अंतर्राष्ट्रीय संबंध
G20 जोहान्सबर्ग समिट 2025
- 26 Nov 2025
- 100 min read
प्रिलिम्स के लिये: G20 समिट, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, पेरिस समझौता, विश्व बैंक, अफ्रीकी संघ, G20 कॉमन फ्रेमवर्क
मेन्स के लिये: वैश्विक आर्थिक शासन, वैश्विक दक्षिण के विकास और बहुपक्षवाद में G20 की भूमिका।
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2025 का 20वाँ G20 समिट, जो जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुआ, अफ्रीकी महाद्वीप पर होने वाला पहला G20 समिट बना। ‘एकजुटता, समानता, स्थिरता’ की थीम के तहत इस समिट ने वैश्विक दक्षिण की प्राथमिकताओं को केंद्र में रखा और G20 जोहान्सबर्ग लीडर्स डिक्लरेशन को अपनाने में सफलता प्राप्त की।
G20 समिट 2025 की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- G20 जोहान्सबर्ग लीडर्स डिक्लरेशन: सदस्य देशों ने 122-पैराग्राफ वाले घोषणा-पत्र पर सहमति बनाई, जिसमें जलवायु कार्रवाई, बहुपक्षीय सुधार और न्यायसंगत वैश्विक शासन से जुड़े संदर्भ शामिल हैं।
- स्पिरिट ऑफ उबंटू और बहुपक्षवाद: घोषणा-पत्र में उबंटू की अफ्रीकी दर्शन-परंपरा (साझी वैश्विक ज़िम्मेदारी और परस्पर जुड़ाव की मान्यता) पर ज़ोर दिया गया है।
- अभिकर्त्ताओं ने संघर्षों, असमानता और मानवीय पीड़ा से निपटने के लिये मज़बूत बहुपक्षीय सहयोग का आह्वान किया।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार: घोषणा-पत्र में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में परिवर्तन का समर्थन किया गया है, ताकि वह समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित कर सके। इसमें अफ्रीका, एशिया-प्रशांत और लैटिन अमेरिका जैसे कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों के लिये प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग की गई है।
- आतंकवाद की निंदा: घोषणा-पत्र में सभी प्रकार और स्वरूपों में आतंकवाद की बिना किसी शर्त के निंदा की गई है, जो भारत के दीर्घकालिक रुख को प्रतिबिंबित करता है।
- विस्तारित जलवायु कार्रवाई प्रतिबद्धताएँ: सदस्य देशों ने वैश्विक जलवायु वित्त को ‘बिलियन्स-टू-ट्रिलियन्स’ स्तर तक बढ़ाने और पेरिस समझौते के तहत अधिक न्यायसंगत संक्रमण को लागू करने पर सहमति जताई।
- महिलाओं का सशक्तीकरण: घोषणा-पत्र में महिलाओं के सशक्तीकरण पर ज़ोर दिया गया। इसमें बाधाओं को हटाने, निर्णय-निर्माण में समान भागीदारी सुनिश्चित करने और महिलाओं को शांति की दूत के रूप में मान्यता देने की आवश्यकता बताई गई।
- स्पिरिट ऑफ उबंटू और बहुपक्षवाद: घोषणा-पत्र में उबंटू की अफ्रीकी दर्शन-परंपरा (साझी वैश्विक ज़िम्मेदारी और परस्पर जुड़ाव की मान्यता) पर ज़ोर दिया गया है।
- ऋण संकट और वैश्विक वित्तीय सुधार: ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग प्रथाओं में सुधार लाने और अफ्रीकी देशों पर लगाए जाने वाले अनुचित ‘अफ्रीकन रिस्क प्रीमियम’ को कम करने के लिये कॉस्ट ऑफ कैपिटल कमीशन की शुरुआत की गई।
- समिट में अफ्रीका के बढ़ते ऋण बोझ (जो अब 1.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है) को रेखांकित किया गया, जहाँ उसकी आधे से अधिक आबादी ऐसे देशों में रहती है जो सार्वजनिक सेवाओं की तुलना में ऋण के ब्याज पर अधिक व्यय कर रहे हैं।
- मिशन 300: समिट में मिशन 300 को प्रमुखता से रेखांकित किया गया, जो विश्व बैंक और अफ्रीकी विकास बैंक द्वारा संचालित एक पहल है। इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक उप-सहारा अफ्रीका के 300 मिलियन लोगों को विद्युत उपलब्ध कराना है।
- क्रिटिकल मिनरल्स फ्रेमवर्क: G20 क्रिटिकल मिनरल्स फ्रेमवर्क को अपनाया गया, जिसका उद्देश्य सतत् मूल्य शृंखलाओं को सुरक्षित करना है। इसमें खनिज अन्वेषण में निवेश और विकासशील देशों में स्थानीय मूल्यवर्द्धन पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- युवा एवं लैंगिक लक्ष्य: नेल्सन मंडेला बे टारगेट को अपनाया गया, जिसके तहत वर्ष 2030 तक युवाओं में NEET (यानी वे जो न तो रोज़गार में हैं, न शिक्षा में, न प्रशिक्षण में) की दर को 5% कम करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही वर्ष 2030 तक कार्यबल में 25% लैंगिक समानता हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई गई।
- ट्रोइका: वर्तमान G20 ‘ट्रोइका’ में ब्राज़ील (पिछली अध्यक्षता), दक्षिण अफ्रीका (वर्तमान अध्यक्षता) और संयुक्त राज्य अमेरिका (आगामी अध्यक्षता) शामिल हैं।
स्पिरिट ऑफ उबंटू क्या है?
- परिचय: स्पिरिट ऑफ उबंटू अफ्रीकी दर्शन का एक सिद्धांत है, जो साझा मानवता पर आधारित है और ‘मैं हूँ क्योंकि आप हैं’ जैसी विचारधारा को व्यक्त करता है। यह सामूहिक ज़िम्मेदारी, करुणा और पारस्परिक सहयोग पर बल देता है, यह याद दिलाते हुए कि व्यक्तिगत प्रगति समुदाय की समृद्धि पर निर्भर करती है।
- नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका को रंगभेद के बाद शांतिपूर्ण संक्रमण की ओर ले जाकर उबंटू का उदाहरण प्रस्तुत किया जहाँ उन्होंने प्रतिशोध की बजाय मेल-मिलाप को चुना और विभाजन की बजाय एकता पर ज़ोर दिया।
- उबंटू और वैश्विक लक्ष्यों के लिये इसकी प्रासंगिकता:
- सततता: ऐसे विकास का समर्थन करता है जो पर्यावरण की रक्षा करे और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करे।
- सामान्य विकास: तकनीक, कौशल और अवसरों तक निष्पक्ष पहुँच सुनिश्चित करने की मांग करता है, विशेषकर वैश्विक दक्षिण के देशों के लिये।
- वैश्विक सुरक्षा: मादक पदार्थों और आतंकवाद जैसी अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई को प्रोत्साहित करता है।
- ज्ञान संरक्षण: भावी पीढ़ियों के लिये पारंपरिक ज्ञान और सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने को बढ़ावा देता है।
G20 क्या है और वैश्विक विकास के लिये यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?
- परिचय: G20 की स्थापना एशियाई वित्तीय संकट (1997–98) के बाद हुई थी, ताकि वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के लिये एक ऐसा मंच बनाया जा सके जो वैश्विक वित्तीय स्थिरता को मज़बूत करे।
- समय के साथ इसका दायरा समष्टि अर्थशास्त्र से बढ़कर व्यापार, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा संक्रमण और डिजिटल शासन तक विस्तृत हो गया।
- लीडर्स स्तर तक उन्नयन (2008–09): इसे वर्ष 2007-08 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान उच्चतम राजनीतिक स्तर पर समन्वय की आवश्यकता को मान्यता देते हुए लीडर्स स्तर पर उन्नत किया गया।
- वर्ष 2009 के बाद से वार्षिक G20 लीडर्स समिट एक मानक बन गया है।
- संरचना: G20 19 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के एक अनौपचारिक समूह के रूप में है, जिसमें यूरोपीय संघ (EU) और अफ्रीकी संघ (AU) भी शामिल हैं। भारत इसके संस्थापक सदस्यों में से एक है। अन्य देशों को आवश्यकता अनुसार ‘विशेष अतिथि’ के रूप में आमंत्रित किया जा सकता है।
- साथ मिलकर, G20 सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 85%, विश्व व्यापार का 75% से अधिक और वैश्विक जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- उद्देश्य: यह अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिये प्रमुख मंच के रूप में कार्य करता है और विकास, व्यापार, वित्तीय स्थिरता, सतत् विकास, जलवायु कार्रवाई, स्वास्थ्य, ऊर्जा, कृषि एवं भ्रष्टाचार विरोधी उपायों जैसे मुद्दों पर वैश्विक शासन को आकार देता है।
- संरचना और अध्यक्षता: संयुक्त राष्ट्र के विपरीत, G20 का कोई मुख्यालय या स्थायी कर्मचारी नहीं है। अध्यक्षता प्रत्येक वर्ष सदस्य देशों में घूर्णन (रोटेशन) के आधार पर होती है।
- ट्रोइका प्रणाली तीन देशों की व्यवस्था के माध्यम से निरंतरता सुनिश्चित करती है: पूर्व अध्यक्ष – वर्तमान अध्यक्ष – आगामी अध्यक्ष।
- दक्षिण अफ्रीका की वर्ष 2025 अध्यक्षता के लिये, इस ट्रोइका में ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
G20 का महत्त्व:
- वैश्विक आर्थिक शासन को आकार देना: G20 कॉमन फ्रेमवर्क और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, AI और शासन के लिये डेटा पर घोषणा {G20 ट्रोइका (भारत, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका) द्वारा एक संयुक्त विज्ञप्ति} जैसी पहलों के माध्यम से वित्तीय विनियमन, ऋण स्थिरता, वैश्विक कर सुधार, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और जलवायु वित्त पर मानदंड निर्धारित करता है।
- सतत् विकास एजेंडा: जलवायु कार्रवाई, ऊर्जा परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा प्रतिबद्धताओं और भविष्य के लिये समझौते पर प्रगति का समन्वय करके सतत् विकास के लिये वर्ष 2030 एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिये एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करता है।
- वैश्विक दक्षिण की आवाज को बढ़ाता है: भारत, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक नियम-निर्माण में अधिक भूमिका दिलाने में मदद करता है, खासकर आपूर्ति शृंखलाओं, महत्त्वपूर्ण खनिजों, विकास वित्त और प्रौद्योगिकी तक पहुँच से जुड़े क्षेत्रों में।
- विकास वित्तपोषण के लिये उत्प्रेरक: IMF–विश्व बैंक जैसी बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार, ऋण प्रवाह बढ़ाने और अफ्रीका को प्रतिनिधित्व देने के लिये IMF कार्यकारी बोर्ड में 25वीं सीट सृजित करने जैसे उपायों के ज़रिये अधिक समावेशी प्रतिनिधित्व को बढ़ावा दिया जा रहा है।
G20 में भारत ग्लोबल डेवलपमेंट एजेंडा को आगे बढ़ा रहा है?
- मादक पदार्थ-आतंकवाद का संबंध: भारत ने मादक पदार्थों की तस्करी (विशेषकर फेंटानाइल) को एक बड़ी वैश्विक सुरक्षा चुनौती और आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रमुख स्रोत बताया।
- भारत ने वित्तीय ट्रैकिंग, सीमा समन्वय और वैश्विक प्रवर्तन पर ध्यान केंद्रित करते हुए मादक पदार्थ-आतंकवाद गठबंधन (ड्रग-टेरर नेक्सस) का मुकाबला करने के लिये G-20 पहल का प्रस्ताव रखा।
- अफ्रीका-केंद्रित विकास विज़न: भारत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अफ्रीका को वैश्विक विकास ढाँचे के केंद्र में होना चाहिये।
- भारत ने 10 वर्षों में अफ्रीका में 1 मिलियन प्रमाणित प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिये G20-अफ्रीका कौशल गुणक पहल का प्रस्ताव रखा।
- स्वास्थ्य, ज्ञान और अंतरिक्ष सहयोग में नेतृत्व:
- भारत ने प्रस्ताव रखा:
- समन्वित वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिये जी20 ग्लोबल हेल्थकेयर रिस्पॉन्स टीम ।
- स्वदेशी औषधीय ज्ञान को संरक्षित करने और साझा करने के लिये वैश्विक पारंपरिक ज्ञान भंडार ।
- कृषि, मत्स्य पालन और आपदा प्रबंधन के लिये अंतरिक्ष-आधारित डेटा साझा करने हेतु ओपन सैटेलाइट डेटा पार्टनरशिप।
- भारत ने प्रस्ताव रखा:
- महत्त्वपूर्ण खनिज एवं सतत् परिवर्तन: भारत ने पुनर्चक्रण, शहरी खनन और नवाचार के माध्यम से आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत करने के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज परिपत्र पहल का प्रस्ताव रखा।
- भारत ने लोकतांत्रिक, पारदर्शी और विविधतापूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं का आह्वान किया, ताकि कुछ देशों पर निर्भरता कम हो सके।
- ज़िम्मेदार, समावेशी और सुरक्षित AI शासन: भारत ने मानवीय निगरानी, सुरक्षा-द्वारा-डिज़ाइन, पारदर्शिता और डीपफेक, साइबर अपराध और आतंकवाद में AI के दुरुपयोग पर रोक लगाने पर केंद्रित AI पर एक वैश्विक समझौते का समर्थन किया।
- भारत ने सभी देशों को भारत में आयोजित होने वाले AI इम्पैक्ट समिट 2026 में आमंत्रित किया।
एक न्यायसंगत, समतामूलक वैश्विक व्यवस्था के लिये समर्थन: भारत ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया-प्रशांत क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का पुरज़ोर समर्थन किया। बहुपक्षवाद और एक वैश्विक नियम-आधारित व्यवस्था के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
- एक न्यायसंगत, समतामूलक वैश्विक व्यवस्था के लिये समर्थन: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन करते हुए अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया-प्रशांत क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने की मांग दोहराई। भारत ने बहुपक्षवाद और नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की।
निष्कर्ष:
G20 समिट 2025 वैश्विक शासन के लिये एक निर्णायक क्षण साबित हुआ, जिसमें अफ्रीका और व्यापक ग्लोबल साउथ को बहुपक्षीय प्राथमिकताओं के केंद्र में स्थान दिया गया। जोहान्सबर्ग घोषणा ने एक अधिक समानता-आधारित, सुरक्षित और सतत् वैश्विक व्यवस्था की दिशा में आधार तैयार किया।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. G20 जोहान्सबर्ग लीडर्स डिक्लेरेशन वैश्विक दक्षिण के एजेंडे की ओर एक महत्त्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है। विवेचन कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. G20 जोहान्सबर्ग लीडर्स’ डेक्लरेशन क्या है?
यह G20 2025 में अपनाया गया 122 पैरा वाला सर्वसम्मति दस्तावेज़ है, जो एकजुटता, समानता और स्थिरता की थीम के तहत जलवायु कार्रवाई, बहुपक्षीय सुधार, अफ्रीका के विकास, ऋण स्थिरता और न्यायसंगत ऊर्जा संक्रमण को प्राथमिकता देता है।
2. मिशन 300 क्या है और यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?
मिशन 300 विश्व बैंक–अफ्रीकी विकास बैंक द्वारा संचालित पहल है, जिसका लक्ष्य 2030 तक उप-सहारा अफ्रीका के 300 मिलियन लोगों तक विद्युत पहुँच सुनिश्चित करना है।
3. डेक्लरेशन जलवायु वित्त को किस प्रकार संबोधित करती है?
जलवायु वित्त को ‘बिलियंस से ट्रिलियंस’ तक बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया है, अनुकूलन (adaptation) और लॉस एंड डैमेज के क्रियान्वयन पर बल दिया गया है तथा अनुमान लगाया गया है कि विकासशील देशों को वर्ष 2030 से पहले अपने NDC लक्ष्यों को पूरा करने के लिये लगभग 5.8–5.9 ट्रिलियन USD की आवश्यकता होगी।
4. अफ्रीका के लिये वैश्विक वित्त में सुधार हेतु G20 ने क्या प्रस्ताव दिये?
समिट ने एक कॉस्ट ऑफ कैपिटल कमीशन की शुरुआत की, उप-सहारा अफ्रीका के लिये IMF में 25वीं बोर्ड कुर्सी बनाई, जिससे ‘अफ्रीकन रिस्क प्रीमियम’ को कम किया जा सके और क्षेत्र की प्रतिनिधित्व क्षमता तथा रियायती वित्त तक पहुँच मज़बूत हो सके।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
प्रिलिम्स:
प्रश्न. "G20 कॉमन फ्रेमवर्क" के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
- यह G20 और उसके साथ पेरिस क्लब द्वारा समर्थित पहल है।
- यह अधारणीय ऋण वाले निम्न आय देशों को सहायता देने की पहल है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (c)
प्रश्न. निम्नलिखित में से किस एक समूह के चारों देश G20 के सदस्य हैं?
(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया और न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब और वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया
उत्तर: (a)
