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लॉकडाउन हटाने का उचित समय

  • 15 Apr 2020
  • 10 min read

प्रीलिम्स के लिये:

श्रृंखला अंतराल, हर्ड इम्युनिटी, मूल प्रजनन अनुपात, R- नॉट 

मेन्स के लिये:

लॉकडाउन की अवधि कब तक

चर्चा में क्यों?

‘नॉवल कोरोनावायरस’ अर्थात SARS- CoV- 2 पहले ही लाखों लोगों को प्रभावित कर चुका है तथा अभी वायरस के संक्रमण के मामलों  में कमी होने की संभावना नजर नहीं आ रही है, ऐसे में वैज्ञानिक समुदाय के बीच लॉकडाउन अवधि को लेकर बहस चल रही है। 

मुख्य बिंदु:

  • लॉकडाउन के चलते नागरिकों, पुलिस तथा ग्रामीणों के समूहों के बीच झड़प देखने को मिल रही है तथा अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है। 
  • दूसरी तरफ ‘समूह प्रतिरक्षा सीमा’ (Herd Immunity Threshold) के बिना लॉकडाउन को हटाना विनाशकारी हो सकता है। 

‘मूल प्रजनन अनुपात’

(Basic Reproductive Ratio- R0): 

  • एक संक्रमित व्यक्ति से वायरस का प्रसार अनेक अन्य असंक्रमित व्यक्तियों को हो सकता है। इस संख्या को ‘मूल प्रजनन अनुपात’ (Basic Reproductive Ratio- BRR) अर्थात R- नॉट (R-nought) कहा जाता है जबकि R0 के रूप में लिखा जाता है। 
  • R0 का मान जितना अधिक होगा महामारी उतनी ही अधिक संक्रामक होती है।
  • R0 को तीन संख्याओं का उत्पाद माना जाता है: 
    • संक्रमित व्यक्ति के उन दिनों की संख्या जिसमें वह दूसरों को संक्रमित कर सकता है।
    •  संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों की संख्या। 
    •  संपर्क में आए व्यक्ति के संक्रमित होने की संभावना।
  • SARS- CoV- 2 वायरस में R- नॉट का मान 2 से 3 के बीच होने का अनुमान है। खसरे (Measles) से पीड़ित एक व्यक्ति 12-18 अन्य व्यक्तियों जबकि इन्फ्लूएंजा (Influenza) से पीड़ित व्यक्ति लगभग 1-4 व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है।
  • इसे एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं। मान लीजिये R- नॉट का मान 2 है तथा संक्रमण की अवधि 10 दिन है। ऐसे में पहला संक्रमित व्यक्ति 2 अन्य लोगों को संक्रमित करेगा। जिनमें से प्रत्येक 2 अन्य (कुल 22) को संक्रमित करेंगें। इन 4 व्यक्तियों में से प्रत्येक 2 अन्य (23) को संक्रमित करेगें और इसी तरह 10 दिनों में एक संक्रमित व्यक्ति 2,046 व्यक्तियों को संक्रमित करेगा।

R0 को काम रखने के तरीके:

  • R-नॉट को कम रखने का सबसे आसान तरीका है कि खुद को हर दूसरे व्यक्तियों से दूर रखा जाए। केवल उन लोगों से दूरी बनाना पर्याप्त नहीं है जो संक्रमण के लक्षण दिखाते हैं अपितु हमें हर दूसरे व्यक्ति से दूरी बनाकर रखनी होती है।
  • कई सामान्य दिखाई देने वाले व्यक्ति वास्तव में संक्रमण के लक्षण प्रकट किये बिना संक्रमित हो सकते हैं। इसलिये जिस तरह R- नॉट COVID-19 के प्रसार को प्रभावित करता है, उसी तरह हमारा व्यवहार भी R- नॉट को प्रभावित करता है।

R0 तथा हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity):

  • हर्ड इम्युनिटी से आशय- “किसी समाज या समूह के कुछ प्रतिशत लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के माध्यम से किसी संक्रामक रोग के प्रसार को रोकना है।”
  • जब किसी व्यक्ति में वायरस का संक्रमण होता है तो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है। एक बार संक्रमण के बाद हमारा प्रतिरक्षा तंत्र इन वायरसों की पहचान कर लेता है तथा भविष्य में शरीर की सुरक्षा के लिये इनकी पहचान को याद रखता है। अगली बार जब वायरस शरीर को संक्रमित करने की कोशिश करता है, तो प्रतिरक्षा तंत्र वायरस पहचानने तथा इससे शरीर की सुरक्षा करने में सक्षम होता है।
  • एक व्यक्ति जो वायरस संक्रमित है या इस रोग ठीक हो चुका है उस व्यक्ति में फिर से संक्रमित होने की संभावना कम-से-कम अगले कई महीनों या वर्षों तक नहीं रहती है।
  • इसलिये जैसे-जैसे संक्रमण समुदाय में फैलता है, संक्रामक लोगों की संख्या लगातार कम होती जाती है, क्योंकि समुदाय के लोगों ने संक्रमण की बढ़ती संख्या के कारण पहले ही प्रतिरक्षा प्राप्त कर ली होती है। इसे हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) कहा जाता है।   

हर्ड इम्युनिटी तथा वैक्सीन में संबंध:

  • हर्ड इम्युनिटी को टीकाकरण के द्वारा भी बढ़ाया जा सकता है। भारत ने पोलियो का उन्मूलन करने में हर्ड इम्यूनिटी का उपयोग किया गया था। 
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि यदि SARS- CoV- 2 वायरस के लिये कोई टीका उपलब्ध होता तो इससे बड़ी संख्या में व्यक्तियों को संक्रमित हुए बिना ही हर्ड इम्युनिटी वाले लोगों की संख्या को बढ़ाया जा सकता था। 

हर्ड इम्युनिटी तथा महामारी की समाप्ति:

  • जब समुदाय में हर्ड इम्युनिटी वाले लोगों की संख्या बढ़ती है, तो अनेक संक्रमित व्यक्ति संक्रामक अवधि के दौरान दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में R- नॉट औसतन एक से कम होगा, जिससे संक्रमण के कुछ ही नवीन मामले सामने आएंगे। 
  • मौजूदा संकमण के मामले या तो ठीक हो जाएंगे या उनकी मृत्यु हो जाएगी। इससे रोग का प्रसार धीमा हो जाएगा तथा महामारी कुछ समय बाद समाप्त हो जाएगी।

श्रृंखला अंतराल (Series Interval) एवं COVID- 19:

  • दो संक्रमित व्यक्तियों में वायरस संक्रमण के लक्षणों के प्रकट होने के समय अंतराल की अवधि को श्रृंखला अंतराल कहा जाता है। यह अंतराल हमें वायरस के प्रसार के बारे में सूचित करता है। यह अंतराल जितना कम होता है, वायरस के समुदाय में प्रसार की गति उतनी ही अधिक होती है।

श्रृंखला अंतराल तथा हर्ड इम्युनिटी में संबंध:

  • SARS- CoV- 2 वायरस के लिये श्रृंखला अंतराल अवधि 5 से 7 दिनों के बीच होती है वहीं इन्फ्लूएंजा के लिये यह अवधि 1.3 दिन होती है। इसलिये इन्फ्लूएंजा वायरस,  SARS- CoV- 2 वायरस की तुलना में छह गुना अधिक तेज़ी से प्रसारित होता है।
  • हालाँकि यह COVID- 19 के बारे में अच्छी खबर नहीं है।  क्योंकि शृंखला अंतराल अधिक होने के कारण महामारी का समुदाय में धीरे-धीरे प्रसार होता है तथा लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात हर्ड इम्यूनिटी धीरे- धीरे विकसित हो पाती है जिससे COVID- 19 महामारी के लंबे समय तक चलने की संभावना है।

लॉकडाउन की अवधि कब तक?

  • हम यह जानते हैं कि वर्तमान लॉकडाउन को हमेशा के लिये नहीं लगाया जा सकता है। हम इस बारे में कभी भी निश्चित रूप से नहीं कह सकते हैं कि सभी लोगों ने प्रतिरक्षा प्राप्त की है। अत: लॉकडाउन को कुछ नियमों के साथ हटाने पर विचार करना चाहिये। लॉकडाउन को सुरक्षित रूप से हटाया जा सकता है, जब देश में व्यक्तियों का एक निश्चित अनुपात प्रतिरक्षा विकसित कर ले। 
  • गणितीय रूप में इसे एक निश्चित संख्या से निर्धारित किया जाता है, जिसे ‘समूह प्रतिरक्षा सीमा’ (Herd Immunity Threshold) कहा जाता है। यह उन लोगों की संख्या को दर्शाता है जिन पर संक्रमण का प्रभाव और संचार नहीं हो सकता।
  • वर्तमान में उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर COVID-19 के लिये यह सीमा लगभग 60% है। 

आगे की राह:

  • यह सुनिश्चित करना बहुत मुश्किल है कि देश के दो-तिहाई लोगों ने प्रतिरक्षा हासिल कर ली है। हम उन भौगोलिक क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं जहाँ COVID- 19 महामारी ने बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित किया है। इन क्षेत्रों में लॉकडाउन को बढ़ाया जाना चाहिये तथा निगरानी, परीक्षण और संक्रमण को रोकने के लिये अधिक सख्ती दिखानी चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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