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जैव विविधता और पर्यावरण

भारत वन स्थिति रिपोर्ट -2019

  • 31 Dec 2019
  • 12 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2019 से संबंधित तथ्य, भारतीय वन सर्वेक्षण

मेन्स के लिये:

भारत में बदलते हुए पर्यवारणीय परिदृश्य में वनों की स्थिति

चर्चा मे क्यों?

हाल ही में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (The Ministry of Environment, Forest and Climate Change-MoEFCC) के अधीन एक संगठन भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India) द्वारा भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2019 (India State of Forest Report, 2019- ISFR, 2019) जारी की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 1987 से भारतीय वन स्थिति रिपोर्ट को द्विवार्षिक रूप से ‘भारतीय वन सर्वेक्षण’ द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • यह इस श्रेणी की 16वीं रिपोर्ट है।
  • इस रिपोर्ट में वन एवं वन संसाधनों के आकलन के लिये भारतीय दूरसंवेदी उपग्रह रिसोर्स सेट-2 से प्राप्‍त आँकड़ों का प्रयोग किया गया है। रिपोर्ट में सटीकता लाने के लिये आँकड़ों की जाँच हेतु वैज्ञानिक पद्धति अपनाई गई है।
  • इस रिपोर्ट में वन एवं वन संसाधनों के आकलन के लिये पूरे देश में 2200 से अधिक स्थानों से प्राप्‍त आँकड़ों का प्रयोग किया गया है।
  • वर्तमान रिपोर्ट में ‘वनों के प्रकार एवं जैव विविधता’ (Forest Types and Biodiversity) नामक एक नए अध्याय को जोड़ा गया है, इसके अंतर्गत वृक्षों की प्रजातियों को 16 मुख्य वर्गों में विभाजित करके उनका ‘चैंपियन एवं सेठ वर्गीकरण’ (Champion & Seth Classification) के आधार पर आकलन किया जाएगा।

चैंपियन एवं सेठ वर्गीकरण:

  • वर्ष 1936 में हैरी जॉर्ज चैंपियन (Harry George Champion) ने भारत की वनस्पति का सबसे लोकप्रिय एवं मान्य वर्गीकरण किया था।
  • वर्ष 1968 में चैंपियन एवं एस.के. सेठ (S.K Seth) ने मिलकर स्वतंत्र भारत के लिये इसे पुनः प्रकाशित किया।
  • यह वर्गीकरण पौधों की संरचना, आकृति विज्ञान और पादपी स्वरुप पर आधारित है।
  • इस वर्गीकरण में वनों को 16 मुख्य वर्गों में विभाजित कर उन्हें 221 उपवर्गों में बाँटा गया है।
  • वनों में रहने वाले व्यक्तियों की ईंधन, चारा, इमारती लकड़ियों एवं बाँस पर आश्रितता के आकलन के लिये एक राष्ट्रीय स्तर का अध्ययन किया गया है।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण ने भूमि के ऊपर स्थित जैवभार (Above Ground Biomass) के आकलन के लिये भारतीय राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान (Indian Space Research Organisation) के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय स्तर की परियोजना प्रारंभ की है और असम राज्य में ‘पल्सर’ (Phased array Type L-band Synthetic Aperture Radar-PALSAR) मोज़ैक (Mosaic) तथा भारतीय वन सर्वेक्षण के आँकड़ों के आधार पर जैवभार का आकलन किया जा चुका है।

ISFR, 2019 से संबंधित प्रमुख तथ्य:

देश में वनों एवं वृक्षों से आच्छादित कुल क्षेत्रफल 8,07,276 वर्ग किमी. (कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.56%)
कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वनावरण क्षेत्र 7,12,249 वर्ग किमी. (कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 21.67%)
कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का वृक्षावरण क्षेत्र 95,027 वर्ग किमी. (कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 2.89%)
वनाच्छादित क्षेत्रफल में वृद्धि 3,976 वर्ग किमी. (0.56%)
वृक्षों से आच्छादित क्षेत्रफल में वृद्धि 1,212 वर्ग किमी. (1.29%)
वनावरण और वृक्षावरण क्षेत्रफल में कुल वृद्धि 5,188 वर्ग किमी. (0.65%)

वनों की स्थिति से संबंधित राज्यवार आँकड़े:

सर्वाधिक वनावरण प्रतिशत वाले राज्य:

मिज़ोरम 85.41%
अरुणाचल प्रदेश 79.63%
मेघालय 76.33%
मणिपुर 75.46%
नगालैंड 75.31%

सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले राज्य:

मध्य प्रदेश 77,482 वर्ग किमी.
अरुणाचल प्रदेश 66,688 वर्ग किमी.
छत्तीसगढ़ 55,611 वर्ग किमी.
ओडिशा 51,619 वर्ग किमी.
महाराष्ट्र 50,778 वर्ग किमी.

वन क्षेत्रफल में वृद्धि वाले शीर्ष राज्य:

कर्नाटक 1,025 वर्ग किमी.
आंध्र प्रदेश 990 वर्ग किमी.
केरल 823 वर्ग किमी.
जम्मू-कश्मीर 371 वर्ग किमी.
हिमाचल प्रदेश 334 वर्ग किमी.

रिपोर्ट से संबंधित अन्य तथ्य:

रिकार्डेड फारेस्ट एरिया:

(Recorded Forest Area)

  • RFA/GW पद का उपयोग ऐसी भूमि के लिये किया जाता है, जिन्हें किसी सरकारी अधिनियम या नियम के तहत वन के रूप में अधिसूचित किया गया हो या उसे सरकारी रिकॉर्ड में ‘वन’ के रूप में दर्ज़ किया गया हो। ISFR-2019 में आद्रभूमियों को भी RFA के तौर पर शामिल किया गया है
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत के रिकार्डेड फारेस्ट एरिया (Recorded Forest Area-RFA/GW) में 330 (0.05%) वर्ग किमी. की मामूली कमी आई है।
  • भारत में 62,466 आर्द्रभूमियाँ देश के RFA/GW क्षेत्र के लगभग 3.83% क्षेत्र को कवर करती हैं।
  • भारतीय राज्यों में गुजरात का सर्वाधिक और दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल का आर्द्रभूमि क्षेत्र RFA के अंतर्गत आता है।

भारत के वनों में बढ़ता हुआ कार्बन स्टॉक:

(Total Carbon Stock in Indian Forest):

  • वर्तमान आकलनों के अनुसार, भारत के वनों का कुल कार्बन स्टॉक लगभग 7,142.6 मिलियन टन अनुमानित है। वर्ष 2017 के आकलन की तुलना में इसमें लगभग 42.6 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।
  • भारतीय वनों की कुल वार्षिक कार्बन स्टॉक में वृद्धि 21.3 मिलियन टन है, जोकि लगभग 78.1 मिलियन टन कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) के बराबर है।
  • भारत के वनों में ‘मृदा जैविक कार्बन’ (Soil Organic Carbon-SOC) कार्बन स्टॉक में सर्वाधिक भूमिका निभाते हैं जोकि अनुमानतः 4004 मिलियन टन की मात्रा में उपस्थित हैं।
  • SOC भारत के वनों के कुल कार्बन स्टॉक में लगभग 56% का योगदान देते हैं।

बाँस क्षेत्र:

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बाँस भूमि लगभग 1,60,037 वर्ग किमी. अनुमानित है। ISFR-2017 की तुलना में कुल बाँस भूमि में 3,229 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।

मैंग्रोव वनों की स्थिति:

  • देश में मैंग्रोव वनस्‍पति में वर्ष 2017 के आकलन की तुलना में कुल 54 वर्ग किमी.. (1.10%) की वृद्धि हुई है।

पहाड़ी क्षेत्रों की स्थिति:

  • भारत के पहाड़ी ज़िलों में कुल वनावरण क्षेत्र 2,84,006 वर्ग किमी. है जोकि इन ज़िलों के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 40.30% है।
  • वर्तमान आकलन में ISFR-2017 की तुलना में भारत के 144 पहाड़ी जिलों में 544 वर्ग किमी. (0.19%) की वृद्धि देखी गई है।

जनजातीय क्षेत्रों की स्थिति:

  • भारत के जनजातीय ज़िलों में कुल वनावरण क्षेत्र 4,22,351 वर्ग किमी. है जोकि इन ज़िलों के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 37.54% है।
  • वर्तमान आकलन के अनुसार, इन ज़िलों में RFA/GW के अंतर्गत आने वाले कुल वनावरण क्षेत्र में 741 वर्ग किमी. की कमी आई है तथा RFA/GW के बाहर के वनावरण क्षेत्र में 1,922 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है।

उत्तर-पूर्व क्षेत्र की स्थिति:

  • उत्तर-पूर्व क्षेत्र में कुल वनावरण क्षेत्र 1,70,541 वर्ग किमी. है जोकि इसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 65.05% है।
  • वर्तमान आकलन के अनुसार, उत्तर-पूर्वीय क्षेत्र में कुल वनावरण क्षेत्र में 765 वर्ग किमी. (0.45%) की कमी आई है।
  • असम और त्रिपुरा को छोड़कर बाकी सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों के वनावरण क्षेत्र में कमी आई है।

ईंधन की लकड़ियों के लिये आश्रितता:

  • भारत में वनों पर ईंधन की लकड़ियों के लिये आश्रित राज्यों में महाराष्ट्र सर्वाधिक आश्रित राज्य है जबकि चारा, इमारती लकड़ी और बाँस पर सर्वाधिक आश्रित राज्य मध्य प्रदेश है।
  • यह देखा गया है कि भारत के वनों में रहने वाले लोगों द्वारा छोटी इमारती लकड़ी का दोहन भारत के वनों में वार्षिक रूप से होने वाली वृद्धि के 7% के बराबर है।
  • भारत के कुल वनावरण का 21.40% क्षेत्र वनों में लगने वाली आग से प्रभावित है।

किसी देश की संपन्नता उसके निवासियों की भौतिक समृद्धि से अधिक वहाँ की जैव विविधता से आँकी जाती है। भारत में भले ही विकास के नाम पर बीते कुछ दशकों में वनों को बेतहाशा उजाड़ा गया है, लेकिन हमारी वन संपदा दुनियाभर में अनूठी और विशिष्ट है। ऑक्सीजन का एकमात्र स्रोत वृक्ष हैं, इसलिये वृक्षों पर ही हमारा जीवन आश्रित है। यदि वृक्ष नहीं रहेंगे तो किसी भी जीव-जंतु का अस्तित्व नहीं रहेगा।

स्रोत- द हिंदू

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