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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

जीसैट- 30 का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण

  • 18 Jan 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

जीसैट- 30, INSAT-4A, एरियन- 5, नौवहन उपग्रह, GSLV, गगनयान, संचार उपग्रह

मेन्स के लिये:

जीसैट- 30 का अंतरिक्ष कूटनीति में योगदान, भारत की अंतरिक्ष कूटनीति, संचार उपग्रहों का भारतीय संचार व्यवस्था पर प्रभाव

चर्चा में क्यों?

भारत के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट- 30 (GSAT- 30) को 17 जनवरी, 2020 को फ्रेंच गुयाना के कौरु (Kourou) स्थित गुयाना स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • GSAT- 30 इनसैट/जीसैट उपग्रह शृंखला का एक संचार उपग्रह है और यह 15 वर्षों तक कार्य करेगा। गौरतलब है कि इस उच्च शक्ति उपग्रह में 12 C-बैंड और 12 Ku-बैंड ट्रांसपोंडर लगे हुए हैं।
  • GSAT-30 को यूरोपीय प्रक्षेपण यान एरियन- 5 VA-251 से भू-तुल्यकालिक कक्षा में स्थापित किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि एरियन- 5 के माध्यम से GSAT- 30 के अतिरिक्त यूरोपीय संचार उपग्रह यूटेलसैट कनेक्ट (EUTELSAT KONNECT) को भी अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है ।
  • यह उपग्रह वर्ष 2005 में भेजे गए INSAT-4A उपग्रह का स्थान लेगा। ध्यातव्य है कि यह मिशन वर्ष 2020 का इसरो का पहला मिशन है।
  • यह संचार उपग्रह उच्च गुणवत्ता वाली टेलीविज़न, दूरसंचार एवं प्रसारण सेवाएँ मुहैया कराएगा।
  • जीसैट- 30 का उपयोग डायरेक्ट-टू-होम (DTH) टेलीविज़न सेवाएँ, VSAT कनेक्टिविटी (जो बैंकों के कामकाज में सहयोग करती है) प्रदान करने, एटीएम, स्टॉक एक्सचेंज, टेलीविज़न अपलिंकिंग और टेलीपोर्ट सेवाएँ, डिजिटल उपग्रह समाचार संग्रहण (Digital Satellite News Gathering) तथा ई-गवर्नेंस एप्लीकेशन इत्यादि सेवाओं के लिये किया जाएगा।
  • यह उपग्रह लचीला आवृत्ति खंड (Flexible Frequency segment) और फ्लेक्सिबल कवरेज (Flexible Coverage) प्रदान करेगा। यह उपग्रह Ku-बैंड के माध्यम से भारतीय मुख्य भूमि और द्वीपों को संचार सेवाएँ प्रदान करेगा और C-बैंड के माध्यम से खाड़ी देशों, बहुत से एशियाई देशों तथा ऑस्ट्रेलिया में व्यापक कवरेज प्रदान करेगा।
  • GSAT- 30 को अल्फा डिज़ाइन टेक्नोलॉजीज़ लिमिटेड (Alpha Design Technologies Ltd.) द्वारा बंगलूरू में असेंबल किया गया है। ध्यातव्य है कि इसके पहले यह समूह IRNSS- 1H एवं IRNSS- 1I नौवहन उपग्रह में भी काम कर चुका है।

विदेशी प्रक्षेपण यान के उपयोग के कारण

  • भारत ने यूरोपीय प्रक्षेपण यान एरियन-5 को GSAT-30 (वज़न 3357 किलोग्राम) के प्रक्षेपण हेतु चुना है क्योंकि GSAT-30 का भार भारतीय भू-तुल्यकालिक प्रक्षेपण यान- MK II (GSLV- MK II) के भार उठाने की क्षमता से काफी अधिक है।
  • इसरो द्वारा नए और अधिक शक्तिशाली GSLV-MkIII, जिसकी भार उठाने की क्षमता 4,000 किलोग्राम तक है, को वर्ष 2022 में गगनयान मिशन और दो पूर्ववर्ती क्रू-लेस परीक्षणों (two preceding crew-less trials) के लिए बचाने के उद्देश्य से इसका उपयोग इस मिशन हेतु नहीं किया गया। साथ ही GSLV- MKIII के उपयोग से मिशन की लागत में वृद्धि को देखते हुए भी इसका प्रयोग प्रक्षेपण हेतु नहीं किया गया।
  • गौरतलब है कि हाल के वर्षों में इसरो अपने परिसर में नियमित अंतरिक्षयान बनाने के लिये मध्यम आकार के उद्योगों के समूह का सहारा ले रहा है।

एरियन- 5 के बारे में

  • यह यूरोपीय प्रक्षेपण यान है।
  • इसने पिछले 30 वर्षों में भारत के लगभग 24 संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया है। गौरतलब है कि इसकी शुरुआत वर्ष 1981 के एप्पल (APPLE) प्रयोगात्मक उपग्रह के प्रक्षेपण से हुई थी।
  • इसने आखिरी बार फरवरी 2019 में एक प्रतिस्थापन उपग्रह जीसैट- 31 को लॉन्च किया था।

स्रोत: द हिंदू

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