियन किलोग्राम) ई-टॉय श्रेणी से आता है, जिसमें रेस कार सेट, इलेक्ट्रिक ट्रेन, ड्रोन और बाइकिंग कंप्यूटर शामिल हैं।
    • एक अनुमान के अनुसार, प्रतिवर्ष 844 मिलियन वेपिंग उपकरण त्याग दिये जाते हैं, जो अदृश्य ई-अपशिष्ट की वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
  • अदृश्य ई-अपशिष्ट का मूल्य:
    • अदृश्य ई-अपशिष्ट का भौतिक मूल्य प्रत्येक वर्ष लगभग 9.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर होता है, जो मुख्य रूप से लोहे, तांबे और सोने जैसे घटकों के कारण इसके आर्थिक महत्त्व को दर्शाता है।
  • वैश्विक ई-अपशिष्ट प्रबंधन और पुनर्चक्रण चुनौतियाँ:
    • विश्व स्तर पर ई-अपशिष्ट का केवल एक छोटा-सा हिस्सा ही उचित रूप से एकत्र, उपचारित और पुनर्चक्रित किया जाता है।
      • यूरोप में उत्पन्न ई-अपशिष्ट का 55 प्रतिशत अब आधिकारिक तौर पर एकत्र और रिपोर्ट किया जाता है। फिर भी विश्व के अन्य हिस्सों में रिपोर्ट की गई औसत संग्रह दर 17 प्रतिशत से कुछ अधिक है।
    • अधिकांश कूड़ा-कचरा कूड़े के ढेर में डाल दिया जाता है, जला दिया जाता है, अवैध रूप से व्यापार किया जाता है, अनुचित तरीके से व्यवहार किया जाता है, या घरों में जमा कर दिया जाता है।
    • जन जागरूकता की कमी के कारण विश्व के विभिन्न हिस्सों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिये चक्रीय अर्थव्यवस्था विकसित करने के प्रयासों में बाधा आती है, जिससे ई-अपशिष्ट प्रबंधन के लिये वैश्विक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है।
  • पर्यावरणीय चिंता:
    • अदृश्य ई-अपशिष्ट का अनुचित निपटान एक बड़ा पर्यावरणीय जोखिम उत्पन्न करता है, क्योंकि इन वस्तुओं में खतरनाक घटक, जैसे- सीसा, पारा और कैडमियम पाए जाते है, यदि ये उचित रूप से प्रबंधित नहीं किये गए तो मृदा एवं जल को दूषित कर सकते हैं।
  • सिफारिशें:
    • अदृश्य ई-अपशिष्ट एक अप्रयुक्त संसाधन का प्रतिनिधित्व करता है, अतः आर्थिक सुधार की क्षमता और इन मूल्यवान संसाधनों के पुनर्चक्रण के बारे में जागरूकता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।
      • उत्पन्न वैश्विक ई-अपशिष्ट में कच्चे माल का मूल्य वर्ष 2019 में अनुमानित 57 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। कुल मूल्य का प्रतिवर्ष छठा हिस्सा या 9.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की सामग्री अदृश्य ई-अपशिष्ट की श्रेणी में आती है।
    • पुनर्चक्रण क्षमता को बढ़ाने और नवीकरणीय ऊर्जा, विद्युत गतिशीलता, उद्योग, संचार, एयरोस्पेस एवं रक्षा जैसे विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों में सामग्रियों की बढ़ती मांग को पूरा करने हेतु जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।

भारत में ई-अपशिष्ट के संबंध में प्रावधान:

  • ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 को वर्ष 2017 में अधिनियमित किया गया था, जिसमें नियम के दायरे में 21 से अधिक उत्पाद (अनुसूची- I) शामिल थे। इसमें कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप (CFL) तथा अन्य पारा युक्त लैंप, साथ ही ऐसे अन्य उपकरण शामिल थे।
  • वर्ष 2011 में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 द्वारा शासित 2010 के ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) विनियमों से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण नोटिस जारी किया गया था।
  • भारत सरकार ने ई-अपशिष्ट प्रबंधन प्रक्रिया को डिजिटल बनाने और दृश्यता बढ़ाने के प्रमुख उद्देश्य के साथ ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022 अधिसूचित किया।
    • यह विद्युत तथा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में खतरनाक पदार्थों (जैसे- सीसा, पारा और कैडमियम) के उपयोग को भी प्रतिबंधित करता है, जो मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
  • जमा वापसी योजना (Deposit Refund Scheme) को एक अतिरिक्त आर्थिक साधन के रूप में पेश किया गया है जिसमें निर्माता बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बिक्री के समय जमा के रूप में एक अतिरिक्त राशि लेता है और इसे उपभोक्ता को ब्याज के साथ तब वापस करता है जब अंत में बिजली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण वापस कर दिये जाते हैं।

निष्कर्ष: 

  • सतत् अपशिष्ट प्रबंधन तथा पर्यावरण संरक्षण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिये "अदृश्य ई-अपशिष्ट" के मुद्दे का समाधान करना अत्यावश्यक है।
  • अक्सर नज़रअंदाज की जाने वाली इन इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की पुनर्चक्रण क्षमता के बारे में जागरूकता बढ़ाना उनके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने, चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और ज़िम्मेदार पुनर्चक्रण पहल के माध्यम से उनके आर्थिक मूल्य को उजागर करने के लिये आवश्यक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे और फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्रा का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018)

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