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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने हेतु कदम

  • 24 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने और आर्थिक विकास दर को बढ़ाने के उद्देश्य से वित्त मंत्रालय द्वारा कुछ नए उपायों की घोषणा की गई है।

वित्त मंत्री द्वारा की गई प्रमुख घोषणाएँ:

  • निवेशकों के संबंध में -
    • सरकार ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors-FPIs) पर लगने वाला अधिभार (Surcharge) वापस ले लिया है।
    • इसके अलावा इक्विटी बाज़ार (Equity Markets) में घरेलू निवेशकों पर लगने वाला अधिभार (Surcharge) भी वापस ले लिया गया है।
    • डीमैट खाते (Demat Account) खोलने और म्यूचुअल फंड में निवेश के लिये आधार-आधारित केवाईसी (Aadhaar-Based KYC) को मंज़ूरी दी जाएगी।
  • उद्योग के संबंध में -
    • कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (Corporate Social Responsibility-CSR) के नियमों का उल्लंघन नागरिक अपराध (Civil Offence) के रूप में देखा जाएगा, न कि दंडनीय अपराध (Criminal Offence) के रूप में।
    • अब तक बचे हुए सभी जीएसटी (GST) रिफंड का 30 दिनों के भीतर भुगतान किया जाएगा।
    • भविष्य के सभी जीएसटी (GST) रिफंड का भुगतान 60 दिनों के भीतर किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है।
    • साथ ही वित्त मंत्रालय GST प्रणाली को और अधिक सरल बनाने का भी प्रयास कर रही है।
  • ऑटोमोबाइल सेक्टर के संबंध में -
    • 31 मार्च, 2020 से पहले खरीदे गए भारत स्टेज (Bharat Stage-BS) IV वाहन, अपने पंजीकरण की पूरी अवधि तक प्रयोग किये जा सकेंगे।
    • वित्त मंत्रालय ने सभी सरकारी विभागों में नए वाहनों की खरीद पर लगे प्रतिबंध को भी हटा दिया है, ताकि विभाग नए वाहन खरीद सके और वाहनों की मांग में वृद्धि हो।
    • इसके अलावा वाहन रजिस्ट्रेशन फीस (Vehicle Registration Fee) में बढ़ोतरी का निर्णय भी अगले साल जून तक के लिये टाल दिया गया है।
    • मार्च 2020 से पूर्व खरीदे गए वाहनों के लिये मूल्यह्रास (Depreciation) की दर बढ़ाकर 30 कर दी गई है।
  • एमएसएमई (MSME) के संबंध में -
  • एनबीएफसी (NBFC) के संबंध में -
    • गैर-बैंक वित्तीय संस्थाएँ (Non-bank financial institution-NBFC) भी अब आधार-आधारित केवाईसी (Aadhaar-Based KYC) का उपयोग कर सकती हैं।
    • NBFC को जारी होने वाले सभी पूर्व भुगतान नोटिस (Prepayment notices) की निगरानी बैंकों द्वारा की जाएगी।
    • केंद्र सरकार पब्लिक सेक्टर के बैंकों की सहायता करने के उद्देश्य से 70 हज़ार करोड़ रुपए की राशि जारी करेगी।

स्रोत: द हिंदू

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