इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


जैव विविधता और पर्यावरण

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संरक्षित क्षेत्र कॉन्ग्रेस

  • 09 Feb 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में जैविक विविधता, CCAMLR, समुद्री संरक्षित क्षेत्रों पर अभिसमय हेतु पक्षकारों का सम्मेलन।

मेन्स के लिये:

समुद्री संरक्षित क्षेत्र।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (Marine Protected Areas- MPA) के फंडिंग गैप के समाधानों पर चर्चा करने हेतु कनाडा में 5वीं अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संरक्षित क्षेत्र कॉन्ग्रेस (International Marine Protected Areas Congress- IMPAC5) आयोजित की गई।

नोट: कनाडा तीन महासागरों- प्रशांत, आर्कटिक और अटलांटिक से घिरा हुआ है और इसकी दुनिया में सबसे लंबी तटरेखा है।

प्रमुख बिंदु

  • सतत् और लचीला/सुनम्य MPA नेटवर्क:
    • कम-से-कम 70% MPA अंडरफंडेड हैं। एक अच्छी तरह से प्रबंधित और पर्याप्त रूप से वित्तपोषित MPA कमज़ोर पारिस्थितिक तंत्र को स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र के रूप में बहाल कर सकता है।
    • टिकाऊ और लचीला MPA नेटवर्क प्राप्त करना सुरक्षा, नेतृत्त्व, हितधारकों, संस्थानों, सरकारों तथा संगठनों, स्थानीय लोगों, तटीय समुदायों एवं व्यक्तियों के साथ समावेशी व न्यायसंगत तरीके से महासागर संरक्षण को आगे बढ़ाने की समग्र प्रतिबद्धता पर निर्भर करता है।
    • IMPAC5 का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के विचारों के आदान-प्रदान के लिये खुले और सम्मानजनक वातावरण में ज्ञान, सफलताओं एवं सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिये एक मंच प्रदान करना है।
  • MPA का महत्त्व:
    • MPAs अपने स्वयं के प्रबंधन के लिये स्थायी राजस्व उत्पन्न कर सकते हैं।
    • पर्यटन कार्यक्रमों के लिये वैधानिक और गैर-सांविधिक MPA शुल्क, मैंग्रोव संरक्षण से उत्पन्न ब्लू कार्बन क्रेडिट एवं वनों की कटाई से बचने के साथ-साथ समुद्री शैवाल की खेती तथा टिकाऊ तटीय मत्स्यपालन से राजस्व उत्पन्न किया जा सकता है।

समुद्री संरक्षित क्षेत्र:

  • परिचय:
    • MPAs महासागर के निर्दिष्ट क्षेत्र हैं जिसके समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और उनकी जैवविविधता की सुरक्षा और संरक्षण किया जा रहा है।
    • विशिष्ट संरक्षण, आवास संरक्षण, पारिस्थितिक तंत्र निगरानी अथवा मत्स्य प्रबंधन संबंधी उद्देश्यों को पूरा करने के लिये क्षेत्र के भीतर कुछ गतिविधियाँ सीमित अथवा पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं।
    • MPA के तहत मछली पकड़ने, अनुसंधान और अन्य मानवीय गतिविधियों को हमेशा प्रतिबंधित नहीं किया जाता है; वास्तव में कई MPAs विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
  • MPAs की स्थापना की आवश्यकता:
    • जैवविविधता संरक्षण:
      • MPAs समुद्री प्रजातियों की विविधता और उनके आवासों को संरक्षित करने में मदद करते हैं, समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं, जैसे कि भोजन और ऑक्सीजन के उत्पादन को संरक्षित करते हैं।
    • सतत् मत्स्यपालन:
      • MPAs मछली पकड़ने की गतिविधियों को विनियमित करने और ओवरफिशिंग को रोकने में मदद कर सकते हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि मछली की उचित आबादी बनी रहे ताकि सतत् मछली पालन की स्थायी प्रथाओं को सहयोग मिलता रहे।
    • जलवायु परिवर्तन शमन:
      • MPAs कार्बन सिंक के रूप में काम कर सकते हैं, वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित और संग्रहीत करने में मदद करते हैं तथा समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करते हैं।
    • अनुसंधान और शिक्षा:
      • MPAs वैज्ञानिक अनुसंधान और शैक्षिक गतिविधियों के लिये बहुमूल्य अवसर प्रदान कर सकते हैं, समुद्री पर्यावरण के प्रति हमारी समझ बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
    • आर्थिक लाभ:
      • MPAs पर्यटकों को आकर्षित कर स्थायी पर्यटन और मनोरंजन के अवसर प्रदान करने तथा स्थानीय मछली पकड़ने वाले समुदायों का समर्थन कर स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में योगदान कर सकते हैं।
  • संधियाँ, अभिसमय और समझौते:
    • काला सागर, भूमध्य सागर और सन्निहित अटलांटिक क्षेत्र के केटेशियन के संरक्षण पर समझौता:
      • इसका उद्देश्य केटेशियन के संरक्षण के लिये विशेष रूप से संरक्षित क्षेत्रों' का एक नेटवर्क स्थापित करना है। यह राष्ट्रीय जल में केटेशियन की हत्या पर रोक लगाता है।
    • बर्न अभिसमय:
      • इसे वर्ष 1979 में यूरोपीय समुदाय परिषद के तत्त्वावधान में तैयार किया गया था, यह वर्ष 1982 से लागू है और इसमें यूरोपीय राज्य शामिल हैं।
    • CITES:
    • यूरोपीय संघ आवास निर्देश:
      • वर्ष 1992 में यूरोपीय समुदाय परिषद द्वारा तैयार किया गया यूरोपीय संघ आवास निर्देश यूरोपीय संघ के सभी राज्यों पर लागू होता है, जिसमें अज़ोरेस और मदीरा (पुर्तगाल का हिस्सा) तथा कैनरी द्वीप समूह शामिल हैं।
    • अंटार्कटिक समुद्री जीवित संसाधनों के संरक्षण के लिये आयोग (CCAMLR):
      • समुद्री जीवित संसाधनों की चिंताओं के मद्देनज़र अंटार्कटिक समुद्री जीवित संसाधनों के संरक्षण के लिये आयोग (CCAMLR) एक बहुपक्षीय प्रतिक्रिया है जो दक्षिणी महासागर के वातावरण को प्रभावित करते हुए क्रिल जैसे जीवों की स्थिति को प्रभावित कर सकता है। इससे भोजन के लिये क्रिल पर निर्भर रहने वाले समुद्री पक्षी, सील, व्हेल तथा मछली भी प्रभावित हो सकते हैं।

भारत में समुद्री संरक्षित क्षेत्र:

  • भारत में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत नामित 33 राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य हैं जो देश के MPA का निर्माण करते हैं।
  • कच्छ की खाड़ी में समुद्री राष्ट्रीय उद्यान और समुद्री अभयारण्य एक इकाई बनाते हैं तथा भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान एवं भितरकनिका अभयारण्य MPA के अभिन्न अंग हैं। इस प्रकार भारत में कुल 31 MPA हैं।
  • MPAs भारत के सभी संरक्षित क्षेत्रों के कुल क्षेत्रफल के 4.01% से कम हिस्से को कवर करते हैं।

marine-protected-area-in-india

IMPAC:

  • IMPAC कॉन्ग्रेस प्रकृति के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) और चुने हुए मेज़बान देश के बीच एक सहयोगी प्रयास है।
  • MPAs के प्रबंधन में नवीनतम वैज्ञानिक ज्ञान, सर्वोत्तम प्रथाओं और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिये कॉन्ग्रेस दुनिया भर के वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, चिकित्सकों तथा हितधारकों को एक साथ लाती है।
  • IMPAC का लक्ष्य विश्व की समुद्री जैवविविधता के संरक्षण और सतत् उपयोग को आगे बढ़ाना है तथा समुद्री संरक्षण एवं प्रबंधन के लिये जैविक विविधता के लक्ष्यों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के कार्यान्वयन का समर्थन करना है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2