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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

सदाबहार वनों से संबंधित अध्ययन

  • 18 Jan 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

अन्नामलाई टाइगर रिज़र्व

मेन्स के लिये:

वनों में कार्बन संचय एवं भंडारण से संबंधित तथ्य

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा अन्नामलाई टाइगर रिज़र्व (Anamalai Tiger Reserve) में ‘कार्बन संचय’ (Carbon Storage) संबंधी अध्ययन किया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • यह अध्ययन अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनकर्त्ताओं की एक टीम ने छह महीने से अधिक समय में उपग्रह आधारित आँकड़ों के आधार पर किया है।
  • इस अध्ययन में एक प्रमुख तथ्य यह पाया गया कि विभिन्न प्रजातियों से समृद्ध सदाबहार वनों में सर्वाधिक कार्बन संचय होता है।
  • ‘एन्वायरनमेंटल रिसर्च लैटर्स’ (Environmental Research Letters) नामक जर्नल में छपे एक लेख के अनुसार, हालिया वृक्षारोपण की तुलना में प्राकृतिक वनों में वर्षों से कार्बन अवशोषण (Carbon Capture) की दर अधिक थी।

अध्ययन संबंधी प्रमुख बिंदु:

कहाँ और किन वृक्षों पर किया गया अध्ययन:

  • यह अध्ययन प्राकृतिक सदाबहार, पर्णपाती वनों और सागौन और यूकेलिप्टस (Eucalyptus) के वृक्षों के संदर्भ में किया गया था।
  • यूकेलिप्टस के वृक्षारोपण के संबंध में किये गए अध्ययन में अन्य वृक्षों की तुलना में यूकेलिप्टस के वृक्ष द्वारा कम कार्बन भंडारण पाया गया।
  • सागौन के वृक्षों द्वारा भी पर्णपाती जंगलों के बराबर कार्बन संग्रहीत किया जाता है।
  • शोधकर्त्ताओं ने अन्नामलाई टाइगर रिज़र्व में वृक्षों के तने की परिधि तथा ऊँचाई को मापा और विभिन्न वनों एवं वृक्षों द्वारा कार्बन भंडारण का अनुमान लगाया।
  • अध्ययनकर्त्ताओं ने वर्ष 2000 से 2018 के दौरान कार्बन अवशोषण की दर और उसमें आई भिन्नता का आकलन करने के लिये अन्नामलाई टाइगर रिज़र्व के साथ परम्बिकुलम टाइगर रिज़र्व (Parambikulam Tiger Reserve), राजीव गांधी टाइगर रिज़र्व (Rajiv Gandhi Tiger Reserve), वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (Wayanad Wildlife Sanctuary) और भद्रा टाइगर रिज़र्व ( Bhadra Tiger Reserve) से संबंधित उपग्रह आधारित आँकड़ों का उपयोग किया।
  • अध्ययन किये गए क्षेत्रों के वृक्षों का उपयोग अतीत में इमारती लकड़ी तथा व्यावसायिक प्रयोग के लिये किया जाता था लेकिन वन्यजीवों के संरक्षण के संदर्भ में इन्हें अब संरक्षित किया गया है।
  • इस अध्ययन में औसत वार्षिक वर्षा तथा सूखे जैसी स्थितियों का भी सर्वे किया गया।

सदाबहार वन तथा अन्य वृक्षों द्वारा किये जाने वाले कार्बन संचय से संबंधित आँकड़े:

  • इस अध्ययन के अनुसार, विभिन्न प्रजातियों से समृद्ध सदाबहार वन लगभग 300 टन प्रति हेक्टेयर कार्बन का भंडारण करते हैं।
  • सदाबहार वनों की तुलना में सागौन और यूकेलिप्टस के वृक्षों द्वारा कार्बन भंडारण क्रमशः 43% और 55% कम पाया गया।
  • अध्ययनकर्त्ताओं ने यह भी पाया कि रोपित वृक्षों की तुलना में प्राकृतिक वनों द्वारा वर्ष-दर-वर्ष अधिक कार्बन अवशोषण किया गया।

अध्ययन के लाभ:

  • यह अध्ययन वनीकरण संबंधी नीतियों के निर्माण में सहायता कर सकता है।
  • सरकारी आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में प्रतिपूरक वनीकरण के लिये किये जाने वाले आधे से अधिक वृक्षारोपण में पाँच या उससे कम प्रजाति वाले वृक्षों का प्रयोग किया जाता है जो कि प्राकृतिक वनों की तुलना में कम और अपर्याप्त है।
  • अध्ययनकर्त्ताओं ने कहा कि यह स्थिति जैव विविधता और कार्बन अवशोषण की स्थिरता के लिये अच्छी नहीं है।
  • अध्ययनकर्त्ताओं के अनुसार, घास के मैदान स्वयं कार्बन अवशोषित कर सकते हैं, इनमें वृक्षारोपण किया जाना लाभ के स्थान पर हानिकारक सिद्ध हो सकता है।

दीर्घावधि प्रभाव:

  • अध्ययनकर्त्ताओं के अनुसार, दीर्घकाल में जलवायु परिवर्तन को कम करने की रणनीति के रूप में एकल कृषि या कम प्रजातियों के वृक्षारोपण को बढ़ाने की तुलना में प्राकृतिक वनों की रक्षा तथा उन्हें पुनर्जीवित करना और देशी प्रजाति के विविध वृक्षों के मिश्रण को अधिक वरीयता देना अधिक प्रभावी हो सकता है।
  • प्रजातियों से समृद्ध जंगल जैव विविधता के लिये लाभदायक हैं क्योंकि वे कई अन्य वन्यजीवों तथा प्रजातियों को आवास भी प्रदान करते हैं।
  • अध्ययन के अनुसार, प्रजातियों से समृद्ध वन रोगों के लिये भी प्रतिरोधी होते हैं।

स्रोत- द हिंदू

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