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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

लक्षद्वीप में हरित और स्व-संचालित विलवणीकरण संयंत्र

  • 17 Mar 2023
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान, महासागर तापीय ऊर्जा रूपांतरण संयंत्र, डीप सी माइनिंग, डीप ओशन मिशन।

मेन्स के लिये:

ओशन थर्मल एनर्जी, डीप ओशन मिशन (DOM), सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, वैज्ञानिक नवाचारों के दोहन का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?   

राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), जो कि केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत एक स्वायत्त संस्थान है, लक्षद्वीप में हरित और स्व-संचालित विलवणीकरण संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है।

  • राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), कम तापमान वाली थर्मल विलवणीकरण तकनीक (Low Temperature Thermal Desalination- LTTD) का उपयोग कर लक्षद्वीप के छह द्वीपों में पीने योग्य जल उपलब्ध कराने की पहल पर काम कर रहा है। NIOT अब इस प्रक्रिया को उत्सर्जन मुक्त बनाने की कोशिश कर रहा है।
  • वर्तमान में अलवणीकरण संयंत्र, जिनमें से प्रत्येक प्रतिदिन कम-से-कम 100,000 लीटर पीने योग्य जल प्रदान करता है, डीज़ल जनरेटर सेट द्वारा संचालित होते हैं।

हरित और स्व-संचालित विलवणीकरण संयंत्र:

  • परिचय: 
    • प्रस्तावित विलवणीकरण संयंत्र को शक्ति प्रदान करने के लिये सौर, पवन और तरंग ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के संयोजन का उपयोग किया जाएगा। यह संयंत्र समुद्री जल को अलवणीकृत करने और पीने योग्य जल का उत्पादन करने के लिये रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) तकनीक से लैस होगा। NIOT एक ऐसे द्वीप में संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहा है, जहाँ नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की उच्च संभावना है।
    • यह संयंत्र विश्व में अपनी तरह का पहला संयंत्र है क्योंकि यह स्वदेशी तकनीक, हरित ऊर्जा एवं पर्यावरण के अनुकूल प्रक्रियाओं का उपयोग करके समुद्र से पीने के लिये जल उत्पन्न करेगा और यह स्व-संचालित है।
  • आवश्यकता: 
    • LTTD की प्रक्रिया जीवाश्म-ईंधन मुक्त नहीं है और डीज़ल की खपत भी करती है और डीज़ल जनरेटर सेट के माध्यम से काम करती है, यह द्वीपों में एक कीमती वस्तु है जिसे मुख्य भूमि से भेजा जाता है और इसे विद्युत ग्रिड द्वारा शक्ति देना एक दुरूह कार्य है।

निम्न तापमान तापीय विलवणीकरण प्रौद्योगिकी:

  • LTTD एक अलवणीकरण तकनीक है जो समुद्री जल को पीने योग्य जल में परिवर्तित कर देती है।
  • यह पद्धति इस विचार पर आधारित है कि सतह से 1,000-2,000 फीट नीचे समुद्र का जल सतह के जल की तुलना में 4-8 डिग्री सेल्सियस अधिक ठंडा होता है। इसलिये एक टैंक का उपयोग खारे सतह के जल (बाहरी शक्ति स्रोत के माध्यम से) को इकट्ठा करने और उच्च दबाव के लिये किया जाता है।
  • दबाव से वाष्पीकृत जल कई ट्यूबों द्वारा एक कक्ष में एकत्रित होता है। इन नलियों के माध्यम से समुद्र का ठंडा जल खींचा जाता है, जहाँ वाष्प संघनित होकर ताजा जल का निर्माण करती है और जो लवण निकलता है उसे अलग कर दिया जाता है। इस प्रकार संघनित ताजा जल पीने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है।

विलवणीकरण संयंत्र:

  • विलवणीकरण संयंत्र खारे जल को पीने लायक जल में परिवर्तित कर देता है।
    • विलवणीकरण विभिन्न मानव उपयोगों के लिये गुणवत्तायुक्त जल का उत्पादन करने हेतु जल से लवण हटाने की प्रक्रिया को कहते है।

  • इस प्रक्रिया के लिये सर्वाधिक इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक रिवर्स ऑस्मोसिस है।
    • अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली के माध्यम से विलयन को उच्च-विलेय सांद्रता वाले क्षेत्र से कम-विलेय सांद्रता वाले क्षेत्र की तरफ धकेलने के लिये एक बाह्य दबाव आरोपित किया जाता है।
    • झिल्लियों में उपस्थित सूक्ष्म छिद्र के माध्यम से जल के अणु नमक एवं अन्य अशुद्धियों को पीछे छोड़ देते हैं जिससे दूसरी तरफ से स्वच्छ जल की प्राप्ति होती है।
  • ये संयंत्र ज़्यादातर ऐसे क्षेत्रों में स्थापित किये जाते हैं जहाँ समुद्र के जल की उपलब्धता होती है।
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निष्कर्ष:

  • लक्षद्वीप में NIOT के स्व-संचालित अलवणीकरण संयंत्र के सफल कार्यान्वयन में शामिल सभी हितधारकों को प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने की आवश्यकता होगी और यह परियोजना संबद्ध क्षेत्र में जल की कमी की समस्या का स्थायी समाधान तथा इसी प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे अन्य तटीय समुदायों के लिये एक मॉडल साबित हो सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्न तापमान तापीय विलवणीकरण सिद्धांत के आधार पर प्रतिदिन एक लाख लीटर मीठे जल का उत्पादन करने वाला भारत का पहला विलवणीकरण संयंत्र कहाँ स्थापित किया गया था? (2008)

(a) कवरत्ती
(b) पोर्ट ब्लेयर
(c) मैंगलोर
(d) वलसाड

उत्तर: (a) 

व्याख्या: 

  • नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT), चेन्नई ने कवरत्ती, मिनिकॉय और अगत्ती की स्थानीय आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये लक्षद्वीप की राजधानी कवरत्ती में विश्व का पहला निम्न तापमान तापीय विलवणीकरण (LTTD) संयंत्र विकसित किया।
  • रिवर्स ऑस्मोसिस एक मेम्ब्रेन प्रक्रिया तथा विश्व स्तर पर स्वीकृत प्रौद्योगिकी है जो खारे जल के विलवणीकरण के लिये उपयुक्त है, यह LTTD प्रौद्योगिकी से काफी अलग है।
  • LTTD एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत समुद्र के गर्म जल को कम दबाव पर वाष्पित किया जाता है और वाष्प को ठंडे गहरे समुद्र के जल से संघनित किया जाता है।
  • इस लागत को कम करने के लिये राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology- NIOT) ने विलवणीकरण प्रक्रिया के लिये कम तापमान वाली थर्मल विलवणीकरण (Low Temperature Thermal Desalination- LTTD) तकनीक विकसित की है। इस प्रक्रिया के तहत दो अलग-अलग जल स्रोतों के बीच तापमान के उतार-चढाव से पहले गर्म जल को कम दाब पर वाष्पीकृत किया जाता है तथा फिर भाप को ठंडे जल से द्रवीकृत किया जाता है ताकि मीठा जल प्राप्त किया जा सके। अतः विकल्प (A) सही उत्तर है।

स्रोत: द हिंदू

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