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दूरसंचार क्षेत्र के लिये नए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश

  • 18 Dec 2020
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने दूरसंचार क्षेत्र से संबंधित नए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश स्थापित करने को मंज़ूरी दे दी है।

  • इसके अलावा मंत्रिमंडलीय समिति ने 3.25 लाख करोड़ रुपए के आरक्षित मूल्य के साथ 2,251.25 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी को भी मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि

  • जुलाई माह में केंद्र सरकार ने सभी दूरसंचार ऑपरेटरों से अपने नेटवर्क का 'सूचना सुरक्षा ऑडिट' करने को कहा था।
  • इस सुरक्षा ऑडिट का प्राथमिक उद्देश्य दूरसंचार नेटवर्क में ऐसी किसी भी प्रकार की ‘बैकडोर’ अथवा ट्रैपडोर’ सुभेद्यता को खोजना था, जिसका उपयोग भविष्य में अवैध रूप से किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त करने के लिये किया जा सकता है।
    • ‘बैकडोर’ या ‘ट्रैपडोर’ टेलीकॉम हार्डवेयर में लगाया जाने वाला एक प्रकार का कंप्यूटर बग होता है, जो कंपनियों को नेटवर्क पर साझा किये जा रहे डेटा को प्राप्त करने और एकत्र करने की अनुमति देता है।
  • चीन की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी हुआवे (Huawei) और जेडटीई (ZTE) पर कई बार टेलीकॉम हार्डवेयर में ‘बैकडोर’ सुभेद्यता इनस्टॉल करने और उसके माध्यम से चीन की सरकार के लिये जासूसी करने का आरोप लगा है, जिसके कारण कई देशों ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इन कंपनियों को प्रतिबंधित कर दिया है।
    • आँकड़ों की मानें तो भारती एयरटेल के लगभग 30 प्रतिशत नेटवर्क, वोडाफोन-आइडिया के 40 प्रतिशत नेटवर्क में चीनी दूरसंचार उपकरणों का उपयोग किया गया है। 
    • इसके अलावा सरकारी टेलीकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) के नेटवर्क में भी चीन की कंपनियों के उपकरण शामिल हैं।
  • यद्यपि सरकार ने हुआवे (Huawei) और जेडटीई (ZTE) जैसी चीन की कंपनियों को 5G ट्रायल में हिस्सा लेने की अनुमति दी थी, किंतु गलवान घाटी में भारत-चीन सीमा पर संघर्ष और ऐसे ही अन्य घटनाक्रमों के कारण इन कंपनियों की भागीदारी काफी मुश्किल हो गई है।
    • सरकार ने BSNL और MTNL को अपने 4G नेटवर्क के लिये चीन की कंपनियों के उपकरणों का उपयोग करने से रोक दिया।
    • बीते दिनों दूरसंचार विभाग ने संकेत दिया कि वह निजी टेलीकॉम को भी चीनी उपकरण के उपयोग से परहेज करने के लिये दिशा-निर्देश देने की घोषणा करेगा, हालाँकि अभी तक इस संदर्भ में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किये गए हैं।

दूरसंचार क्षेत्र के लिये नए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश 

  • इसका उद्देश्य दूरसंचार उत्पादों और उनके स्रोतों को 'विश्वसनीय' तथा 'गैर-विश्वसनीय' श्रेणियों के तहत वर्गीकृत करना है। 
  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (NCSC) को इसके लिये निर्दिष्ट प्राधिकरण नामित किया गया है और इसके द्वारा दूरसंचार उत्पादों को 'विश्वसनीय' तथा 'गैर-विश्वसनीय' के रूप में वर्गीकृत करने हेतु आवश्यक कार्यप्रणाली तैयार की जाएगी।
    • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (NCSC) द्वारा दूरसंचार पर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के अनुमोदन के आधार पर अपना निर्णय लिया जाएगा।
    • इस समिति की अध्यक्षता उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Deputy-NSA) द्वारा की जाएगी और इसमें अन्य विभागों तथा मंत्रालयों के सदस्यों एवं स्वतंत्र विशेषज्ञों के साथ-साथ दूरसंचार उद्योग के दो सदस्य भी शामिल होंगे।
  • निर्दिष्ट प्राधिकरण यानी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (NCSC) द्वारा जिन स्रोतों को ‘विश्वसनीय स्रोत’ के रूप में नामित किया जाएगा, उनमें से जो भी दूरसंचार विभाग ‘प्रेफरेंशियल मार्किट एक्सेस’ पॉलिसी के मापदंडों को पूरा करेंगे, उन्हें ‘भारतीय विश्वसनीय स्रोत’ के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। 
    • यह नीति दूरसंचार क्षेत्र में उपकरण और हैंडसेट के स्थानीय निर्माताओं को अन्य देशों के विनिर्माताओं से मुकाबला करने का अवसर प्रदान करेगी।
  • दूरसंचार सेवा प्रदत्ताओं (TSPs) के लिये ‘विश्वसनीय’ उत्पाद के रूप में नामित उपकरणों का उपयोग करना आवश्यक हो जाएगा।
  • हालाँकि ये राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश दूरसंचार सेवा प्रदत्ताओं (TSPs) को अनिवार्य रूप से अपने पुराने और मौजूदा उपकरणों को बदलने के लिये मजबूर नहीं करेंगे, साथ ही इसके तहत मौजूदा वार्षिक रखरखाव अनुबंधों अथवा पुराने उपकरणों को अपग्रेड करने संबंधी अनुबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

महत्त्व

  • नए निर्देशों के अलावा सरकार दूरसंचार सेवा प्रदत्ताओं के नेटवर्क सुरक्षा की प्रभावी निगरानी और नियंत्रण के लिये नियमित अंतराल पर नए दिशा-निर्देश जारी करती रहेगी।
  • इस कदम से चीनी दूरसंचार उपकरण विक्रेताओं के लिये भारतीय दूरसंचार कंपनियों को उपकरण की आपूर्ति करना और भी कठिन हो जाएगा।
  • ऐसे मोबाइल एप्स, जो या तो मूलतः चीन से हैं या फिर जिनका सर्वर चीन में स्थित है, के लिये भारतीय बाज़ार में प्रवेश करना और भी मुश्किल हो जाएगा।
    • ज्ञात हो कि जून 2020 से अब तक सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए तकरीबन 200 एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है।

टेलीकॉम स्पेक्ट्रम नीलामी

  • यह नीलामी 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्‍वेंसी बैंड्स के स्‍पेक्‍ट्रम के लिये होगी और ये स्‍पेक्‍ट्रम 20 वर्ष की वैधता अवधि के लिये प्रदान किये जाएंगे।
  • इसके माध्यम से दूरसंचार सेवा प्रदाता अपने 4G समेत अन्य नेटवर्क की क्षमता बढ़ाने में समर्थ होंगे, जबकि नए सेवा प्रदाता अपनी सेवाओं को शुरू करने में समर्थ हो जाएंगे।
    • ध्यातव्य है कि भारत में एक निश्चित सेवा क्षेत्र में प्रति ऑपरेटर स्पेक्ट्रम होल्डिंग अंतर्राष्ट्रीय औसत से काफी कम है, जिसके कारण नए स्पेक्ट्रम की नीलामी काफी महत्त्वपूर्ण हो गई है।

स्पेक्ट्रम नीलामी

  • यह सफल बोलीदाताओं को स्पेक्ट्रम सौंपने की एक पारदर्शी प्रक्रिया है।
    • स्पेक्ट्रम की पर्याप्त उपलब्धता उपभोक्ताओं के लिये दूरसंचार सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाती है।
  • आर्थिक प्रगति, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजन तथा डिजिटल इंडिया के प्रसार के साथ मज़बूत जुड़ाव से टेलीकॉम क्षेत्र आज एक प्रमुख अवसंरचना क्षेत्र बन गया है तथा टेलीकॉम स्पेक्ट्रम नीलामी के निर्णय से सभी पहलुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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