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Rapid Fire करेंट अफेयर्स (01 July)

  • 01 Jul 2019
  • 7 min read
  • 1 जुलाई को देशभर में डॉक्टर्स डे का आयोजन किया जाता है। विख्यात चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधान चंद्र रॉय की याद में यह दिवस मनाया जाता है। 1 जुलाई को डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जन्मदिवस होता है। उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। डॉक्टर्स की उपलब्धियों और चिकित्सा के क्षेत्र में नए आयाम हासिल करने वाले डॉक्टर्स के सम्मान के लिये हर साल डॉक्टर्स डे का आयोजन किया जाता है। अन्य देशों में डॉक्टर्स डे अलग-अलग दिन आयोजित किया जाता है। डॉक्टर्स डे की शुरुआत दुनिया में सबसे पहले अमेरिका के जॉर्जिया से हुई थी। 30 मार्च, 1933 को फिजिशियन यानी डॉक्टर्स के सम्मान के लिये यह दिन तय करने का विचार यूडोरा ब्राउन एलमंड ने दिया था। इसके बाद 30 मार्च, 1958 को अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स ने यूडोरा ब्राउन एलमंड के विचार को स्वीकार कर लिया।
  • 1 जुलाई को देशभर में GST दिवस का आयोजन किया जाता है। गौरतलब है कि 30 जून, 2017 की मध्य रात्रि में संसद के केंद्रीय कक्ष में इस नई टैक्स व्यवस्था का ऐलान किया गया था। इसे भारतीय टैक्स सिस्टम में अभूतपूर्व सुधार माना जाता है। GST का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अभूतपूर्व प्रभाव पड़ा है और यह एक गेम चेंजर साबित हुआ है, क्योंकि इससे कई स्तरों पर लगने वाले अप्रत्यक्ष करों की जटिल व्यवस्था बदल गई है और उसकी जगह एक सरल, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी से प्रेरित कर व्यवस्था लागू हो गई है। इसके अलावा अंतर्राज्यीय कारोबार की बाधाएँ दूर होने से भारत में एकल बाज़ार व्यवस्था कायम हो रही है। GST के तहत विभिन्न स्तरों पर लगने वाले कर समाप्त हो गए हैं तथा लेन-देन लागत भी कम हुई है।
  • 29 जून को अर्थशास्त्र व सांख्यिकी के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रो. पी.सी. महालनोबिस के जन्मदिन पर 13वाँ सांख्यिकी दिवस मनाया गया। पी.सी. महालनोबिस प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद् थे। सामाजिक-आर्थिक नियोजन व सरकारी क्षेत्र में सांख्यिकी के महत्त्व को लेकर उनके योगदान की याद में उनका जन्मदिन सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य रोजाना के जीवन और योजना एवं विकास की प्रक्रिया में सांख्यिकी के महत्त्व के प्रति लोगों को जागरूक करना है। यह राष्‍ट्रीय सांख्यिकीय प्रणाली की स्‍थापना में उनके अमूल्‍य योगदान का भी परिचायक है। इस वर्ष इस दिवस की थीम सतत विकास लक्ष्य (SDG) रखी गई है।
  • 30 जून को दुनियाभर में International Day of Parliamentarism का आयोजन किया जाता है। 30 जून को यह दिवस इसलिये मनाया जाता है क्योंकि वर्ष 1889 में इसी दिन संसदों के वैश्विक संगठन Inter-Parliamentary Union यानी अंतर-संसदीय संघ की स्थापना हुई थी। IPU का उद्देश्य विश्वव्यापी संसदीय संवाद कायम करना और शांति एवं सहयोग बनाए रखते हुए लोकतंत्र को मज़बूत बनाना है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिये यह सभी देशों की संसद तथा सांसदों के बीच समन्वय और अनुभवों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करता है और अंतर्राष्ट्रीय हितों तथा सरोकारों के प्रश्नों पर विचार-विमर्श करता है। इसका मुख्यालय जिनेवा में है और इसके 164 सदस्य तथा 10 संबद्ध सदस्य हैं।
  • केंद्र सरकार राशन कार्डधारकों की सुविधा के लिये ‘एक राष्ट्र-एक कार्ड’ शुरू करने की योजना बना रही है। इस योजना के लागू होने के बाद राशन कार्डधारक देश के किसी भी हिस्से से अपने कार्ड के ज़रिये राशन उठा सकेगा। इससे सबसे अधिक लाभ नौकरी की तलाश में एक राज्य से दूसरे राज्यों में पलायन करने वालों को मिलेगा। इस योजना से जुड़ी औपचारिकताओं को एक साल में पूरा करने का लक्ष्य है। इस योजना को लागू करने के लिये सभी जन वितरण योजना वाली दुकानों (PDS) पर POS मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। फिलहाल आंध्र प्रदेश, हरियाणा और कुछ अन्य प्रदेशों में सभी PDS पर POS सुविधा है, लेकिन देशभर में इस योजना का लाभ लेने के लिये 100 प्रतिशत उपलब्धता होना जरूरी है। इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट ऑफ PDS के तहत उपभोक्ता किसी भी राज्य से अपना राशन ले सकेंगे। वर्तमान में यह योजना आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना और त्रिपुरा में लागू है। PDS 81 करोड़ उपभोक्ताओं की जीवन रेखा है, जिनके माध्यम से हर साल 612 लाख टन अनाज FCI, CWC और SWCs तथा प्राइवेट गोदामों से हर साल वितरित होता है।
  • नेपाल सरकार ने एक सप्ताह तक चले आंदोलन के बाद नेशनल असेंबली में प्रस्तुत विवादास्पद गुथी (न्यास) विधेयक को औपचारिक रूप से वापस ले लिया। गुथी अधिनियम में संशोधन के लिये रखे गए इस विधेयक के तहत सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार की गुथियों का राष्ट्रीयकरण किया जाना तथा एक शक्तिशाली आयोग के माध्यम से सभी धार्मिक स्थलों को विनियमित किया जाना प्रस्तावित था। पुरातन नेवार समुदाय का मानना था कि इस विधेयक के पारित होने के बाद सनातन हिदू परंपरा खतरे में आ जाएगी तथा प्रस्तावित विधेयक से सार्वजनिक न्यासों में नेताओं, सरकारी अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों का प्रवेश संभव हो जाएगा और वे इसकी हज़ारों हेक्टेयर जमीन का गबन कर लेंगे।
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