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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

आधार प्रणाली में गोपनीयता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करे भारत : आईएमएफ

  • 16 Apr 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) द्वारा डिजिटल सरकार पर वित्तीय निगरानी रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट में आईएमएफ द्वारा भारत को आधार जैसे वृहद् पहचान कार्यक्रम के क्रियान्वयन में गोपनीयता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक कदम उठाने को कहा है। आईएमएफ ने बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली (biometric identification system) के मामले में भारत को अग्रणी राष्ट्र बताते हुए यह बात कही है।

रिपोर्ट के अनुसार

  • आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डिजिटलीकरण से एक मजबूत प्रशासन और वित्तीय पारदर्शिता को अमल में लाया जा सकता है। इसका एक अहम कारण यह है कि इससे बजट प्रक्रियाओं एवं वित्तीय नीतियों के प्रति सार्वजनिक जागरूकता एवं जाँच भी सुनिश्चित होती है।
  • आईएमएफ के अनुसार, भारत में कार्यरत जैविक पहचान एवं इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की सहायता से एलपीजी छूट संबंधी खामियों को कम करने में उल्लेखनीय सफलता हासिल हुई है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली आधार में 1.2 अरब पंजीकृत नागरिकों के साथ भारत इस क्षेत्र में अग्रणी है। यही कारण है कि भारत सरकार द्वारा वृहद् पहचान कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में गोपनीयता तथा सुरक्षा नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिये।
  • विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India) से प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, 2009 से 2017 के बीच भारत में आधार के क्रियान्वयन और रख-रखाव पर तकरीबन 1.5 अरब डॉलर (1.25 डॉलर प्रति कार्ड) की लागत आई है। 
  • हालाँकि, यह अन्य इलेक्ट्रॉनिक पहचान प्रणालियों की अपेक्षा काफी सस्ती है क्योंकि अन्य प्रणालियों के क्रियान्वयन व रख-रखाव का खर्च प्रति कार्ड तीन से छह डॉलर आता है।
  • इसके अतिरिक्त यह गोपनीयता के अधिकार के अनुकूल है क्योंकि इसके लिये संगृहीत जैविक सूचनाएँ इनक्रिप्टेड हैं। अत: किसी के लिये इसमें सेंध लगा पाना आसान नहीं है। यह और बात है कि पर्याप्त सुरक्षा प्रावधानों के अभाव में इस प्रणाली में अनाधिकृत हस्तक्षेप का भी खतरा बना हुआ है।

‘आधार’ क्या है?

  • केंद्र सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India-UIDAI) द्वारा दिये जाने वाले आधार कार्ड की शुरुआत प्रत्येक भारतीय नागरिक को एक विशेष पहचान संख्या देने के लिये की गई थी। 
  • आज जिस स्वरूप में हम इसे देखते हैं उसमें सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले अधिकांश लाभों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिये आधार संख्या का होना अनिवार्य कर दिया गया है।

भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण

  • भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India - UIDAI) एक सांविधिक प्रा‍धिकरण statutory authority है, जिसकी स्‍थापना भारत सरकार द्वारा आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 (“आधार अधिनियम, 2016”) के प्रावधानों के अंतर्गत, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) के तहत् की गई।
  • एक सांविधिक प्राधिकरण के रूप में अपनी स्‍थापना से पूर्व यूआईडीएआई तत्‍कालीन योजना आयोग (अब नीति आयोग) के तहत एक संबद्ध कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा था।
  • बाद में सरकार द्वारा सरकारी कार्य आवंटन नियमों में संशोधन करके 12 सि‍तम्‍बर, 2015 को यूआईडीएआई को तत्‍कालीन सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Electronics & Information Technology) के साथ संबद्ध कर दिया गया।
  • यूआईडीएआई की स्‍थापना भारत के सभी निवा‍सियों को “आधार” नाम से एक विशिष्‍ट पहचान संख्‍या (Unique Identification numbers - UID) प्रदान करने हेतु की गई थी ताकि इसके द्वारा दोहरी और फर्ज़ी पहचान समाप्‍त की जा सके और उसे आसानी से एवं किफायती लागत में सत्‍यापित और प्रमाणित किया जा सके।
  • आधार अधिनियम 2016 के तहत, यूआईडीएआई आधार नामांकन एवं प्रमाणीकरण, आधार का प्रबंधन, संचालन, आधार नंबर जारी करने, प्रमाणीकरण करने के लिये नीति, प्रक्रिया और प्रणाली विकसित करने और इस से संबंधित रिकार्ड की सुरक्षा सुनिश्चित करने जैसे कार्य के लिये ज़िम्‍मेदार है।
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