इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

डेंगू: रोकथाम और पहचान

  • 17 May 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों? 

प्रत्येक वर्ष विभिन्न शहरों में बड़ी संख्या में डेंगू के मामलों सामने आते हैं जिस कारण  इस बीमारी के बारे में जानना महत्त्वपूर्ण है।

प्रमुख बिंदु: 

डेंगू:

  • डेंगू एक मच्छर जनित उष्णकटिबंधीय बीमारी है जो डेंगू वायरस (जीनस फ्लेवीवायरस) के कारण होती है, इसका प्रसार मच्छरों की कई जीनस एडीज (Genus Aedes) प्रजातियों  मुख्य रूप से एडीज़ इजिप्टी (Aedes aegypti) द्वारा होता  है।
  • यह मच्छर चिकनगुनिया (Chikungunya), पीला बुखार (Yellow Fever) और जीका संक्रमण (Zika Infection) का भी वाहक है।
  • डेंगू को उत्पन्न करने वाले चार अलग-अलग परंतु आपस में संबंधित सीरोटाइप (सूक्ष्मजीवों की एक प्रजाति के भीतर अलग-अलग समूह जिनमें एक समान विशेषता पाई जाती हैं) DEN-1, DEN-2, DEN-3 और DEN-4  हैं।

लक्षण:

  • अचानक तेज बुखार, तेज सिर दर्द, आंखों में दर्द, हड्डी, जोड़ और मांसपेशियों में तेज़ दर्द आदि।

निदान और उपचार:

  • डेंगू संक्रमण का निदान रक्त परीक्षण से किया जाता है।
  • डेंगू संक्रमण के इलाज हेतु कोई विशिष्ट दवा नहीं है।

डेंगू की स्थिति:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) के अनुसार, हाल के दशकों में वैश्विक स्तर पर डेंगू के मामलों में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है ।
  • WHO के अनुसार,  प्रतिवर्ष 39 करोड़ लोग डेंगू वायरस से संक्रमित होते हैं, जिनमें से 9.6 करोड़ लोगों में इसके लक्षण दिखाई देते हैं।
  • ‘राष्ट्रीय वेक्टर-जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ (National Vector-Borne Disease Control Programme- NVBDCP) के अनुसार, वर्ष 2018 में भारत में डेंगू के 1 लाख से अधिक और वर्ष 2019 में 1.5 लाख से अधिक मामले दर्ज किये गए।
    • NVBDCP भारत में छह वेक्टर जनित बीमारियों जिसमें मलेरिया, डेंगू, लिम्फैटिक फाइलेरिया, काला-जार, जापानी इंसेफेलाइटिस और चिकनगुनिया शामिल हैं,  की रोकथाम और नियंत्रण हेतु एक केंद्रीय नोडल एजेंसी है। यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत कार्य करता है।

बैक्टीरिया का उपयोग करके डेंगू को नियंत्रित करना:

  • हाल ही में वर्ल्ड मॉस्किटो प्रोग्राम (World Mosquito Program) के शोधकर्त्ताओं  ने इंडोनेशिया में डेंगू को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने हेतु वोल्बाचिया बैक्टीरिया (Wolbachia Bacteria) से संक्रमित मच्छरों का इस्तेमाल किया है।
  • विधि:
    • वैज्ञानिकों ने कुछ मच्छरों को वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित कर उन्हें  शहर में छोड़ दिया, जहांँ उन्होंने स्थानीय मच्छरों के साथ तब तक प्रजनन किया, जब तक कि क्षेत्र के लगभग सभी मच्छरों के शरीर में वोल्बाचिया बैक्टीरिया प्रविष्ट नहीं हो गया। इसे जनसंख्या प्रतिस्थापन रणनीति (Population Replacement Strategy) कहा जाता है।
    • 27 माह के अंत में शोधकर्त्ताओं ने पाया कि जिन क्षेत्रों में वोल्बाचिया-संक्रमित मच्छरों को छोड़ा गया था, वहां डेंगू की घटनाएंँ उन क्षेत्रों की तुलना में 77% कम थीं जहाँ वोल्बाचिया-संक्रमित मच्छरों को नहीं छोड़ा गया था।

डेंगू का टीका:

  • वर्ष 2019 में  यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US Food & Drug Administration) द्वारा डेंगू के टीके CYD-TDV या डेंगवाक्सिया (CYD-TDV or Dengvaxia) को अनुमोदित किया गया था, जो अमेरिका में नियामक मंज़ूरी पाने वाला पहला डेंगू का टीका था।
    • डेंगवाक्सिया मूल रूप से एक जीवित, क्षीण डेंगू वायरस से निर्मित टीका है जिसे 9 से 16 वर्ष की आयु के उन लोगों को लगाया जाता है , जिनमें पूर्व में डेंगू संक्रमण की पुष्टि की गई है तथा जो स्थानिक क्षेत्रों में रहते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow