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कोविशील्ड: नैदानिक परीक्षण के चरण

  • 04 Aug 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

COVID-19, ग्रैंड चैलेंज इंडिया प्रोग्राम, राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन

मेन्स के लिये:

नैदानिक परीक्षण का चिकित्सीय क्षेत्र में महत्त्व 

चर्चा में क्यों?

हाल ही मेंड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया’ (Drugs Controller General of India-DCGI) द्वारा भारत में कोविशील्ड के द्वितीय और तृतीय चरण के नैदानिक परीक्षण (Clinical Trials) करने के लिये  सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India-SII), पुणे को मंजूरी दे दी गई है।

प्रमुख बिंदु:

  • SII विश्व में वैक्सीन का सबसे बड़ा निर्माता है इसके द्वारा निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिये COVID-19 वैक्सीन बनाने हेतु, स्वीडिश-ब्रिटिश फार्मा एस्ट्राज़ेनेका (AstraZeneca) के साथ टाई-अप किया गया है।
  • कोविशील्ड(Covishield)
    • यह ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका COVID-19 वैक्सीन के निर्माता को दिया गया नाम है जिसे तकनीकी रूप से AZD1222 या ChAdOx 1 nCoV-19 कहा जाता है।
    • COVID-19 वैक्सीन के निर्माण के लिये पहले से ही यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में परीक्षण किये जा रहे हैं, जहाँ परीक्षण में शामिल प्रतिभागियों को लगभग एक माह में दो खुराक दी जा रही है।
    • कोविशील्ड द्वारा अपने प्रारंभिक परीक्षण में कोरोनवायरस के खिलाफ मनुष्यों में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित की गई थी। प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को वैश्विक रूप से COVID-19 वैक्सीन के लिये प्राथमिक आवश्यकता माना जाता है।

पृष्ठभूमि:

  • ‘केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन’ (Central Drugs Standard Control Organisation-CDSCO) द्वारा स्थापित COVID-19 से संबंधित चिकित्सा के लिये विषय विशेषज्ञ समिति (Subject Expert Committee (SEC) ने महसूस किया है कि SII के परीक्षण स्थलों पर 'पैन इंडिया' दृष्टिकोण (pan India approach) को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।

परीक्षण:

  • SII, अब भारत बायोटेक (Covaxin) और ज़ाइडस कैडिला (ZyCov-D) जैसे अन्य वैक्सीन निर्माताओं से आगे बढ़ते हुए व्यापक तौर पर द्वितीय और तृतीय चरण के लिये परीक्षणों को शुरू कर सकता है, जो अभी प्रथम और द्वितीय चरण के परीक्षणों के स्तर पर हैं।
    • हालाँकि, परीक्षण की शुरुआत का सटीक समय अभी तक स्पष्ट नहीं है। परीक्षण शुरू करने से पहले नैतिकता समिति की मंजूरी मिलने में कम से कम एक सप्ताह का समय लगेगा। यदि निर्धारित समय में प्रक्रियाएँ पूर्ण हुई तो वर्ष 2020 के अंत तक वैक्सीन का निर्माण संभव है।
  • कोविशिल्ड के परीक्षण में देश भर की 18-विषम साइटों (odd sites) से लगभग 1,600 प्रतिभागी शामिल होंगे, जिनकी पहचान राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (National Biopharma Mission) और ग्रैंड चैलेंज इंडिया प्रोग्राम (Grand Challenges India Programme) द्वारा की गई हैं।

भारत में वर्तमान स्थिति: 

  • भारत में प्रति केस मृत्यु दर (Case Fatality Rate-CFR) की स्थिति अर्थात प्रति COVID-19 सकारात्मक केस पर मृत्यु की संख्या में सुधार हो रहा है तथा भारत वैश्विक स्तर पर COVID-19 में सबसे कम मृत्यु दरों वाले देश की स्थिति में बना हुआ है।
    • भारत में प्रति केस मृत्यु दर (Case Fatality Rate-CFR) 2.11 प्रतिशत है।

ग्रैंड चैलेंज इंडिया प्रोग्राम:

  • ग्रैंड चैलेंज इंडिया प्रोग्राम (Grand Challenges India Programm) भारत में ‘जैव प्रौद्योगिकी विभाग के जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद’ (Biotechnology Industry Research Assistance Counci- BIRAC) तथा ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ (Bill and Melinda Gates Foundation) के मध्य एक भागीदारी तंत्र है।
    • BIRAC एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जिसे DBT द्वारा स्थापित किया गया है।
  • उद्देश्य: भारत में नवीन स्वास्थ्य और विकास अनुसंधान को प्रेरित करने के उद्देश्य से संयुक्त पहल शुरू करना।

राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन

  • यह देश में बायोफार्मास्यूटिकल विकास में तेजी लाने के लिये एक उद्योग-अकादमिक सहयोगी मिशन है।
  • इसे वर्ष 2017 में कुल 1500 करोड़ की लागत के साथ शुरू किया गया था जो कुल 50 प्रतिशत की सह-लगात (Co-Funded) के साथ विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित है।
  • इस मिशन को BIRAC द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

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