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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

स्वदेशी वैक्सीन ‘न्यूमोसिल’

  • 29 Dec 2020
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत द्वारा ‘न्यूमोसिल’ (PNEUMOSIL) नामक पहली पूर्ण स्वदेशी ‘न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन’ (Pneumococcal Conjugate Vaccine-PCV) को लॉन्च किया गया है।    

प्रमुख बिंदु:

विकास: इस वैक्सीन को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा ‘पाथ’ (PATH) तथा ‘बिल एंड  मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ के सहयोग से विकसित किया गया है।   

  • सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया विश्व की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी  (उत्पादन और वैश्विक स्तर पर  बेची जाने वाली खुराक की संख्या के आधार पर) है।
  •  ‘पाथ’ (PATH) सिएटल (USA) में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय, गैर-लाभकारी वैश्विक स्वास्थ्य संगठन है।
  • बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) एक अमेरिकी निजी संस्था है, जिसकी स्थापना बिल और मिलिंडा गेट्स द्वारा की गई थी। सिएटल, वाशिंगटन में स्थित इस संस्था का प्राथमिक लक्ष्य विश्वभर में स्वास्थ्य सेवा को बढ़ाना और अत्यधिक गरीबी को कम करना तथा अमेरिका में शैक्षिक अवसरों एवं सूचना प्रौद्योगिकी की पहुँच का विस्तार करना है।

वैक्सीन से जुड़ी जानकारी:

  • यह वैक्सीन न्यूमोकोकल जीवाणु को लक्षित करती है, जो निमोनिया और मेनिन्जाइटिस (Meningitis) व सेप्सिस जैसी जानलेवा बीमारियों का प्रमुख कारक है। एक अनुमान के अनुसार, यह जीवाणु प्रतिवर्ष विश्व भर में पाँच वर्ष से कम आयु के 4 लाख बच्चों की मौत का कारण बनता है।   
  • यह वैक्सीन बाज़ार में एकल खुराक और बहु-खुराक में वहनीय कीमत पर उपलब्ध होगी।
    • हालाँकि न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (Pneumococcal Conjugate Vaccines-PCVs) ने न्यूमोकोकल से होने वालीमौतों को कम करने में सहायता की है, परंतु अभी भी कई देशों के लिये इसकी लागत वहन कर पाना बहुत ही कठिन है। 
  • इस वैक्सीन की अनूठी विशेषता इसकी संरचना है, जिसे विशेष रूप से भारत और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में ‘एस निमोनिया’ (S Pneumoniae) के प्रचलित सीरोटाइप (Serotype) प्रसार को नियंत्रित करने के लिये बनाया गया है।
    • एक सीरोटाइप या सेरोवर (serovar) बैक्टीरिया या वायरस की प्रजातियों के भीतर या विभिन्न व्यक्तियों की प्रतिरक्षा कोशिकाओं के बीच एक विशिष्ट भिन्ना होती है।
  • इस वैक्सीन को  जुलाई 2020 में भारतीय औषधि महानियंत्रक द्वारा लाइसेंस प्रदान किया गया था।

महत्त्व:  

  • इस वैक्सीन के विकास में प्राप्त सफलता अनुसंधान और विकास तथा उच्च कोटि के परिष्कृत टीकों के निर्माण में भारत की क्षमता का एक उदाहरण प्रस्तुत करती है।
    • अब तक भारत को पूरी तरह से विदेशी निर्माताओं द्वारा निर्मित  न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (PCV) पर निर्भर रहना पड़ता था, जो बहुत अधिक कीमत पर उपलब्ध हो पाते हैं।
  • यह वैक्सीन SII को वैश्विक पीसीवी बाज़ार तक किसी विकासशील देश से पहुँचने वाला पहला वैक्सीन निर्माता बनाती है।
    • SII एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड (AstraZeneca-Oxford) कोरोनावायरस वैक्सीन का भारतीय संस्करण 'कोविशील्ड' (Covishield) का निर्माता भी है।  

न्यूमोकोकल रोग (Pneumococcal Disease) : 

  • स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया या न्यूमोकोकस नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण को न्यूमोकोकल रोग के नाम से जाना जाता है।
  • यह बैक्टीरिया छोटे बच्चों में रक्तप्रवाह संक्रमण, निमोनिया, मेनिन्जाइटिस और मध्यकर्णशोथ (Middle Ear Infections) का सबसे आम कारण है। 
  • निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है। कई अलग-अलग बैक्टीरिया, वायरस और यहाँ तक कि कवक भी निमोनिया का कारण बन सकते हैं। न्यूमोकोकस गंभीर निमोनिया के सबसे आम कारणों में से एक है।
  • डॉक्टर इन संक्रमणों में से कुछ को "आक्रामक" या इनवेसिव (Invasive)  मानते हैं।
  • इनवेसिव रोग (Invasive Disease) का अर्थ है कि रोगाणु शरीर के उन हिस्सों पर आक्रमण करते हैं जो सामान्य रूप से कीटाणुओं से मुक्त होते हैं।
  • उदाहरण के लिये न्यूमोकोकल बैक्टीरिया रुधिर प्रवाह पर आक्रमण कर सकते हैं, जिससे बैक्टरेमिया (Bacteremia) हो सकता है, या ये  मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को कवर करने वाले ऊतक और तरल पदार्थ पर आक्रमण कर सकते हैं, जिससे मेनिन्जाइटिस होता है। जब ऐसा होता है, तो बीमारी आमतौर पर बहुत गंभीर होती है, परंतु कुछ मामलों में रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

दुष्प्रभाव:  

  • वार्षिक रूप से भारत में निमोनिया से होने वाली मौतों का 71% और गंभीर निमोनिया के 57% मामले देखने को मिलते हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु के कुल मामलों में 15% का कारक निमोनिया ही होता है।

रोकथाम:

  • न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (PCV) न्यूमोकोकल बीमारी को रोकती है।
    • यह वैक्सीन न्यूमोकोकी परिवार के कई जीवाणुओं का मिश्रण है, जिन्हें निमोनिया के कारक के रूप में जाना जाता है, इसीलिये इस वैक्सीन के नाम में  संयुग्म या 'कंजुगेट' शब्द को शामिल किया गया है।
    • संयुग्म टीकों दो अलग-अलग घटकों के संयोजन के माध्यम से बनाया जाता है
  • भारत सरकार द्वारा न्यूमोकोकल बीमारी से लड़ने के लिये सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के तहत पीसीवी की पहुँच सुनिश्चित की जा रही है।

स्रोत: द हिंदू

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