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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत का जवाबी पलटवार : अमेरिकी सामान पर लगाया भारी शुल्क

  • 22 Jun 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए आयात शुल्क के खिलाफ भारत ने जवाबी पलटवार करते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका से आयातित होने वाले कृषि उत्पादों सहित स्टील और लौह के कुल 29 उत्पादों पर आयात शुल्क में इजाफा करने की घोषणा की है। इस निर्णय के साथ ही भारत अमेरिकी निर्णय के विरुद्ध खड़े यूरोपीय यूनियन और चीन की सूची में शामिल हो गया है।

मुद्दा क्या है?

  • अमेरिका द्वारा स्टील एवं एल्युमिनियम पर आयात शुल्क में वृद्धि किये जाने के निर्णय का यूरोपीय यूनियन और चीन दोनों ने कड़ा विरोध किया था। 
  • अमेरिका के इस निर्णय के प्रत्युत्तर में चीन ने भी अमेरिका के कई उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। अभी एक दिन पहले ही यूरोपीय यूनियन ने भी कई अमेरिकी उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क लगाने का निर्णय किया था। ये निर्णय 4 अगस्त से प्रभावी होंगे।

भारत के निर्णय का कारण

  • भारत द्वारा लिये गए इस निर्णय की कोई वजह स्पष्ट नहीं की गई है, ऐसा माना जा रहा है कि यह निर्णय अमेरिका के साथ व्यापार में सामंजस्य बनाए रखने के लिये लिया गया है।
  • यहाँ एक और बात पर गौर करने की आवश्यकता है कि कुछ दिनों में अमेरिका के सहायक व्यापार प्रतिनिधि मार्क लिम्सकॉट भारत आ रहे हैं।
  • स्पष्ट रूप से दोनों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच कई अहम कारोबारी मुद्दों पर चर्चा होगी। इस दौरान हालिया शुल्क वृद्घि के मुद्दे पर भी बातचीत होने की संभावना है।

किन-किन वस्तुओं के आयात शुल्क में वृद्धि की गई है?

  • भारतीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी शुल्क दरों में सेब, बादाम, काबुली चना, मसूर की दाल, एक प्रकार की झींगा मछली और अखरोट आदि की किस्मों के संबंध में आयात शुल्क में वृद्धि करने का निर्णय लिया गया है। इनमें से अधिकांश सामान भारत में अमेरिका से आता है।
  • हाल ही में अमेरिका ने चुनिंदा इस्पात एवं एल्युमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क में वृद्धि कर दी थी। इससे भारत पर 24.1 करोड़ डॉलर (करीब 1650 करोड़ रुपए) का अतिरिक्त शुल्क भार आ गया था। भारत ने इसी के जवाब में शुल्क वृद्धि का निर्णय लिया है।
  • हालाँकि, अमेरिका से आयातित मोटरसाइकिलों पर शुल्क नहीं बढ़ाया गया है। जहाँ एक ओर दालों आदि पर शुल्क को 30 फीसदी से बढाकर सीधे 70 फीसदी कर दिया गया, वहीं दूसरी ओर लोहे और इस्पात पर पुरानी दर में कम-से-कम 50 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
  • पिछले माह भारत ने विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर शुल्क वृद्धि किये जाने की शिकायत की थी।

विश्व व्यापार संगठन के समक्ष भारत का पक्ष

  • भारत ने पिछले सप्ताह विश्व व्यापार संगठन को 30 उत्पादों की एक सूची भेजी थी, जिनके संदर्भ में 50 प्रतिशत तक आयात शुल्क बढ़ाए जाने की संभावना जताई गई थी। अमेरिका के इस निर्णय से भारतीय उत्पादों पर करीब 24 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त बोझ पड़ने का अनुमान है।

क्या यह एक नए ग्लोबल ट्रेड वार की शुरुआत है?

    • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस निर्णय के बाद से ग्लोबल ट्रेड वॉर की संभावना बढती प्रतीत हो रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना है कि चीन बीते कई सालों से अमेरिका के साथ व्यापारिक असमानता की वज़ह से फायदा उठाता रहा है। यही कारण है कि अमेरिकी सरकार ने संबंधित विभाग को उन सभी चीनी उत्पादों को चिह्नित करने का आदेश दिया है जिन पर नए कर लगाए जा सकते हैं।
    • कुछ समय पहले अमेरिका ने 50 अरब अमेरिकी डॉलर के चीनी माल पर 25 फीसदी की दर से कर लगाने की बात कही थी, जिसके जवाब में चीन ने 50 अरब अमेरिकी डॉलर की कीमत वाले 659 अमेरिकी उत्पादों पर इसका असर पड़ने की चेतावनी दी थी।
    • वहीं, दूसरी ओर चीन ने भी अमेरीका के 34 अरब डॉलर के उत्पादों पर कर लगाने की घोषणा की है जो आगामी 6 जुलाई से प्रभावी हो जाएंगे। इन उत्पादों में कृषि से संबंद्ध उत्पाद, कारें और मरीन उत्पाद शामिल हैं।
    • एक जानकारी के अनुसार जल्द ही चीन दूसरे अमेरीकी उत्पादों पर भी कर अधिरोपित करने की तैयारी में है।
  • एक जानकारी के अनुसार, वर्ष 2016 में अमेरिका ने चीन से 462 अरब डॉलर से अधिक का सामान ख़रीदा था।
  • वहीं दूसरी ओर, चीन जितना भी माल निर्यात करता है, उसमें से 18.2% माल अमेरीका द्वारा ही ख़रीदा जाता है।
  • वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2016 के बीच अमेरीका द्वारा किये गए चीनी सामान के निर्यात में तकरीबन 59.2% की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
  • अमेरिका द्वारा 34 अरब अमेरिकी डॉलर के 800 से ज़्यादा चीनी उत्पादों पर लगाए जाने वाले कर संबंधी निर्णय भी 6 जुलाई से प्रभावी हो जाएगा।

अमेरिका के इस निर्णय का मुख्य कारण क्या है?

  • अमेरीका के इस सख्त रेवैये का मुख्य कारण यह है कि अमेरिका चाहता है कि चीन उन सभी गतिविधियों को बंद कर दे जिनकी वज़ह से बौद्धिक संपदा जैसे कि डिज़ाइन और प्रोडक्ट आइडियाज़ आदि को ट्रांसफ़र करने का काम किया जाता है। 
  • इसका मूल कारण यह है कि विदेशी कंपनियों को चीनी बाज़ार में प्रवेश करने के लिये स्थानीय कंपनियों के साथ मालिकाना हक़ साझा करना पड़ता है, जिसका कि अमेरिका विरोध कर रहा है।
  • अमेरिका ने चीन में बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़े मामलों पर विचार-विमर्श एवं उनकी जाँच करने के बाद ही कर लगाने का निर्णय किया है।
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