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राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना की मध्यावधि समीक्षा

  • 18 Dec 2020
  • 8 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने ‘राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना’ (National Hydrology Project-NHP) के तहत हुई प्रगति की समीक्षा की है।

प्रमुख बिंदु:  

राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना: 

  • इस योजना की शुरुआत वर्ष 2016 में एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना के रूप की गई थी, इसके तहत अखिल भारतीय स्तर पर कार्यान्वयन एजेंसियों के लिये 100% अनुदान का प्रावधान किया गया है।
  • यह केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की एक पहल है तथा इसे विश्व बैंक (World Bank) द्वारा भी समर्थन प्राप्त है।
  • इस योजना पर 8 वर्ष की अवधि के लिये 3680 करोड़ के परिव्यय बजट का निर्धारण किया गया है।
  • लक्ष्य: 
    • जल संसाधन जानकारी की सीमा, विश्वसनीयता और पहुँच में सुधार करने हेतु
    • भारत में लक्षित जल संसाधन प्रबंधन संस्थानों की क्षमता को मज़बूत करना
    • विश्वसनीय सूचना के अधिग्रहण को प्रभावी रूप से सुगम बनाना  जो एक कुशल जल संसाधन विकास और प्रबंधन का मार्ग प्रशस्त करेगा।
  • लाभार्थी
    • नदी बेसिन संगठनों सहित सतह और/या भूजल नियोजन और प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार केंद्रीय तथा राज्य कार्यान्वयन एजेंसियाँ।
    • विश्व भर में तथा विभिन्न क्षेत्रों में ‘जल संसाधन सूचना प्रणाली’ (WRIS) के उपयोगकर्त्ता।

परियोजना के घटक:

  • जल संसाधन निगरानी प्रणाली: जल संसाधन निगरानी प्रणाली (WRMS) जल संसाधनों के आँकड़ों की सीमा, समयबद्धता और विश्वसनीयता में सुधार पर केंद्रित है।
    • हाइड्रोमेट अवलोकन नेटवर्क (Hydromet Observation Network) की स्थापना।
    • जल अवसंरचना के लिये पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (SCADA) सिस्टम की स्थापना।
    • हाइड्रो-सूचना विज्ञान केंद्रों की स्थापना।
  • ‘जल संसाधन सूचना प्रणाली’ (WRIS): WRIS विभिन्न डेटा स्रोतों / विभागों के डेटाबेस और उत्पादों के मानकीकरण के माध्यम से वेब-सक्षम जल संसाधन सूचना प्रणाली के साथ राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय जल सूचना केंद्रों को मज़बूत करने का समर्थन करती है। 
    • जल संसाधन सूचना प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
    • राज्य जल संसाधन सूचना प्रणाली की स्थापना।
  • जल संसाधन संचालन और नियोजन  प्रणाली (WROPS):  WROPS इंटरैक्टिव विश्लेषणात्मक उपकरणों और निर्णय समर्थन प्लेटफाॅर्मों के विकास का समर्थन करती है,  जो   हाइड्रोलॉजिकल फ्लड फोरकास्टिंग, एकीकृत जलाशय संचालन और जल संसाधनों के सुधार के लिये डाटाबेस, मॉडल और परिदृश्य प्रबंधक को एकीकृत करेगा जिससे सतही और भूजल दोनों के बेहतर संचालन, योजना और प्रबंधन में सुधार होगा।  
    • विश्लेषणात्मक उपकरण और निर्णय समर्थन प्रणाली का विकास।
    • उद्देश्य प्रेरित अध्ययन।
    • अभिनव ज्ञान उत्पाद संचालन।
  • जल संसाधन संस्थान क्षमता संवर्द्धन (WRICE): इसका लक्ष्य ज्ञान आधारित जल संसाधन प्रबंधन के लिये क्षमता निर्माण करना है।
    • जल संसाधन ज्ञान केंद्र।
    • पेशेवर विकास।
    • परियोजना प्रबंधन।
    • परिचालनात्मक समर्थन।

मध्यावधि समीक्षा: 

  • एनएचपी को राष्ट्रीय महत्त्व की परियोजना की संज्ञा दी गई है क्योंकि यह सभी राज्यों  को जल संसाधनों से संबंधित डेटा सहयोग प्रदान करने और साझा करने के लिये एक राष्ट्रव्यापी 'नोडल' 'एकल बिंदु’ मंच स्थापित करता है।
  • WRMS, WRIS, WROPS और WRICE के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है।
  • राष्ट्रीय जल विज्ञान परियोजना (NHP) के तहत जल संसाधन डेटा का एक राष्ट्रव्यापी भंडार/संग्रह- 'राष्ट्रीय जल सूचना विज्ञान केंद्र' (NWIC) की स्थापना की गई है
  • एनएचपी पैन इंडिया के आधार पर डेटा अधिग्रहण प्रणाली (RTDS) की स्थापना पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो मैनुअल डेटा अधिग्रहण स्टेशनों का पूरक होगा और बेहतर जल संसाधन प्रबंधन के लिये निर्णय लेने हेतु एक मज़बूत नींव रखेगा।
  • NHP के माध्यम से जल संसाधनों के प्रबंधन में एक व्यापक परिवर्तन देखने को मिलेगा क्योंकि इसके तहत एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने के साथ अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
  • चिंताएँ:
    • देश में इतने बड़े पैमाने पर बिखरी हुई एजेंसियों से डेटा एकत्र करना प्रभावी जल संसाधन प्रबंधन और महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेने में भी एक बड़ी बाधा  है।
    • पिछली सरकारों के उदासीन रवैये और रुचि की कमी के परिणामस्वरूप विश्वसनीय ऐतिहासिक डेटा की अनुपलब्धता का सामना करना पड़ा है।
  • सुझाव :
    • अधिकारियों को NHP के तहत किये गए महत्त्वपूर्ण कार्यों को सार्वजनिक मंचों पर साझा करने के लिये निर्देशित किया जाना चाहिये और इस पहल में योगदान देने के लिये विश्व स्तर पर अकादमिक समुदाय, विश्वविद्यालयों/अनुसंधान संस्थानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
    • इसके साथ ही केंद्रीय जल आयोग (CWC), केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB), राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (NWDA), राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान (NIH) आदि जैसे विभिन्न हितधारकों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये जल संसाधन प्रसार मंच ‘India-WRIS’  को और बेहतर बनाना आवश्यक है।

आगे की राह: 

  • समय के साथ सरकार,निजी क्षेत्रों और शैक्षणिक तथा अनुसंधान संस्थानों में स्वाभाविक रूप से व्यापक  डेटा-संचालित विकास होने की उम्मीद है, जो देश के जल क्षेत्र को काफी हद तक व्यक्तिगत निर्णय पर निर्भर एक पुरानी अनुभव आधारित प्रणाली से अनुकूलित, पारदर्शी प्रणाली में बदलने की क्षमता रखता है। जहाँ सभी क्षेत्रों में किसी भी निर्णय को लागू करने से पहले ही उसके प्रभावों का समग्र रूप से आकलन करना संभव है।

स्रोत: पीआईबी

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