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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत सबसे ज़्यादा रेमिटेंस प्राप्तकर्त्ता देश

  • 10 Apr 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

वर्ल्ड बैंक के माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ (Migration and Development Brief) के नवीनतम संस्करण के अनुसार, भारत ने अपनी 2017 की रेमिटेंस (विदेशों द्वारा भारत में भेजा गया धन) स्थिति को बरकरार रखा है क्योंकि 2018 में भारत 79 बिलियन डॉलर रेमिटेंस के साथ दुनिया का शीर्ष रेमिटेंस प्राप्तकर्त्ता देश है।

रेमिटेंस में वृद्धि

  • यह 2018 में निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिये रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।
  • वैश्विक रेमिटेंस, जिसमें उच्च आय वाले देशों द्वारा भेजा गया धन भी शामिल है, 2017 के 633 बिलियन डॉलर से 2018 में 689 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया।
  • आधिकारिक तौर पर दर्ज वार्षिक रेमिटेंस के प्रवाह में 9.6% की वृद्धि हुई। यह प्रवाह 2018 में निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में 529 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जबकि 2017 में यह 483 बिलियन डॉलर था।

क्षेत्रीय आँकड़े
Regional Stats

  • रेमिटेंस के प्रवाह में पूर्वी एशिया में लगभग 7% और दक्षिण एशिया 12% तक वृद्धि हुई।
  • दक्षिण एशिया के लिये यह धन 12% बढ़कर 2018 में 131 बिलियन डॉलर हो गया, इसमें 2017 से 6% की वृद्धि हुई है।
  • हालाँकि, रेमिटेंस के प्रवाह में समग्र वृद्धि संयुक्त राज्य अमेरिका में एक मजबूत अर्थव्यवस्था और रोजगार की स्थिति और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (Gulf Cooperation Council- GCC) में शामिल कुछ देशों और रूसी संघ से प्रेरित थी।
  • 2019 में रेमिटेंस के निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में 550 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जो कि वाह्य वित्तपोषण का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है।

देश-वार आँकड़े
Country-wise stats

  • रेमिटेंस प्राप्तकर्त्ता देशों में 79 बिलियन डॉलर के साथ भारत शीर्ष पर था, इसके बाद क्रमशः चीन (67 बिलियन डॉलर), मेक्सिको (36 बिलियन डॉलर), फिलीपींस (34 बिलियन डॉलर) और मिस्र (29 बिलियन डॉलर) थे।
  • रेमिटेंस प्राप्तकर्त्ता देशों में पाकिस्तान में मध्यम वृद्धि (7%) दर्ज की गई, इसका प्रमुख कारण सऊदी अरब से होने वाले प्रवाह में गिरावट है क्योंकि सऊदी अरब इसका सबसे बड़ा रेमिटेंस स्रोत था।
  • बांग्लादेश में, 2018 में रेमिटेंस में तेज़ वृद्धि (15%) देखी गई।
  • भारत में रेमिटेंस 14% से अधिक वृद्धि देखी गई, केरल में बाढ़ की आपदा के चलते परिवारों को भेजी जाने वाली वित्तीय मदद भी इसका प्रमुख कारण है। भारत को 2016 में 62.7 बिलियन डॉलर और 2017 में 65.3 बिलियन डॉलर रेमिटेंस से प्राप्त हुए थे।

उच्च रेमिटेंस लागत
High Remittance Cost

  • 2019 की पहली तिमाही में 200 डॉलर रेमिटेंस भेजने की वैश्विक औसत लागत लगभग 7% अधिक रही।
  • कई अफ्रीकी गलियारों और प्रशांत क्षेत्र के छोटे द्वीपों में रेमिटेंस भेजने की लागत सामान्य रूप से 10% से अधिक है।
  • बैंक के माध्यम से रेमिटेंस भेजना सबसे ज़्यादा महँगा साबित हुआ जो 2019 की पहली तिमाही में औसतन 11 प्रतिशत शुल्क लेते थे। उसके बाद डाकघर आता था जिसका शुल्क 7 प्रतिशत से अधिक था
  • 2030 तक रेमिटेंस भेजने की लागत को 3% तक कम करना सतत विकास लक्ष्य (SDG) के तहत एक वैश्विक लक्ष्य है।
  • विशेष साझेदारियों और नए खिलाड़ियों को राष्ट्रीय डाकघरों, बैंकों और दूरसंचार कंपनियों के माध्यम से संचालित करने की अनुमति देने से प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी और इस प्रकार प्रेषण मूल्य कम होगा।

माइग्रेशन एंड रेमिटेंस

  • यह माइग्रेशन एंड रेमिटेंस यूनिट, (Migration and Remittances Unit, Development Economics) विश्व बैंक के प्रमुख अनुसंधान और डेटा शाखा डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (Development Economics) द्वारा तैयार किया गया है।
  • इसका उद्देश्य पिछले छह महीनों में प्रवासन और रेमिटेंस प्रवाह तथा संबंधित नीतियों के क्षेत्र में प्रमुख विकास पर एक अद्यतन प्रदान करना है।
  • यह विकासशील देशों को रेमिटेंस प्रेषण प्रवाह के लिये मध्यम अवधि का अनुमान भी प्रदान करता है।
  • यह डेटा में वर्ष में दो बार तैयार किया जाता है।

रेमिटेंस

  • आमतौर पर प्रवासियों द्वारा अपने मूल के समुदायों, दोस्तों एवं रिश्तेदारों को भेजा गया धन रेमिटेंस कहलाता है।
  • ये मूल रूप से दो मुख्य घटकों में शामिल हैं -

♦ निवासी या गैर-निवासी परिवारों के बीच नकद या एक तरह से व्यक्तिगत स्थानांतरण।
♦ कर्मचारियों का मुआवजा, जो उन श्रमिकों की आय को संदर्भित करता है जो किसी अन्य देश में सीमित समय के लिये काम करते हैं।

  • रेमिटेंस किसी भी प्राप्तकर्त्ता देश में आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने में मदद करता है, लेकिन यह ऐसे देशों को उस पर निर्भरता को बढ़ा सकता है।

स्रोत- द हिंदू

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