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भारतीय अर्थव्यवस्था

क्या दालों के उत्पादन के संदर्भ में भारत आत्मनिर्भरता तक पहुँच गया है?

  • 02 Jun 2018
  • 4 min read

संदर्भ

पिछले कुछ समय तक भारत को, खाद्य तेल और दालों के आयातक के रूप में देखा जाता था, जिनका निरंतर और बढ़ती हुई मात्रा में आयात किया जा रहा था। 2010-11 और 2016-17 के बीच खाद्य तेल की आयात कीमत $4.72 बिलियन से बढ़कर $10.89 बिलियन हो गई, जबकि दालों के संदर्भ में यह कीमत $2.25 बिलियन से बढ़कर $4.24 बिलियन हो गई। मार्च 2018 में समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान खाद्य तेल का आयात मूल्य बढ़कर $11.64 बिलियन हो गया। लेकिन अब दालों के संबंध में परिवर्तन के संकेत मिल रहे हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • इस परिवर्तन का कारण 2017-18 में आयात मूल्य में गिरावट नहीं है, बल्कि इसका कारण घरेलू उत्पादन में हुई वृद्धि है।
  • आँकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में देश के दाल उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान दाल उत्पादन बढ़कर लगभग 23-24 मिलियन टन हो गया है।
  • यह उत्पादन पिछले दो वर्षों से पूर्व के दो वर्षों (2014-15 और 2015-16) के 16-17 मिलियन टन की तुलना में काफी अधिक है, जबकि देश के कई बड़े दाल उत्पादक क्षेत्रों में सूखे की परिस्थितियाँ थीं।
  • पिछले कुछ समय के 18 मिलियन टन के औसत के सापेक्ष भी देखें तो, उत्पादन में लगभग एक-तिहाई की वृद्धि हुई है जो छोटी मात्रा नहीं है।
  • यदि 23-24 मिलियन टन को घरेलू दाल उत्पादन का नया सामान्य स्तर मानें तो इसके महत्त्वपूर्ण प्रभाव होंगे।
  • वाशिंगटन स्थित इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट के लिये प्रकाशित किये गए एक हालिया पेपर ‘चेंजिंग कंजम्पशन पैटर्न एंड रोल्स ऑफ पल्सेज इन न्यूट्रीशन एंड फ्यूचर डिमांड प्रोजेक्शंस’ में भारत में 2030 तक दालों की मांग का अनुमान लगाया गया है।
  • इस पेपर में दालों की घरेलू मांग का तीन अलग-अलग आय वृद्धि परिदृश्यों में अनुमान लगाया गया है। 
  • वर्तमान जीडीपी वृद्धि दर पर मांग 2010 के 18.02 मिलियन टन से बढ़कर 2020 में 21.87 मिलियन टन तक जा सकती है और 2030 तक इसके 26.58 मिलियन टन तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • यदि जीडीपी वृद्धि दर कम रहती है (मौजूदा दरों से 25% कम), तो मांग 2020 में केवल 21.40 मिलियन टन पर पहुँचेगी और 2030 में इसका स्तर 25.22 मिलियन टन होगा। 
  • यदि जीडीपी वृद्धि दर अधिक रहती है (वर्तमान दरों से 25% अधिक), तो मांग 2020 में 22.36 मिलियन टन और 2030 में 28.07 मिलियन होगी।
  • यहाँ दो बातों पर ध्यान दिया जाना बेहद आवश्यक है। प्रथम, पिछले दो वर्षों में देश में हुए 23-24 मिलियन टन के उत्पादन ने पहले ही इंस्टिट्यूट द्वारा अनुमानित 22.36 मिलियन टन के आँकड़े को पार कर लिया है।
  • द्वितीय, यदि अगले दशक में उत्पादन में आगे कोई और बढ़ोतरी नहीं होती है, तो भी देश को 2030 में वार्षिक रूप से 4 मिलियन टन से अधिक का आयात नहीं करना पड़ेगा।
  • लेकिन यदि उत्पादन में पिछले दो सालों की तरह बढ़ोतरी होती रहती है, तो भारत आयातक के बजाय, दालों का निर्यातक बन सकता है, जिसकी कुछ समय पहले तक किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी।
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