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सूत्र (SUTRA) मॉडल

  • 06 May 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

कई वैज्ञानिकों ने सरकार द्वारा समर्थित एक मॉडल को कोविड की दूसरी लहर के लिये ज़िम्मेदार ठहराया हैं, जिसे SUTRA  (Susceptible, Undetected, Tested (positive), and Removed Approach) कहा जाता है , इस मॉडल के निर्माण के पीछे सबसे बड़ी धारणा यह थी कि भारत में कोविड की दूसरी लहर की संभावना नहीं है।

  • कोविड-19 की दूसरी लहर ने अप्रैल 2021 से हज़ारों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।

प्रमुख बिंदु 

परिचय:

  • कानपुर और हैदराबाद आईआईटी के वैज्ञानिकों ने भारत में कोविड ग्राफ का पूर्वानुमान लगाने के लिये SUTRA मॉडल लागू किया।
    • यह पहली बार तब सार्वजनिक रूप से लोगों के ध्यान में आया, जब उसके एक विशेषज्ञ सदस्य ने अक्तूबर 2020 में यह घोषणा की कि भारत में कोविड की स्थिति अपनी चरम सीमा पर है।
  • महामारी संबंधी विषयों का पूर्वानुमान लगाने के लिये यह मॉडल तीन मुख्य मापदंडों का उपयोग करता है, जो इस प्रकार हैं: 
    • बीटा (Beta): जिसे संपर्क दर भी कहा जाता है, जो यह मापता है कि एक संक्रमित व्यक्ति प्रतिदिन कितने लोगों को संक्रमित करता है। यह R0 वैल्यू से संबंधित है, जो एक संक्रमित व्यक्ति के संक्रमण के दौरान वायरस को फैलाने वाले लोगों की संख्या है।
    • पहुँच (Reach): यह जनसंख्या में महामारी के प्रसार के स्तर की एक माप है।
    • एप्सिलॉन (Epsilon): यह जाँच किये गए सक्रिय और असक्रिय मामलों का अनुपात है।

सूत्र संबंधित समस्याएँ:

  • भिन्नता (Variability):
    • SUTRA के पूर्वानुमानों के कई उदाहरण हैं जो वास्तविक मामलों की संख्या के अनुमान (Caseload) की पहुँच से बहुत दूर हैं और SUTRA मॉडल के पूर्वानुमान सरकारी नीतियों का मार्गदर्शन करने के लिये बहुत अधिक परिवर्तनशील हैं।
  •  अनेक मापदंड (Too Many Parameters):
    • SUTRA मॉडल समस्याग्रस्त था क्योंकि यह अनेक मापदंडों पर निर्भर था और जब भी इसके पूर्वानुमान विफल होते थे तो उन मापदंडों को पुनर्गठित किया जाता था।
    • अधिक पैरामीटर या मापदंड का होना, 'ओवरफिटिंग' (Overfitting) या किसी मॉडल के विफल होने के खतरे को संदर्भित करता है। इसके लिये 3 या 4 मापदंडों के साथ छोटी-छोटी पहलों पर किसी भी वक्र को स्थापित कर सकते हैं।
  • वायरस के व्यवहार को अनदेखा करना:
    • SUTRA मॉडल में वायरस के व्यवहार को पहचानने वाले गुणों की कमी है; कुछ तथ्यों द्वारा यह स्पष्ट होता है कि कुछ लोग दूसरों की तुलना में वायरस के बड़े ट्रांसमीटर थे (घर से काम करने वाले व्यक्ति की तुलना में बार्बर (नाई) या रिसेप्शनिस्ट अधिक ट्रांसमीटर थे); इसके अतिरिक्त सामाजिक या भौगोलिक विषमता के लिये लेखांकन की कमी और उम्र के अनुसार जनसंख्या का स्तरीकरण नहीं करना इसके प्रमुख कारणों में शामिल है, क्योंकि  इसने विभिन्न आयु समूहों के बीच संपर्कों के लिये इसकी वैधता को कम नहीं किया था।
  •  परिवर्तन के कारणों की अनदेखी:
    • नए वेरिएंट SUTRA मॉडल में 'बीटा' (जो अनुमानित संपर्क दर) नामक मापदंडों के मूल्य में वृद्धि के रूप में दिखाई दिये।
    • जहाँ तक ​​मॉडल का संबंध है, इसकी पैरामीटर वैल्यू में परिवर्तन नज़र आ रहा है। यह इस बात की पुष्टि नहीं करता कि परिवर्तन के पीछे क्या कारण हैं।

स्रोत: द हिंदू

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