भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), बीएचयू के स्कूल ऑफ बायो केमिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा डीआरडीओ के सहयोग से एक ऐसी पट्टी यानी बाइलेयर मेंबरिंग तैयार की गई है, जो घाव को ठीक कर देगी और खाल में ही घुल भी जाएगी।
यह जख्मी जवानों के घाव को भरने में काफी सहायक साबित होगी। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसे एक बार चिपकाने के बाद हटाने का झंझट नहीं रहेगा।
बाइलेयर मेंबरिंग पट्टी दो पर्तों में है। एक परत त्वचा को मुलायम व नमी प्रदान करने में सहायक होगी। वहीं, दूसरी बैक्टीरियल इंफेक्शन से सुरक्षा प्रदान करेगी। साथ ही इसमें त्वचा के नए सेल बनाने की भी क्षमता विद्यमान है।
इस पट्टी को चिपकाने के बाद जिस गति से सेल निर्मित होंगे, उसी तरह धीरे-धीरे यह पट्टी भी घुलती जाएगी। यहाँ यह बताना बेहद आवश्यक है कि यह पट्टी पूरी तरह से जैविक एवं हर्बल है।
घाव सुखाने वाली पट्टी के रूप में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग है। इसमें नीम, बरगद, एलोवेरा आदि के तत्त्वों को शामिल किया गया है।
अभी इस शोध को केवल जानवरों पर इस्तेमाल किया गया है, जहाँ यह सफल साबित हुआ है।
इसका पेटेंट कराया जा चुका है। अब मनुष्य पर इस प्रयोग के ट्रायल हेतु सरकार के पास एक प्रस्ताव भेजा गया है।
चाँद पर चीन का पहला जैविक अनुसंधान
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वर्ष 2018 में चीन चंद्रमा पर अपने पहले जैविक अनुसंधान के तहत चांग ई 4 लूनर यान के ज़रिये वहाँ आलू, एक फूल के पौधे के बीज और रेशम कीट के अंडाणुओं को भेजने की योजना बना रहा है। इस अनुसंधान का मूल उद्देश्य चांद के वातावरण में जीवन की नई संभावनाओं को तलाशना है।
दक्षिण-पश्चिमी चीन के चांगकिंग विश्वविद्यालय के नेतृत्व में करीब 28 चीनी विश्वविद्यालयों द्वारा संयुक्त रूप से इस योजना पर कार्य किया जा रहा है।
‘लूनार मिनी बॉयोस्फेयर’ नाम की इस योजना के तहत कुछ और देशों जैसे - नीदरलैंड्स, स्वीडन, जर्मनी और सऊदी अरब के साइंटिफिक पेलोड्स को भी इस यान से चाँद पर भेजा जाएगा।
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार चीन एक बेलनाकार टिन में फूल, आलू और अन्य चीज़ें भेजने की योजना पर कार्य कर रहा है। टिन के इस बॉक्स की लंबाई करीब 18 सेंटीमीटर और गोलाई 16 सेंटीमीटर है। यह टीन एक विशेष प्रकार के एल्युमिनियम एलॉय से तैयार किया गया है।
चांद पर भेजे जाने वाले इस मिशन में बेहद अनोखे प्रयास के तहत एक बेलनाकार डिब्बे में पानी, पौधों के लिये आवश्यक पोषक पदार्थ, हवा, एक छोटा-सा कैमरा और डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम को भी स्थापित किया जाएगा।
योजनानुसार इस प्रक्रिया को कैमरे में कैद कर पृथ्वी पर भेजा जाएगा। आपको बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र में पौधे उगाने का काम पहले भी किया गया है लेकिन चांद पर इस प्रकार का यह पहला प्रयास होगा।
पश्चिमी ओडिशा का सबसे लंबा पुल
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने संबलपुर में ईब नदी पर राज्य के दूसरे सबसे लंबे पुल का लोकार्पण किया।
यह पुल रेंगाली ब्लाक संबलपुर को लखनापुर ब्लाक झारसुगुडा से जोड़ेगा।
ढाई किलोमीटर लंबे इस पुल का निर्माण विभाग द्वारा किया गया है। इसकी कुल लागत 117.5 करोड़ रुपए आई है।
यह एमसीएल कोलफील्ड क्षेत्र और झारसुगुडा के बेलपहाड़ को भी कनेक्ट करेगा।
ई एफआरआरओ योजना
हाल ही में भारत सरकार द्वारा एक वेब आधारित एप 'ई-एफआरआरओ' लॉन्च किया गया है। इस योजना का उद्देश्य भारत आने वाले विदेशियों को तीव्र एवं कुशल सेवाएँ प्रदान करना है ताकि उनकी भारत यात्रा का अनुभव सुखद रहे।
इस योजना के तहत विदेशी पर्यटकों और यात्रियों को कैशलेस और पेपरलेस वीज़ा से संबंधित सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति मिलेगी।
इसके अंतर्गत विदेशियों को भारत में 27 वीज़ा और आव्रजन सेवा केंद्रों से अपनी समस्त आवश्यकताओं को पूरा करने का लाभ मिलेगा।
उन्हें एफआरआरओ कार्यालय जाने की ज़रूरत नहीं होगी।
इतना ही नहीं पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है तथा ई-मेल या पोस्ट के ज़रिये अन्य सेवाओं का लाभ भी उठाया जा सकता है।
ई-एफआरआरओ के अंतर्गत विदेशियों को स्वयं पंजीकरण कर अपनी यूज़र आईडी बनाने की आवश्यकता होती है। इसके बाद वे भारत में पंजीकरण, वीज़ा विस्तार, वीज़ा रूपांतरण, निकास परमिट आदि सेवाओं के लिये ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
ई-एफआरआरओ योजना के अंर्तगत चार रीजनल एफआरओ भी तैयार किये गए हैं। इनमें चार केंद्र फरवरी में बंगलूरु, चेन्नई, दिल्ली और मुंबई में शुरू किये गए।
अब कोलकाता, अमृतसर, हैदराबाद, कोच्चि, तिरुवनंतपुरम, कोझीकोड, लखनऊ और अहमदाबाद में भी रीजनल सेंटर शुरू कर दिये गए हैं।