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जैव विविधता और पर्यावरण

दिल्ली में वायु प्रदूषण

  • 03 May 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

सफर (SAFAR- System of Air Quality and Weather Forecasting and Research) प्रणाली के अनुसार, हाल ही में दिल्ली की वायु गुणवत्ता 'मध्यम' से 'खराब' और 'बहुत खराब' स्तर पर पहुँच गई है।

प्रमुख बिंदु

खराब होते वायु गुणवत्ता के कारण:

  • दिल्ली की हवा आमतौर पर अक्तूबर-नवंबर माह में प्रदूषित और मार्च-अप्रैल माह तक साफ हो जाती है। वर्तमान मौसम की स्थिति सर्दियों के विपरीत प्रतिकूल नहीं है।
    • सर्दियों के दौरान ठंडा और स्थिर मौसम विशेष रूप से इंडो-गंगा के मैदान में स्थित उत्तर भारतीय शहरों में दैनिक प्रदूषण फैलता है।
  • स्थानीय उत्सर्जन के अलावा हवा की गुणवत्ता में गिरावट का प्रमुख कारण उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि को भी माना जा रहा है।
  • दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण:
    • शहर की लैंडलॉक भौगोलिक स्थिति।
    • पड़ोसी राज्यों (पंजाब, हरियाणा और राजस्थान) में पराली जलाने की घटनाएँ।
    • वाहन उत्सर्जन।
    • औद्योगिक प्रदूषण।
    • बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधियाँ।

चिंताएँ:

  • कोविड-19 के मामलों और इससे होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या के बीच हवा की गुणवत्ता का खराब होना चिंताजनक है।
  • दिल्ली को विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट (World Air Quality report), 2020 में 10वें सबसे प्रदूषित शहर और विश्व के शीर्ष प्रदूषित राजधानी शहर के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
    • हालाँकि, दिल्ली की वायु गुणवत्ता में वर्ष 2019 से वर्ष 2020 के बीच लगभग 15% का सुधार दर्ज किया गया है।
  • ग्रीनपीस (गैर-सरकारी संगठन) ने जुलाई, 2020 में किये गए अपने एक अध्ययन में पाया था कि दिल्ली को सख्त लॉकडाउन के बावजूद 28 वैश्विक शहरों में वायु प्रदूषण से सबसे अधिक आर्थिक नुकसान हुआ था और वर्ष 2020 की पहली छमाही में इसके कारण 24,000 लोगों की मृत्यु हुई थी।
  • ग्लोबल स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर, 2020 के मुताबिक, भारत में वर्ष 2019 में बाह्य और घरेलू (इनडोर) वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक, दिल का दौरा, मधुमेह, फेफड़ों के कैंसर, फेफड़ों के पुराने रोगों और नवजात रोगों से 1.67 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हुई थी। 

उठाये गए प्रमुख कदम:

  • सरकार टर्बो हैप्पी सीडर (Turbo Happy Seeder-THS) खरीदने के लिये किसानों को सब्सिडी दे रही है, यह ट्रैक्टर के साथ लगाई जाने वाली एक प्रकार की मशीन होती है, जो पेड़ों की ठूँठ को उखाड़ फेंकती है।
  • BS-VI वाहनों की शुरूआत, इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के लिये प्रोत्साहन, एक आपातकालीन उपाय के रूप में ऑड-ईवन और वाहनों को प्रदूषण कम करने के लिये पूर्वी और पश्चिमी परिधीय एक्सप्रेसवे का निर्माण।
  • ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (Graded Response Action Plan) का कार्यान्वयन। इस आपातकालीन योजना के तहत शहर की वायु गुणवत्ता के आधार पर कड़े कदम उठाए जाते हैं।
  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) के तत्वावधान में सार्वजनिक सूचना के लिये राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (National Air Quality Index) का विकास।

‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली’- सफर

  • यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science) द्वारा महानगरों के किसी स्थान-विशिष्ट के समग्र प्रदूषण स्तर और वायु गुणवत्ता को मापने के लिये शुरू की गई एक राष्ट्रीय पहल है।
  • यह भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM) पुणे द्वारा निर्मित एक स्वदेशी प्रणाली है, जिसका संचालन भारत मौसम विभाग (India Meteorological Department-IMD) द्वारा किया जाता है।
  • इस परियोजना का अंतिम उद्देश्य आम जनता के बीच अपने शहर में वायु गुणवत्ता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, ताकि उचित शमन उपाय और व्यवस्थित कार्रवाई की जा सके।
  • सफर, दिल्ली में भारत की पहली वायु गुणवत्ता आरंभिक चेतावनी प्रणाली (Air Quality Early Warning System) का एक अभिन्न अंग है।
  • यह मौसम के सभी मापदंडों जैसे- तापमान, वर्षा, आर्द्रता, हवा की गति एवं दिशा, पराबैंगनी किरणों और सौर विकिरण आदि की निगरानी करता है।
  • निगरानी किये जाने वाले प्रदूषक: पीएम2.5, पीएम10, ओज़ोन, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), बेंज़ीन, टोल्यूनि, ज़ाइलीन और मरकरी।

आगे की राह

  • धान के विपरीत गेहूँ के पराली को कम जलाया जाता है, क्योंकि इसके ठूँठ का प्रबंधन तुलनात्मक रूप से आसान है और इसके भूसे का किसानों द्वारा पशु आहार के रूप में इस्तेमाल कर लिया जाता है।
  • अतः दिल्ली को वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये पराली जलाने की घटनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय स्थानीय उत्सर्जन  को देखना चाहिये।
  • स्वच्छ वायु में साँस लेना प्रत्येक भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। इसलिये वायु प्रदूषण से निपटने के लिये मानव स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिये।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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