इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भूगोल

भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई मानसून में समानता

  • 08 May 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

जीवाश्म पत्तों (Fossil Leaves) के आधार पर किये गए एक हालिया अध्ययन के अनुसार, 25 मिलियन वर्ष पूर्व भारतीय मानसून, ऑस्ट्रेलिया के वर्तमान से समानता रखता था।

  • भारतीय मानसून की पूर्ववर्ती गतिशीलता को समझते हुए भविष्य में मानसून की भविष्यवाणी करने के लिये जलवायु मॉडलिंग (Climate Modelling) में मदद मिलेगी।

प्रमुख बिंदु: 

अध्ययन के विषय में:

  • इस अध्ययन में दक्कन ज्वालामुखी प्रांत, मेघालय के पूर्वी गारो हिल्स, राजस्थान में गुरहा खदान और असम में माकुम कोलफील्ड से एकत्र किये गए विभिन्न भूवैज्ञानिक अवधियों की जीवाश्म पत्तियों के रूपात्मक विशेषताओं का विश्लेषण किया गया।
    • पत्तियों की रूपात्मक विशेषताएँ जैसे- शीर्ष, आधार और उसकी आकृति आदि वर्ष भर आने वाले सभी मौसमों में पारिस्थितिक रूप से विद्यमान जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप पाई गई हैं।
  • अध्ययन में प्राप्त संकेत इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि भारत में प्राप्त जीवाश्म पत्तियांँ भारत की वर्तमान मानसून प्रणाली के अनुकूल न होकर ऑस्ट्रेलियाई मानसून के अनुकूल थीं।
    • भारत के गोंडवाना से अलग होने के बाद, इसने दक्षिणी गोलार्द्ध से उत्तर की तरफ 9000 किलोमीटर की यात्रा की तथा इसकी वर्तमान स्थिति और इसके यूरेशिया के साथ जुड़ने में 160 मिलियन वर्ष का समय लगा।
  • पुनर्निर्मित तापमान डेटा बताते हैं कि अध्ययन में शामिल किये गए सभी जीवाश्म स्थलों (उष्णकटिबंधीय से उपोष्णकटिबंधीय) की जलवायु गर्म थी तथा जीवाश्म स्थलों के तापमान में 16.3 से 21.3 डिग्री सेल्सियस की भिन्नता देखी गई।
  • सभी जीवाश्म स्थलों में वर्षा का उच्च स्तर विद्यमान था, जिसमे 191.6 सेमी से 232 सेमी तक भिन्नता देखी गई।

गोंडवाना से भारत का अलग होना:

  • 140 मिलियन वर्ष से अधिक समय पहले, भारत गोंडवाना (Gondwana) नामक विशाल भू-भाग का हिस्सा था।
    • वर्तमान दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया भी गोंडवाना का हिस्सा थे ।
    • टेथिस महासागर- जोकि एक विशाल जलीय भू-भाग था, ने गोंडवाना को यूरेशिया से अलग कर दिया।
  • जब इस विशाल भू-भाग का विभाजन हुआ तो एक विवर्तनिक प्लेट (Tectonic Plate) से भारत और आधुनिक मेडागास्कर का निर्माण हुआ ।
  • फिर, भारत मेडागास्कर से अलग हुआ तथा लगभग 20 सेमी/वर्ष की गति के साथ उत्तर-पूर्व की ओर आगे बढ़ा।
  • हिमालय की उत्पत्ति के समय लगभग 50 मिलियन वर्ष पूर्व यह महाद्वीप यूरेशिया से टकराया।
  • भारत अभी भी उसी दिशा में बढ़ रहा है लेकिन यूरेशियन प्लेट के प्रतिरोध के कारण वर्तमान में इसकी गति लगभग 4 सेमी/वर्ष है।

Tectonic-Plate

भारतीय मानसून:

  • भारतीय जलवायु को 'मानसूनी' प्रकार की जलवायु के रूप में वर्णित किया गया है। एशिया में, इस प्रकार की जलवायु मुख्य रूप से दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में पाई जाती है।
  • भारत में मौसम को कुल चार हिस्सों में विभाजित किया जाता है, जिसमें से 2 मानसून से संबंधित हैं:
    • दक्षिण-पश्चिम मानसून (Southwest Monsoon)- दक्षिण-पश्चिम मानसून से होने वाली वर्षा ‘मौसमी’ प्रकृति की होती है, जो जून और सितंबर के मध्य देखी जाती है।
    • मानसून का निवर्तन (Retreating Monsoon)- अक्तूबर और नवंबर माह मानसून के निवर्तन के समय के रूप में जाने जाते हैं।
  • दक्षिण पश्चिम मानसून के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक:
    • भूमि और जल के ठंडा और गर्म होने का अंतर भारतीय भू-भाग पर निम्न दबाव का निर्माण करता है, जबकि समुद्र में तुलनात्मक रूप से उच्च दबाव होता है।
    • गर्मियों के समय इंटर ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन (Inter Tropical Convergence Zone- ITCZ) की स्थिति में बदलाव होता है, जो गंगा के मैदान पर खिसक जाता है।(यह भूमध्यरेखीय गर्त सामान्य रूप से भूमध्य रेखा के लगभग 5 ° N पर स्थित होता है। इसे मानसून-गर्त के रूप में भी जाना जाता है)।
  • मेडागास्कर के पूर्व में, हिंद महासागर में लगभग 20 ° S पर एक उच्च दबाव वाले क्षेत्र का निर्माण होता है। इस उच्च दबाव वाले क्षेत्र की तीव्रता और स्थिति भारतीय मानसून को प्रभावित करती है।
  • तिब्बत का पठार गर्मियों के दौरान तीव्रता से गर्म हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप समुंद्री तल से लगभग 9 किमी की ऊंँचाई पर मज़बूत ऊर्ध्वाधर हवा की धाराओं (Vertical Air Currents) और निम्न दबाव के क्षेत्र का निर्माण होता है।
  • गर्मियों के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर ‘उष्णकटिबंधीय पूर्वी जेट स्ट्रीम’ (Tropical Easterly Jet Stream) तथा हिमालय के उत्तर में ‘उपोष्ण पछुआ जेट स्ट्रीम’ (Westerly Jet Stream) की उपस्थिति। 
  • उष्णकटिबंधीय पूर्वी स्ट्रीम (अफ्रीकी ईस्टर जेट) की मौजूदगी। 
  • अल नीनो/दक्षिणी दोलन (SO): प्रायः जब उष्णकटिबंधीय पूर्वी-दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में उच्च दबाव का निर्माण होता है, तो उष्णकटिबंधीय पूर्वी हिंद महासागर में निम्न दबाव का क्षेत्र निर्मित होता है, परंतु कुछ ऐसे विशिष्ट वर्ष होते हैं जब दबाव की यह स्थिति विपरीत या परिवर्तित हो जाती है तथा पूर्वी हिंद महासागर की तुलना में पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में कम दबाव का निर्माण होता है। दबाव की स्थिति में इस आवधिक परिवर्तन को दक्षिणी दोलन के रूप में जाना जाता है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow