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शासन व्यवस्था

भारत के विद्युत बाज़ार का केंद्रीकरण

  • 30 Jan 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

यूरोपीय संघ, बाज़ार आधारित आर्थिक प्रेषण (MBED), वन नेशन वन ग्रिड वन फ्रीक्वेंसी वन प्राइस, इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, 2003, विद्युत वितरण कंपनियाँ (DISCOMs), नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स।

मेन्स के लिये:

बाज़ार आधारित आर्थिक प्रेषण (MBED) मॉडल, MBED के केंद्रीकृत मॉडल से संबंद्ध चिंताएँ।

चर्चा में क्यों?

भारत अपनी विद्युत बाज़ार प्रणाली को विकेंद्रीकृत, स्वैच्छिक और अल्पकालिक बाज़ार से एक अनिवार्य पूल मॉडल में बदल रहा है जो निश्चित मूल्य अनुबंधों को समाप्त करता है, जबकि यूरोपीय संघ इसके विपरीत नीतियाँ अपना रहा है।

विद्युत बाज़ार से संबंधित यूरोपीय संघ की नीति:

  • यूरोपीय संघ अपने विद्युत बाज़ार में परिवर्तन कर रहा है क्योंकि गैस की कमी के कारण वर्ष 2022 में विद्युत की कीमतें काफी बढ़ गई हैं।
    • कीमतें उच्च इसलिये हुईं क्योंकि विद्युत की कीमतें सबसे महँगे विद्युत संयंत्र आमतौर पर गैस संयंत्र द्वारा निर्धारित की जाती हैं।
  • यूरोपीय आयोग विद्युत संयंत्रों द्वारा विद्युत बेचने के विभिन्न तरीकों पर विचार कर रहा है।
    • वे दीर्घकालिक अनुबंधों का उपयोग करना चाहते हैं जो विद्युत संयंत्रों को उनकी विद्युत के लिये एक निश्चित मूल्य देते हैं।
    • इससे घरों और व्यवसायों के लिये विद्युत की कीमतों को अधिक स्थिर बनाने में मदद मिलेगी।

भारत का नया बाज़ार-आधारित आर्थिक प्रेषण (MBED) मॉडल:

  • भारत MBED तंत्र नामक एक नया विद्युत बाज़ार मॉडल विकसित कर रहा है।
    • यह देश की लगभग 1,400 बिलियन यूनिट की वार्षिक विद्युत खपत को प्रेषण के लिये केंद्रीकृत करेगा।
  • MBED केंद्र के 'वन नेशन, वन ग्रिड, वन फ्रीक्वेंसी, वन प्राइस' फॉर्मूले के अनुरूप विद्युत बाज़ारों को बढ़ावा देने का एक तरीका है।
    • यह सुनिश्चित करेगा कि पूरे तंत्र की मांग को पूरा करने के लिये देश भर में सबसे सस्ते विद्युत उत्पादन संसाधनों की आपूर्ति की जाए और इसलिये यह वितरण कंपनियों एवं जनरेटर दोनों के लिये फायदेमंद होगा। साथ ही इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को बचत भी होगी।
    • यह विकेंद्रीकृत मॉडल स्पष्ट बदलाव को भी चिह्नित करेगा जो विद्युत अधिनियम, 2003 द्वारा समर्थित है।
  • वर्तमान में विद्युत ग्रिड को राज्य लोड डिस्पैच सेंटर (SLDC) द्वारा प्रबंधित राज्य-वार स्वायत्त नियंत्रण क्षेत्रों में बाँटा गया है जिनका पर्यवेक्षण क्षेत्रीय लोड डिस्पैच सेंटर (RLDC) और नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर (NLDC) द्वारा किया जाता है।
    • MBED मॉडल राज्य के भीतर और एक राज्य से दूसरे राज्य दोनों में विद्युत प्रेषण का एक केंद्रीकृत समय-निर्धारण प्रस्तावित करता है। यह नया मॉडल मौजूदा विकल्पों और डिस्कॉम को सीमित कर देगा तथा स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर को वास्तविक समय में बिजली खरीदनी या बेचनी होगी, भले ही यह मांग को संतुलित करने के लिये ही क्यों न हो।
  • GNA (जनरल नेटवर्क एक्सेस), जो अधिक खुला और अनुकूलनीय है, को भारत में ऊर्जा ग्रिड के लिये दिशा-निर्देशों के एक नए सेट के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।

MBED के केंद्रीकृत मॉडल से जुड़ी चिंताएँ:

  • राज्य की स्वायत्तता पर प्रभाव: MBED का राज्यों के विद्युत क्षेत्र के प्रबंधन में सापेक्ष स्वायत्तता पर प्रभाव पड़ेगा, जिसमें उनके स्वयं के उत्पादन केंद्र भी शामिल हैं और यह राज्य के स्वामित्त्व वाली ज़्यादातर बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) को पूरी तरह से केंद्रीकृत तंत्र पर निर्भर कर देगा।
  • उभरते हुए विकेंद्रीकृत बाज़ार के साथ टकराव: यह नए बाज़ार के विकास में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कर सकता है, जैसे कुल ऊर्जा उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार और पॉवर ग्रिड से जुड़ने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में वृद्धि आदि।
    • प्रभावी ग्रिड प्रशासन और संचालन के लिये वास्तव में बाज़ारों और स्वैच्छिक पूलों के व्यापक विकेंद्रीकरण की आवश्यकता है।
  • ग्रे क्षेत्र: कुछ विद्युत संयंत्र, जैसे मुंबई में ट्रॉम्बे TPS और NCR क्षेत्र में दादरी TPS को बंद करने के लिये मजबूर किया जाएगा।
    • ये पावर स्टेशन मुंबई या दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों में सुरक्षित आपूर्ति और ग्रिड फेल होने की स्थिति में संचालन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

आगे की राह

  • विद्युत भारतीय संविधान की समवर्ती सूची का विषय है, अतः नए मॉडल के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये राज्यों की सिफारिशों पर विचार किया जाना चाहिये।
  • सिक्योरिटी कांस्ट्रेंड इकोनॉमिक डिस्पैच (SCED), NLDC द्वारा विकसित एक एल्गोरिथम संभावित समाधान हो सकता है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रव्यापी आधार पर निर्धारित निर्णयों पर सूचित करने में नियामकों की सहायता करना है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2019)

  1. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (PNGRB) भारत सरकार द्वारा स्थापित पहला नियामक निकाय है।
  2. PNGRB के कार्यों में से एक गैस के लिये प्रतिस्पर्द्धी बाज़ार सुनिश्चित करना है।
  3. PNGRB के विद्युत फैसलों के खिलाफ अपील अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा सरकार की एक योजना 'उदय'(UDAY) का उद्देश्य है? (2016)

(a) ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के क्षेत्र में स्टार्टअप उद्यमियों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
(b) वर्ष 2018 तक देश के हर घर में विद्युत पहुँचाना।
(c) कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों को समय के साथ प्राकृतिक गैस, परमाणु, सौर, पवन और ज्वारीय विद्युत संयंत्रों से बदलना।
(d) विद्युत वितरण कंपनियों के बदलाव और पुनरुद्धार के लिये वित्त प्रदान करना।

उत्तर: (d)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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