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भारतीय अर्थव्यवस्था

ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी

  • 19 Aug 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चररस (Society of Indian Automobile Manufacturers-SIAM) द्वारा जारी आँकड़ों के मुताबिक बीते जुलाई माह में देश भर में सभी प्रकार के वाहनों की बिक्री में 18.71 प्रतिशत की गिरावट आई है। जुलाई में बेचे गए कुल वाहनों की संख्या जून के मुकाबले 22.45 लाख से घटकर 18.25 लाख इकाई तक आ गई। वाहनों की बिक्री में आई यह गिरावट विगत 19 वर्षों में सबसे अधिक है।

  • ऑटो सेक्टर में सबसे खराब प्रदर्शन दैनिक आधार पर उपयोग किये जाने वाले वाहनों के खंड (Segments) का रहा है। इस खंड में लगभग 31 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
  • ऑटोमोबाइल सेक्टर (Automobile Sector) लगभग एक साल पहले शुरू हुई इस मंदी को रोकने में असफल रहा है और हालत इस हद तक खराब हो चुके हैं कि इस सेक्टर की कई दिग्गज कंपनियों को अपने उत्पादन कार्य तक को रोकना पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक, उत्पादन कार्य के रुकने से इस सेक्टर में लगभग 2.15 लाख लोगों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ा हैं।

क्या हुआ है ऑटोमोबाइल सेक्टर को?

इस सेक्टर के लिये वित्तीय वर्ष 2018-19 की शुरुआत काफी अच्छी रही थी और इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2018) में वाहनों की बिक्री 18 प्रतिशत बढ़कर लगभग 70 लाख इकाईयों तक पहुँच गई थी, परंतु जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया ऑटो सेक्टर मंदी की गिरफ्त में आता गया और इस सेक्टर की वर्तमान परिस्थितियाँ काफी चिंताजनक हो गई हैं। ऑटो सेक्टर की मंदी का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस सेक्टर में सबसे आगे रहने वाली कंपनी मारुती (Maruti) को जुलाई 2018 की तुलना में जुलाई 2019 में 36.7 प्रतिशत का नुकसान हुआ है।

बिक्री न बढ़ने का कारण

बीते कई महीनों में ईंधन की बढ़ी हुई कीमतों, अधिक ब्याज़ दरों और वाहन बीमा लागत में वृद्धि के कारण वाहनों की कुल लागत में काफी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे वातावरण में त्योहारों का सीज़न भी मांग में वृद्धि करने में विफल रहा जिसके कारण वाहन कंपनियों के पास वाहनों का बड़ा स्टॉक जमा हो गया।

इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies-NBFC) का वित्तीय संकट भी इस गिरावट का प्रमुख कारण रहा है, क्योंकि ग्रामीण बाज़ार में बिकने वाले आधे से अधिक वाहन NBFC द्वारा ही वित्तपोषित किये जाते हैं और यदि NBFC सेक्टर वित्त प्रदान नहीं करेगा तो इसका सीधा असर वाहनों की बिक्री पर भी देखने को मिलेगा।

इसके अतिरिक्त ऑटो सेक्टर में मंदी का एक बड़ा कारण प्रत्यक्ष रूप से GST को भी माना जा रहा है। वर्तमान में सभी वाहनों पर GST की दर 28 प्रतिशत है जिसके कारण वाहनों की कुल लागत में भी बढ़ोतरी हो जाती है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे व्यापार युद्ध के प्रभाव को भी भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।

उपरोक्त कारणों के परिणामस्वरूप ही वाणिज्यिक वाहनों और दुपहिया वाहनों सहित सभी वाहन श्रेणियों में नकारात्मक वृद्धि दर दर्ज की जा रही है। इससे पहले यह आशा व्यक्त की गई थी कि यह गिरावट चुनाव की वज़ह से सामने आ रही है और चुनाव खत्म होते ही वाहनों की मांग में फिर वृद्धि होगी, परंतु ऐसा नहीं हुआ।

लोग क्यों नहीं खरीद रहे हैं वाहन?

यह अनुमान है कि कुछ उपभोक्ता नए भारत स्टेज (BS)-VI उत्सर्जन मानक वाले वाहन खरीदने का इंतज़ार कर रहे हैं, जिसे 1 अप्रैल, 2020 से लागू करने का फैसला लिया गया है। उद्योग से जुड़े कुछ लोगों ने यह भी चिंता ज़ाहिर की है कि सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर बहुत ज़्यादा ध्यान देना भी खरीदारों को पेट्रोल और डीज़ल वाहनों की खरीद को स्थगित करने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर में रोज़गार की स्थिति?

भारत में ऑटोमोबाइल उद्योग सबसे ज़्यादा रोज़गार प्रदान करने वाले उद्योगों में से एक है जो कि प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 37 मिलियन लोगों को रोज़गार देता है। देश की GDP में इसका 7 प्रतिशत से भी अधिक का योगदान है, परंतु लंबे समय तक मांग में कमी के कारण उद्योग के उत्पादन में काफी गिरावट आई है और इस क्षेत्र में नौकरियाँ भी काफी कम हो गई हैं। आँकड़ों के मुताबिक इस सेक्टर में मांग में कमी के कारण देशभर में तकरीबन 300 डीलरशिप बंद हो गई हैं। ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Automotive Component Manufacturers Association of India) द्वारा चेतावनी दी गई थी कि यदि लंबे समय तक इस सेक्टर की यही स्थिति बनी रहती है तो लगभग 10 लाख नौकरियों के समाप्त होने का खतरा बना हुआ है और यदि ऐसा होता है तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये बड़े रोज़गार संकट को जन्म देगा।

ऑटोमोबाइल सेक्टर की मांग

ऑटोमोबाइल सेक्टर नए लॉन्च और ऑफर के बावजूद भी बिक्री में आई गिरावट को काबू करने में असफल रहा है और ऐसे में इस सेक्टर की मांग यह है कि इस संबंध में तत्काल सरकारी हस्तक्षेप किया जाए। उद्योग की मांग है कि 28 प्रतिशत की मौजूदा GST दर को 18 प्रतिशत किया जाए ताकि वाहनों के मूल्य में तत्काल गिरावट हो सके। इसके अलावा यह भी मांग की जा रही है कि NBFC संकट से निपटने के लिये सरकार द्वारा तत्काल कुछ उपाय किये जाए और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये नीति को स्पष्ट किया जाए। हाल ही में उद्योग प्रतिनिधियों और वित्त मंत्री के बीच हुई बैठक में भी पूर्वलिखित मांगों को दोहराया गया है।

स्रोत: द हिंदू

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