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भारतीय अर्थव्यवस्था

गोबर से बायोCNG का उत्पादन

  • 14 Mar 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बायोगैस, बायोCNG, गोबरधन, SATAT योजना

मेन्स के लिये:

बायोगैस ऊर्जा और इसका महत्त्व, बायोCNG, बायोएनर्जी, संबंधित पहल

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

बनासकांठा ज़िला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ, गुजरात गोबर द्वारा बायोCNG (संपीड़ित प्राकृतिक गैस) और उर्वरक का उत्पादन कर रहा है जिससे कृषक वर्ग की आय में वृद्धि हुई। यह पहल डेयरी किसानों के लिये नए आय स्रोत का मार्ग प्रदान करते हुए अपशिष्ट प्रबंधन को संबोधित करती है।

  • गुजरात के बनासकाँठा ज़िले में दीसा-थराद राजमार्ग पर स्थित बायोCNG आउटलेट एक अग्रणी पहल को प्रदर्शित करता है जो मवेशियों और भैंसों से प्राप्त गोबर के माध्यम से संचालित भारत का पहला तथा एकमात्र गैस-फिलिंग स्टेशन है।

किसान किस प्रकार गोबर का ईष्टतम प्रयोग कर रहे हैं?

  • गोबर से संबंधित तथ्य:
    • एक औसत वयस्क गोजातीय पशु प्रतिदिन 15-20 किलोग्राम गोबर त्यागता है जबकि बछड़े से 5-10 किलोग्राम गोबर करते हैं।
      • गोजातीय, बोस टॉरस (मवेशी) अथवा बुबैलस बुबैलिस (वॉटर बफैलो) प्रजाति के एक घरेलू पशु को संदर्भित करता है।
    • ताज़े गोबर में जल की मात्रा 80-85% होती है तथा एक किलो ताज़ा गोबर शुष्क अवस्था में मात्र 200 ग्राम का हो जाता है।
    • ताज़े गोबर में जल के साथ-साथ मीथेन भी होता है जो इसे अवायवीय पाचन  (ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में बायोडिग्रेडेबल सामग्री को विखंडित कर बायोगैस का उत्पादन) में बायोगैस उत्पादन के लिये आवश्यक बनाता है।
      • मीथेन, बायोगैस का एक प्रमुख घटक होता है जो गोजातीय पशुओं के रूमेन (गोजातीय पशुओं के आमाशय के चार भागों में से पहला) में उनके द्वारा उपभोग की जाने वाली पौधों की सामग्री के किण्वन के दौरान उत्पन्न होता है।
      • रुमेन में बैक्टीरिया जैसे रोगाणु, जिन्हें आर्किया (Archaea) के नाम से जाना जाता है, मीथेन उत्पन्न करने के लिये कार्बोहाइड्रेट किण्वन के दौरान उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन का उपयोग करते हैं।
  • बायोगैस उत्पादन प्रक्रिया:
    • बायोगैस के उत्पादन हेतु ताज़ा गोबर को समान मात्रा में जल के साथ मिश्रित कर घोल बनाया जाता है। घोल 35 दिनों में एक सीलबंद पोत रिएक्टर में अवायवीय पाचन प्रक्रिया से गुज़रता है।
      • पाचन प्रक्रिया में चार क्रमिक चरण शामिल होते हैं: हाइड्रोलिसिस (कार्बनिक पदार्थों का साधारण अणुओं में विखंडन), एसिडोजेनेसिस (साधारण अणुओं का वाष्पशील वसा अम्ल में परिवर्तन), एसिटोजेनेसिस (एसिटिक अम्ल, CO2 और हाइड्रोजन का उत्पादन) और मेथनोजेनेसिस (बायोगैस उत्पादन)।
    • बायोगैस संपाचित्र (Digesters) पशुओं के अपशिष्ट से मीथेन उत्सर्जन को कम करते हैं जो ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है।
      • एक गाय प्रति वर्ष 150 से 260 पाउंड मीथेन उत्सर्जित कर सकती है। मांस और दूध उत्पादन के लिये वैश्विक स्तर पर 1.5 अरब से अधिक मवेशियों को पाले जाने के साथ, यह उद्योग वैश्विक मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के अनुमानित 14.5% के लिये ज़िम्मेदार है
  • बायोगैस शोधन और संपीड़न:
    • कच्चे बायोगैस को विभिन्न प्रक्रियाओं के माध्यम से CO2, H2S और नमी को हटाने के लिये शोधित किया जाता है।
    • शुद्ध बायोगैस को 96-97% मीथेन में संपीड़ित करके संग्रहीत किया जाता है और किसान इसे बायोसीएनजी के रूप में 72 रुपए प्रति किलोग्राम पर बेचते हैं।
  • उर्वरक उत्पादन के लिये घोल का उपयोग:
    • बायोगैस उत्पादन के बाद, घोल को ठोस-तरल विभाजक में निर्जलित किया जाता है
      • अलग किये गए ठोस अवशेषों को एरोबिक रूप से विघटित किया जाता है और रॉक फॉस्फेट तथा फॉस्फेट-घुलनशील बैक्टीरिया को शामिल करके PROM (फॉस्फेट युक्त जैविक खाद) के रूप में बेचा जाता है।
      • वैकल्पिक रूप से, विघटित ठोस अवशेषों का उपयोग नीम और अरंडी की खली, गन्ना गन्ना दबाब वाली मृदा तथा माइक्रोबियल उत्पाद मिलाकर खाद उत्पादन के लिये किया जा सकता है।
      • तरल भाग को डाइज़ेस्टर में मिश्रण के लिये पुन: उपयोग किया जाता है या तरल-किण्वित जैविक खाद के रूप में बेचा जाता है।
  • स्केलेबिलिटी और अनुकरणशीलता:
    • बायोसीएनजी मॉडल ज़िला सदस्य संघों के गोबर का उपयोग करके अनुकरणीय और स्केलेबल है।
    • गुजरात के कैरा संघ के विकेंद्रीकृत मॉडल में फ्लेक्सी बायोगैस संयंत्र स्थापित करना शामिल है, जिसका लक्ष्य 10,000 स्थापना करना है।
    • व्यक्तिगत उपयोग के लिये छोटे फ्लेक्सी संयंत्रों से व्यक्तिगत किसानों को लाभ होता है और संभावित रूप से अतिरिक्त आय उत्पन्न होती है।
      • चाहे बड़े पैमाने पर बायोसीएनजी संयंत्र हों या छोटे विकेंद्रीकृत मॉडल, गोबर के उपयोग से अतिरिक्त आय की संभावना बढ़ रही है।

बायोगैस:

  • बायोगैस एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थ के टूटने पर उत्पन्न होता है। इस प्रक्रिया को अवायवीय पाचन कहते हैं।
  • बायोगैस को नवीकरणीय प्राकृतिक गैस (RNG) या बायोमेथेन के रूप में भी जाना जाता है। यह अधिकांश मीथेन (CH4) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) से निर्मित है।

प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है?

  • फीडस्टॉक प्रबंधन:
    • पशुओं के लिये जैविक फीडस्टॉक की निरंतर आपूर्ति और गुणवत्ता सुनिश्चित करना
    • प्रभावी अपशिष्ट पृथक्करण और संग्रहण प्रणाली लागू करना।
  • परिचालन दक्षता:
    • व्यक्तिगत किसानों और छोटी सहकारी समितियों के पास बायोसीएनजी संयंत्रों के उचित रखरखाव तथा निगरानी के लिये ज्ञान एवं संसाधनों की कमी हो सकती है।
      • प्रशिक्षण कार्यक्रम और आसानी से उपलब्ध तकनीकी सहायता तथा मानकीकृत संचालन प्रक्रियाओं एवं गुणवत्ता नियंत्रण उपायों की स्थापना महत्त्वपूर्ण है।
  • तकनीकी और वित्तीय बाधाएँ:
    • सब्सिडी, अनुदान, अथवा कम-ब्याज ऋण जैसे वित्तपोषण विकल्पों तक पहुँच बायोसीएनजी संयंत्रों की स्थापना के लिये प्रारंभिक पूंजी बाधाओं को दूर करने में सहायता प्रदान कर सकती है।
    • तकनीकी चुनौतियों, जैसे कुशल श्रम एवं बुनियादी ढाँचे की कमी को सार्वजनिक-निजी भागीदारी, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ ही क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से संबोधित किया जा सकता है।
  • बायोगैस के लिये भंडारण प्रणालियाँ:
    • बायोसीएनजी को अंतिम उपयोगकर्त्ताओं तक पहुँचने के लिये कुशलतापूर्वक संग्रहीत एवं वितरित करने की आवश्यकता है, चाहे वह खाना पकाने, हीटिंग अथवा बिजली उत्पादन के लिये हो।
      • बायोसीएनजी की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये गैस होल्डर अथवा सिलेंडर जैसी उचित भंडारण प्रणाली की आवश्यकता होती है।
  • सामाजिक स्वीकार्यता: 
    • इस गलत धारणा को नियंत्रित करना कि गोबर गैस अस्वास्थ्यकर और असुरक्षित है तथा इसके विपरीत यह व्यापक रूप से अपनाने योग्य भी है।
    • ग्रामीण किसानों के बीच विकेंद्रीकृत बायोगैस मॉडल को बढ़ावा देने हेतु शैक्षणिक पहुँच एवं स्वच्छ प्रक्रिया का प्रदर्शन महत्त्वपूर्ण है।

बायोगैस से संबंधित भारत की पहल क्या हैं?

  • किफायती परिवहन के लिये सतत विकल्प" योजना
  • गोबरधन
  • राष्ट्रीय बायोगैस कार्यक्रम:
    • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) राष्ट्रीय बायोगैस कार्यक्रम के अंर्तगत ग्रामीण क्षेत्रों सहित देश में खाना पकाने के उद्देश्यों के लिये बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के साथ-साथ वैकल्पिक ईंधन के स्रोत के रूप में इसके उपयोग का समर्थन कर रहा है।
    • इस योजना के अंर्तगत MNRE बायोगैस संयंत्रों की स्थापना के लिये संयंत्र के आकार (1-25 घन मीटर/दिन संयंत्र क्षमता) के आधार पर प्रति बायोगैस संयंत्र 9800 रुपए से लेकर 70,400 रुपए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान कर रहा है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड 
  2. मीथेन  
  3. ओज़ोन  
  4. सल्फर डाइ-ऑक्साइड

उपर्युक्त में से कौन फसल/बायोमास अवशेषों को जलाने के कारण वायुमंडल में उत्सर्जित होता है?

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 2, 3 और 4 
(c) केवल 1 और 4  
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)


मेन्स:

प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्रा का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018)

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