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शासन व्यवस्था

भारत का वन आवरण और बंजर भूमि

  • 27 Jul 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये 

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 से संबंधित तथ्य, भारतीय वन सर्वेक्षण, बंजर भूमि एटलस, 2019

मेन्स के लिये

भारत में बदलते हुए पर्यवारणीय परिदृश्य में वनों की स्थिति

 चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री (MoEFCC) ने देश में वन क्षेत्र के विषय में राज्यसभा (Rajya Sabha) को सूचित किया।

प्रमुख बिंदु

वन की परिभाषा:

  • 'वन' शब्द को किसी भी केंद्रीय वन अधिनियम, अर्थात् भारतीय वन अधिनियम (1927), या वन संरक्षण अधिनियम (1980) में परिभाषित नहीं किया गया है।
    • केंद्र सरकार ने वन को परिभाषित करने के लिये कोई मानदंड निर्धारित नहीं किया है।
    • भारतीय वन अधिनियम, 1927 राज्यों को अपने क्षेत्रों में आरक्षित वनों को अधिसूचित करने का अधिकार देता है।
  • वनों की परिभाषा को राज्य अपने अनुसार निर्धारित कर सकते हैं। यह विशेषाधिकार राज्यों को सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने  टी.एन. गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ (T.N. Godavarman Thirumulpad vs the Union of India), 1996 केस में दिया।
    • न्यायालय ने कहा कि"वन" शब्द को उसके "शब्दकोश के अर्थ" के अनुसार समझा जाना चाहिये।
    • इस विवरण में सभी वैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त वन शामिल हैं, चाहे उन्हें आरक्षित, संरक्षित या अन्यथा के रूप में नामित किया गया हो।

कुल वन क्षेत्र:

  • देश में कुल वन क्षेत्र लगभग 7,67,419 वर्ग किलोमीटर है, हालाँकि मंत्रालय ने अभी तक विवादित वन क्षेत्र का निर्धारण नहीं किया है।

श्रेणी-वार वन क्षेत्र:

  • आरक्षित वन श्रेणी:
    • ये वन क्षेत्र प्रत्यक्ष तौर पर सरकार की निगरानी में होते हैं।
    • मवेशी चराने के व्यावसायिक उद्देश्य के लिये इसमें किसी भी सार्वजनिक प्रवेश की अनुमति नहीं होती है।
    • इस श्रेणी के अंतर्गत कुल क्षेत्र 4,34,853 वर्ग किलोमीटर है।
  • संरक्षित वन श्रेणी:
    • इस श्रेणी के वनों की देखभाल सरकार द्वारा की जाती है।
    • स्थानीय लोगों को वन में  बिना किसी गंभीर क्षति किये वनोपज के उपयोग करने और मवेशी चराने की अनुमति है।
    • इस श्रेणी के अंतर्गत कुल क्षेत्र 2,18,924 वर्ग किलोमीटर है।
  • असुरक्षित वन श्रेणी
    • ये अवर्गीकृत वन होते हैं।
    • पेड़ काटने या मवेशियों को चराने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
    • इस श्रेणी के अंतर्गत कुल क्षेत्र 1,13,642 वर्ग किलोमीटर है।

बंजर भूमि:

  • ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा प्रकाशित बंजर भूमि एटलस, 2019 के अनुसार, देश में कुल बंजर भूमि लगभग 5,57,665.51 वर्ग किलोमीटर है।
  • बंजर भूमि को ऐसी भूमि के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसका उपयोग कृषि, व्यावसायिक उपयोग या वन भूमि के रूप में नहीं किया जा सकता है।
    • उदाहरण के लिये इसमें उन घास के मैदानों को शामिल किया जा सकता है जिनका उपयोग समुदायों द्वारा पशुओं की चराई के लिये किया जाता है।

सरकार की पहल:

  • हरित भारत हेतु राष्ट्रीय मिशन
    • यह जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) के तहत आठ मिशनों में से एक है।
    • इसे फरवरी 2014 में देश के जैविक संसाधनों और प्रतिकूल जलवायु परिवर्तन के खतरे से संबद्ध आजीविका की रक्षा करने एवं पारिस्थितिक स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण तथा भोजन- पानी एवं  आजीविका- सुरक्षा पर वानिकी के महत्त्वपूर्ण प्रभाव को पहचानने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
  • राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम (NAP):
    • इसे निम्नीकृत वन भूमि के वनीकरण के लिये वर्ष 2000 से लागू किया गया है।
    • इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • क्षतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA Funds):
    • इसे 2016 में लॉन्च किया गया था , इसके फंड का 90% राज्यों को दिया जाना है, जबकि 10% केंद्र द्वारा बनाए रखा जाता है।
    • धन का उपयोग जलग्रहण क्षेत्रों के उपचार, प्राकृतिक उत्पादन, वन प्रबंधन, वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन, संरक्षित क्षेत्रों व गांवों के पुनर्वास, मानव-वन्यजीव संघर्षो को रोकने, प्रशिक्षण एवं जागरूकता पैदा करने, काष्ठ सुरक्षा  वाले उपकरणों की आपूर्ति तथा संबद्ध गतिविधियों के लिये किया जा सकता है।
  • नेशनल एक्शन प्रोग्राम टू कॉम्बैट डेज़र्टिफिकेशन
    • इसे 2001 में मरुस्थलीकरण से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिये तैयार किया गया था।
    • इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC)  द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना: 
    • इस योजना को वर्ष 2016 में शुरू किया गया, इसके कुछ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:
      • सूक्ष्म-सिंचाई और अन्य जल बचत प्रौद्योगिकियों (प्रति बूँद अधिक फसल ) को अपनाने हेतु।
      • जलभृतों के पुनर्भरण में वृद्धि करना और शहरों के आस-पास के क्षेत्रों में कृषि के लिये उपचारित नगरपालिका आधारित जल के पुन: उपयोग की व्यवहार्यता का पता लगाकर स्थायी जल संरक्षण प्रथाओं की शुरुआत करना तथा परिशुद्ध सिंचाई प्रणाली में अधिक-से-अधिक निजी निवेश को आकर्षित करना।

वनों के लिये संवैधानिक प्रावधान:

  • वनों को भारतीय संविधान की (सातवीं अनुसूची) समवर्ती सूची में शामिल किया गया है।
  • 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से वन एवं वन्यजीवों और पक्षियों के संरक्षण को राज्य से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया गया।
  • संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) में कहा गया है कि वनों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा तथा उसमें सुधार करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य होगा।
  • राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों में अनुच्छेद 48 ए में कहा गया है कि राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने एवं देश के वनों तथा वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।

विधान

  • भारत के वन वर्तमान में राष्ट्रीय वन नीति, 1988 द्वारा शासित हैं, जिसका केंद्रीय बिंदु  पर्यावरण संतुलन और आजीविका है।
  • अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वनवासी अधिनियम, 2006 वन में रहने वाले आदिवासी समुदायों तथा अन्य पारंपरिक वनवासियों के वन संसाधनों पर अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है, जिन पर ये समुदाय आजीविका सहित विभिन्न आवश्यकताओं, आवास और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक ज़रूरतों हेतु निर्भर हैं।

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस

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