दृष्टि आईएएस अब इंदौर में भी! अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें |   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

  • 25 Jul 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये 

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट, भारतीय रिज़र्व बैंक 

मेन्स के लिये

वित्तीय प्रणाली पर COVID-19 का प्रभाव और बैंकिंग प्रणाली में NPA की समस्या 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report) का 21वाँ अंक जारी किया है

प्रमुख बिंदु

  • RBI ने COVID-19 महामारी और राष्ट्रीयव्यापी लॉकडाउन के प्रभावस्वरूप बैंकिंग क्षेत्र के लिये गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों (Non-Performing Assets) में काफी वृद्धि होने की संभावना व्यक्त की है।
  • रिपोर्ट जारी करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने चेतावनी दी है कि RBI द्वारा क्रेडिट जोखिम के आधार पर किये गए परीक्षणों से संकेत मिलता है कि सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (SCBs) का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात मौजूदा परिस्थितियों के तहत मार्च 2020 में 8.5 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2021 तक 12.5 प्रतिशत हो सकता है।
    • उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार, यह अनुपात मार्च 2000 के सकल NPA अनुपात (12.7 प्रतिशत) के बाद सबसे अधिक है।
    • गौरतलब है कि बीते माह में एसएंडपी ग्लोबल (S&P Global) नामक निजी कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान लगाया था कि बैंकों का सकल NPA अनुपात 13-14 प्रतिशत तक बढ़ सकता है।
  • RBI की इस अर्द्धवार्षिक रिपोर्ट में भी कहा गया है कि यदि आर्थिक स्थितियाँ और अधिक बिगड़ती हैं, तो सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात 14.7 प्रतिशत तक भी पहुँच सकता है।
  • RBI की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2020 में अनुसूचित वाणिज्य बैंकों (SCBs) का पूँजी पर्याप्तता अनुपात (CAR) घटकर 14.8 प्रतिशत हो गया है, जो कि सितंबर 2019 में 15 प्रतिशत था।
    • RBI के अनुमान के अनुसार, मौजूदा परिस्थितियों में मार्च 2021 तक यह अनुपात 13.3 प्रतिशत पर पहुँच सकता है, और यदि आर्थिक परिस्थितियाँ और बिगड़ती हैं तो यह अनुपात 11.8 प्रतिशत तक पहुँच सकता है।
    • पूँजी पर्याप्तता अनुपात (Capital Adequacy Ratio-CAR) को पूँजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (Capital-to-Risk Weighted Assets Ratio-CRAR) के रूप में भी जाना जाता है। इसका उपयोग जमाकर्त्ताओं की सुरक्षा और विश्व में वित्तीय प्रणालियों की स्थिरता और दक्षता को बढ़ावा देने के लिये किया जाता है।
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली छमाही के दौरान बैंक ऋण काफी कमजोर रहा था, और  मार्च 2020 तक में भी यह 5.9 प्रतिशत तक नीचे गिर गया।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, संपत्ति प्रबंधन कंपनियाँ और म्यूचुअल फंड वित्तीय प्रणाली में सबसे बड़े फंड प्रदाता रहे, जिनके बाद बीमा कंपनियों का स्थान है, वहीं गैर-बैंकिंग‍ वित्तीय कंपनियों (NBFCs) ने वित्तीय प्रणाली में सबसे अधिक उधार प्राप्त किया था।
  • वित्तीय प्रणाली पर COVID-19 का प्रभाव
    • RBI ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा है कि COVID-19 महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के कारण बैंकों की ऋण वृद्धि में भारी गिरावट देखने को मिली है और लाखों लोग बेरोज़गार हो गए हैं। 
    • रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 से मुकाबले में एक अभूतपूर्व पैमाने पर राजकोषीय, मौद्रिक और नियामक हस्तक्षेपों के संयोजन ने वित्तीय बाज़ारों के सामान्य कामकाज को सुनिश्चित किया है।
    • RBI ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में केंद्र सरकार के वित्त में कुछ गिरावट आने की संभावना है, क्योंकि COVID-19 महामारी से संबंधित व्यवधानों के कारण सरकार का राजस्व भी काफी प्रभावित हुआ है।

    UPPCS Study Materials Mains (CSAT)

    वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट

    • वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) भारतीय रिज़र्व बैंक का एक अर्द्धवार्षिक प्रकाशन है जो भारत की वित्तीय प्रणाली की स्थिरता का समग्र मूल्यांकन प्रस्तुत करती है।
    • साथ ही यह वित्तीय क्षेत्र के विकास और विनियमन से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा करती है।

    आगे की राह

    • RBI द्वारा जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में नियामक संस्थाओं और सरकार ने वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये कई नीतिगत उपाय किये हैं और देश के वंचित तथा संवेदनशील वर्ग के समक्ष मौजूद संकट को कम किया है, किंतु इसके बावजूद अल्पकाल में अर्थव्यवस्था के समक्ष कई चुनौतियाँ मौजूद हैं, जिनसे निपटना अभी शेष है।

    स्रोत: द हिंदू

    close
    एसएमएस अलर्ट
    Share Page
    images-2
    images-2
    × Snow