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शासन व्यवस्था

आतंकी वित्तपोषण

  • 25 Jul 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

ओसाका में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन (28-29 जून,2019) की पृष्ठभूमि में संपन्न ब्रिक्स (BRICS) देशों की अनौपचारिक बैठक में भारत सहित ब्रिक्स के सभी सदस्य देशों ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को पूर्ण रूप से आतंकवाद के वित्तपोषण के विरुद्ध बनाने पर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

आतंकी वित्तपोषण (Terror financing) क्या है?

  • आतंकवादी वित्तपोषण आतंकवादी गतिविधि के लिये धन प्रदान करता है। इसमें वैध स्रोतों से प्राप्त धन जैसे कि व्यक्तिगत दान और व्यवसायों एवं धर्मार्थ संगठनों से लाभ आदि के साथ ही आपराधिक स्रोतों जैसे कि ड्रग व्यापार, हथियारों तथा अन्य सामानों की तस्करी, धोखाधड़ी, अपहरण और जबरन वसूली आदि शामिल हो सकते हैं।

भारत ने आतंकी वित्तपोषण से निपटने के लिये कई कदम उठाए है:

  • भारत सरकार द्वारा आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिये गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (Unlawful Activities (Prevention) Act) के प्रावधानों को सशक्त कर नकली भारतीय मुद्रा का प्रचलन करने, छापने, तस्करी करने को आतंकी कार्य घोषित किया गया है।
  • राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency-NIA) में एक टेरर फंडिंग एंड फेक करेंसी (Terror Funding and Fake Currency Cell-TFFC) सेल का गठन किया गया है जो टेरर फंडिंग और नकली मुद्रा के मामलों की जाँच करती है।
  • आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिये राज्य पुलिस कर्मियों को नियमित रूप से प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
  • भारत में ‘नकली भारतीय मुद्रा नोट नेटवर्क’ (Fake Indian Currency Notes network-FICN) आतंकी वित्तपोषण का एक मुख्य माध्यम है। इससे निपटने के लिये गृह मंत्रालय ने FICN सहयोग समूह (FICN Coordination Group-FCORD) का गठन किया है जो नकली मुद्रा के प्रचलन से संबंधित आसूचना/सूचना (Intelligence/ Information) को राज्यों/केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा करता है।
  • आतंकी वित्तपोषण संबंधी गतिविधियों में शामिल तत्त्वों पर कड़ी नज़र रखने और कानूनी कार्रवाई करने के लिये केंद्र एवं राज्यों की खुफिया तथा सुरक्षा एजेंसियाँ साथ मिलकर काम कर रही हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी को रोकने के लिये निगरानी की नवीन प्रणाली (New surveillance technology) का प्रयोग, सुरक्षा बलों की गश्त में वृद्धि, सीमा पर बाड़ लगाने (Border Fencing) जैसे उपाय किये गए हैं।
  • भारत और बांग्लादेश के मध्य नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी एवं उसके प्रचलन को रोकने के लिये समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding-MoU) पर हस्ताक्षर किये गये है। इसके साथ ही नेपाल और बांग्लादेश के पुलिस अधिकारियों को भारतीय मुद्रा की तस्करी/जालसाजी के संबंध में संवेदनशील बनाने के लिये समय-समय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force-FATF) भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी देश को जो धनशोधन रोधी (Anti-Money Laundering-AML) उपायों तथा आतंकवाद के वित्तपोषण (Combating of Financing of Terrorism-CFT) का मुकाबला करने में रणनीतिक रूप से कमज़ोर घोषित कर निगरानी सूची में डाल सकता है।
    • निगरानी सूची में डाले जाने के बावजूद यदि कोई देश कार्रवाई न करे तो उसे ‘खतरनाक देश’ घोषित कर सकता है। हाल ही में वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल (Financial Action Task Force-FATF) ने पाकिस्तान और श्रीलंका सहित ऐसे 11 ऐसे देशों की पहचान की है।

G20 शिखर सम्मेलन, ओसाका

  • हाल ही में जापान के ओसाका शहर में G-20 का 14वाँ शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में G-20 के सभी सदस्य राष्ट्रों ने हिस्सा लिया।
  • G-20 सम्मेलन में मौजूदा समय में वैश्विक परिप्रेक्ष्य में उपस्थित चुनौतियों पर चिंतन किया गया। इस सम्मेलन में विभिन्न राष्ट्रों के मध्य व्यापार तनावों, जलवायु परिवर्तन, डेटा प्रवाह, आतंकवाद, भ्रष्टाचार तथा लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर विचार किया गया।
  • भारत ने इस सम्मलेन में 20 से अधिक बैठकों में हिस्सा लिया। इन बैठकों में भारत-अमेरिका-जापान, भारत-चीन-रूस तथा ब्रिक्स (BRICS) देशों के साथ बैठकें महत्त्वपूर्ण रही है।

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल

(Financial Action Task Force-FATF)

  • वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल वर्ष 1989 में जी-7 की पहल पर स्थापित एक अंतः सरकारी संस्था है। इसका उद्देश्य ‘टेरर फंडिंग’, ‘ड्रग्स तस्करी’ और ‘हवाला कारोबार’ पर नज़र रखना है। इसका मुख्यालय फ्राँस के पेरिस में है।
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य-बल किसी देश को निगरानी सूची में डाल सकता है। निगरानी सूची में डाले जाने के बावजूद यदि कोई देश कार्रवाई न करे तो उसे ‘खतरनाक देश’ घोषित कर सकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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