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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

डिजिटल डिवाइड: कारण और प्रभाव

  • 09 Sep 2020
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय

मेन्स के लिये

डिजिटल डिवाइड का अर्थ, उसके कारण और प्रभाव

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistics Office-NSO) के 75वें दौर (जुलाई 2017-जून 2018) के सर्वेक्षण के एक हिस्से के रूप में भारत में ‘पारिवारिक सामाजिक उपभोग: शिक्षा’ पर जारी एक रिपोर्ट के आँकड़े भारत में राज्यों, शहरों, गाँवों और विभिन्न आय समूहों के बीच मौजूद गंभीर डिजिटल डिवाइड को दर्शाते हैं।  

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 10 घरों में से केवल 1 के पास ही कंप्यूटर (डेस्कटॉप, लैपटॉप या टैबलेट) की सुविधा उपलब्ध है। हालाँकि देश के तकरीबन एक-चौथाई घरों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है, जिसमें स्मार्टफोन समेत अन्य सभी उपकरण शामिल हैं। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में इंटरनेट की पहुँच सबसे अधिक है और यहाँ के 55.7 प्रतिशत घरों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है।
    • हिमाचल प्रदेश और केरल दो अन्य ऐसे राज्य हैं जहाँ आधे से अधिक घरों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है।
  • वहीं दूसरी ओर इंटरनेट तक पहुँच के मामले में सबसे खराब स्थिति ओडिशा की है, जहाँ मात्र 10 प्रतिशत घरों में ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है।

डिजिटल डिवाइड का अर्थ

  • सरलतम रूप में डिजिटल डिवाइड का अर्थ समाज में सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICT) के उपयोग तथा प्रभाव के संबंध में एक आर्थिक और सामाजिक असमानता से है।
  • डिजिटल डिवाइड की परिभाषा में प्रायः सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICT) तक आसान पहुँच के साथ-साथ उस प्रौद्योगिकी के उपयोग हेतु आवश्यक कौशल को भी शामिल किया जाता है।
  • इसके तहत मुख्यतः इंटरनेट और अन्य प्रौद्योगिकियों के उपयोग को लेकर विभिन्न सामाजिक-आर्थिक स्तरों या अन्य जनसांख्यिकीय श्रेणियों में व्यक्तियों, घरों, व्यवसायों या भौगोलिक क्षेत्रों के बीच असमानता का उल्लेख किया जाता है।

डिजिटल डिवाइड के प्रभाव

शिक्षा पर प्रभाव

  • इंटरनेट ज्ञान और सूचना का एक समृद्ध भंडार उपलब्ध कराता है, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICT) की पहुँच और उपलब्धता अकादमिक सफलता और मज़बूत अनुसंधान गतिविधियों से जुड़ी हुई है, क्योंकि इंटरनेट के माध्यम से किसी भी सूचना तक काफी जल्दी पहुँचा जा सकता है।
  • शिक्षा एक बहुत ही गतिशील क्षेत्र है और नवीनतम सूचना और ज्ञान प्राप्त करना इस क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिये काफी महत्त्वपूर्ण है। 
  • सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) उपकरणों की अपर्याप्तता ने विकासशील देशों में पहले से ही कमज़ोर शिक्षा प्रणाली को और अधिक अप्रभावी बना दिया है। इस प्रकार देश के विद्यालयों के शिक्षा मानकों में सुधार करने के लिये आवश्यक है कि वहाँ कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ। 

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

  • सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) की उपलब्धता देश के व्यवसायों की सफलता को प्रभावित करती है, संपूर्ण विश्व धीरे-धीरे डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहा है और ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था के उन क्षेत्रों के लिये लाभ कमाना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है जहाँ सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों की उपलब्धता काफी कम है।
  • इंटरनेट की उपलब्धता न होने के कारण प्रायः व्यापार बाधित होता है और लाभ कमाना काफी मुश्किल हो जाता है और ऐसी स्थिति में अर्थव्यवस्था का विकास खतरे में पड़ सकता है।

सामाजिक प्रभाव

  • डिजिटल डिवाइड ने समाज को दो स्तरों पर विभाजित करने का कार्य किया है, जिसमें पहला वर्ग वह है जिसके पास इंटरनेट तक पहुँच है, वहीं दूसरा वह है जो डिजिटल साक्षरता अथवा किसी अन्य कारणवश सूचना और संचार प्रौद्योगिकी उपकरणों का प्रयोग करने में असमर्थ है।
  • इस प्रकार डिजिटल डिवाइड के कारण समुदाय में नए संरेखण का उदय हुआ है जिसके तहत लोगों को इंटरनेट सेवाओं का उपयोग करने की क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया जा रहा है।

अन्य प्रभाव

  • सोशल मीडिया के युग में, डिजिटल कनेक्टिविटी के बिना राजनीतिक सशक्तीकरण और काफी मुश्किल हो गया है।
  • डिजिटल डिवाइड के कारण ग्रामीण भारत आवश्यक सूचना की कमी का सामना कर रहा है, जो कि गरीबी, अभाव और पिछड़ेपन के दुष्चक्र को और मज़बूत करता है।

डिजिटल डिवाइड के कारण

  • कम साक्षरता दर: कम साक्षरता दर देश में डिजिटल डिवाइड को बढ़ाने में अतिमहत्त्वपूर्ण  भूमिका अदा करती है, प्राथमिक अथवा माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त लोगों की अपेक्षा उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त लोग कंप्यूटर और इंटरनेट का अधिक कुशलता से प्रयोग कर सकते हैं।
  • आय का स्तर: डिजिटल डिवाइड को बढ़ाने में आय के स्तर का अंतर भी अपनी भूमिका अदा करता है, प्रायः उच्च आय वाले लोगों के लिये कंप्यूटर और इंटरनेट समेत अन्य सभी सेवाएँ काफी आसानी से उपलब्ध होती हैं, जबकि निम्न आय वाले लोगों के लिये ऐसा नहीं होता है।
    • कFम आय वाले लोगों के लिये धन काफी दुर्लभ होता है और उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा उनकी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में ही चला जाता है। वे प्रौद्योगिकी को एक विलासिता के रूप में देखते हैं।
  • भौगोलिक स्थिति: किसी देश की भौगोलिक स्थिति भी उस देश में डिजिटल विभाजन को बढ़ाने में मदद करती है। शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण या पहाड़ी क्षेत्रों की तुलना में इंटरनेट तक पहुँच की संभावना अधिक होती है। 
  • डिजिटल साक्षरता की कमी: डिजिटल साक्षरता का आशय उन तमाम तरह के कौशलों के एक समूह से है, जो इंटरनेट का प्रयोग करने और डिजिटल दुनिया के अनुकूल बनने के लिये आवश्यक हैं। प्रायः यह देखा जाता है कि कंप्यूटर अथवा इंटरनेट सेवाओं तक पहुँच यह सुनिश्चित नहीं करती कि वह व्यक्ति उस उपकरण अथवा सेवा का सही ढंग से प्रयोग भी कर सकता है। 

निष्कर्ष

भारत में डिजिटल डिवाइड को कम करने और डिजिटल साक्षरता को बढ़ाने के लिये तमाम तरह के प्रयास किये गए हैं, जिसके कारण बीते कुछ वर्षों में देश में डिजिटल साक्षरता में बढ़ोतरी देखने को मिली है, हालाँकि अभी भी ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटल साक्षरता की दृष्टि से बहुत कुछ किया जाना शेष है। केंद्र व राज्य सरकार को चाहिये कि वह इस क्षेत्र में निवेश को प्राथमिकता दें साथ ही देश में दूरसंचार नियमों को और अधिक मज़बूती प्रदान करें ताकि बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित हो सके। 

स्रोत: द हिंदू

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