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नीति आयोग का 'बहुआयामी गरीबी सूचकांक'

  • 08 Sep 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

बहुआयामी गरीबी सूचकांक, SDG-1

मेन्स के लिये:

नीति आयोग का 'बहुआयामी गरीबी सूचकांक' 

चर्चा में क्यों?

'वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक' (Global Multidimensional Poverty Index- MPI) की निगरानी करने के लिये ‘नीति आयोग’ (NITI Aayog) द्वारा राष्ट्रीय फ्रेमवर्क का निर्माण किया जा रहा है । नीति आयोग, भारत में MPI की निगरानी के लिये नोडल एजेंसी है।

प्रमुख बिंदु:

  • वैश्विक MPI, भारत सरकार द्वारा पहचाने गए उन 29 चुनिंदा वैश्विक सूचकांकों में से एक है, जिन्हें ‘सुधार और विकास के लिये वैश्विक संकेतक' (Global Indices to Drive Reforms and Growth- GIRG) के रूप में जाना जाता है। 
  • GIRG में शामिल सूचकांक, महत्त्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक संकेतकों के आधार पर भारत के प्रदर्शन का मापन और निगरानी करने में मदद करते हैं  

वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI):

  • वैश्विक ‘बहुआयामी गरीबी सूचकांक’ 107 विकासशील देशों की बहुआयामी गरीबी मापने की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली है
  • इसे ‘ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल’ (OPHI) और ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’ (UNDP) द्वारा वर्ष 2010 में विकसित किया गया था।
  • इसे प्रतिवर्ष जुलाई माह में संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास पर 'उच्च-स्तरीय राजनीतिक फोरम' (HLPF) में जारी किया जाता है।

MPI

नीति आयोग द्वारा MPI निगरानी फ्रेमवर्क की दिशा में कदम:

MPI-Framework

'बहुआयामी गरीबी सूचकांक समन्वय समिति:

  • नीति आयोग द्वारा MPI की निगरानी के लिये एक 'बहुआयामी गरीबी सूचकांक समन्वय समिति' (Multidimensional Poverty Index Coordination Committee- MPICC) का गठन किया गया है।
  • इस समिति में विद्युत, दूरसंचार, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, आवास और शहरी मामले, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण जैसे मंत्रालयों और विभागों के सदस्य शामिल हैं। इन मंत्रालयों/विभागों का चयन MPI सूचकांक में शामिल दस संकेतकों के आधार पर किया गया है। 
  • मंत्रालयों/विभागों के सदस्यों के अलावा OPHI और UNDP के विशेषज्ञ भी समिति को अपनी तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएंगे।

राष्ट्रीय MPI तथा पैरामीटर डैशबोर्ड:

  • राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की रैंक तैयार करने के लिये नीति आयोग द्वारा एक राष्ट्रीय 'बहुआयामी गरीबी सूचकांक' तैयार किया जा रहा है। 
  • MPI में प्रदर्शन की निगरानी के लिये MPI पैरामीटर डैशबोर्ड तैयार किया जा रहा है। 
  • यह डैशबोर्ड पाँच बेंचमार्को के आधार पर राज्यों की प्रगति का आकलन  करेगा। 
    • MPI के आयाम (शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन स्तर);
    • MPI के संकेतकों (10 संकेतकों); 
    • उप-संकेतकों (प्रत्येक संकेतक में 13 उप-संकेतक), 
    • आधार रेखा ['राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)- 4 के आधार पर निर्धारित]
    • राज्यों की वर्तमान स्थिति (संकेतकों के नवीनतम आउटकम सर्वे पर आधारित)

MPI-Dashboard

राज्य सुधार कार्य योजना (SRAP):

  • MPI के अनुसार, राज्यों में आवश्यक सुधारों को लागू करने के लिये एक 'राज्य सुधार कार्य योजना' (State Reform Action Plan- SRAP) को क्रियान्वित किया जाएगा।
  • SRAP को क्रियान्वित करने के लिये निम्नलिखित चरणबद्ध कदम उठाए जाएंगे:
    1. MPI संकेतकों को उप-संकेतकों में विभाजित अर्थात संकेतकों का विसमूहन किया जाएगा। 
    2. संकेतकों से संबंधित योजनाओं के प्रदर्शन का मापन करना। 
    3. संबंधित योजना को क्रियान्वित करने वाले मंत्रालय/विभाग की पहचान करना। 
    4. विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों तथा अन्य हितधारकों से परामर्श करना। 
    5.  लक्ष्य तथा समय-सीमा तय करना। 
    6. उच्च, माध्यम तथा निम्न वरीयताओं का निर्धारण करना। 

MPI-performance

राष्ट्रीय MPI निगरानी फ्रेमवर्क का महत्त्व:

  • नीति आयोग का राष्ट्रीय MPI निगरानी फ्रेमवर्क 'सतत् विकास लक्ष्य'- 1, जो गरीबी को उसके सभी रूपों में हर जगह से खत्म करने पर बल देता है, के अनुरूप है।
  • विश्व बैंक की गरीबी रेखा की अवधारणा की तुलना मे MPI, अधिक व्यापक दृष्टिकोण है, जो ‘सामाजिक अवसंरचना’ पर व्यय बढ़ाने की भारत की आवश्यकता के अनुकूल है। MPI का राष्ट्रीय मापन प्रतिस्पर्द्धी संघवाद को बढ़ावा देगा।

निष्कर्ष:

  • ‘बहुआयामी गरीबी’ के निर्धारण में आय ही एक मात्र संकेतक नहीं होता बल्कि अन्य सूचकों जैसे- खराब स्वास्थ्य, काम की खराब गुणवत्ता आदि पर भी ध्यान दिया जाता है। अत: MPI की बेहतर निगरानी से राष्ट्रीय विकसात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

स्रोत: पीआइबी

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